Delhi News: दिल्ली के LG से मिले शीला सरकार के तीनों ऊर्जा मंत्री, सब्सिडी घोटाले की CBI जांच की मांग
Delhi News दिल्ली देश का एकमात्र राज्य है जहां बिना आडिट के और बिना जांच के सब्सिडी सीधे निजी कंपनियों को दी जाती है। 2015 के चुनावी घोषणापत्र में आप ने भी सब्सिडी सीधे कंपनियों को न दिए जाने का वादा किया था।
नई दिल्ली राज्य ब्यूरो। शीला दीक्षित सरकार में ऊर्जा मंत्री रहे अजय माकन, हारून यूसुफ और डा नरेन्द्र नाथ ने सोमवार को उपराज्यपाल वीके सक्सेना से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने एलजी को आप सरकार द्वारा किए जा रहे बिजली सब्सिडी घोटाले की विस्तार से जानकारी दी और इस घोटाले की जांच सीबीआइ से कराने की मांग की। बाद में पत्रकारों से बातचीत में माकन ने बताया कि वित्तमंत्री मनीष सिसोदिया ने अपने बजट भाषण में कहा था कि दिल्ली में 90 प्रतिशत घरेलू उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली मिल रही है।
घोटाले का आकार 5,000 करोड़ का
इसी के चलते जब से आम आदमी पार्टी सत्ता में आई है, तब से इन 90 प्रतिशत घरेलू उपभोक्ताओं के लिए संदिग्ध तरीके से और बिना आडिट के 14,731 करोड़ निजी कंपनियों को दिए जा चुके हैं। जबकि वीएसएस (वालेंट्री सब्सिडी स्कीम) द्वारा केवल 38 लाख उपभोक्ताओं का ही पंजीकरण किया गया है, जो कुल घरेलू उपभोक्ताओं का केवल 60 प्रतिशत हैं। इसका मतलब यह है कि एक तिहाई उपभोक्ता, जिनके नाम में बिना जांच और बिना आडिट के सब्सिडी दी गई है, वो तो मौजूद ही नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इस घोटाले का आकार 5,000 करोड़ का है।
बिना जांच के सब्सिडी सीधे निजी कंपनियों को देने का आरोप
माकन ने बताया कि 19 फरवरी 2018 को डीईआरसी ने सुझाव दिया था कि यदि आडिट संभव नहीं है, तो सब्सिडी को डीबीटी (डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर) किया जाए। दिल्ली देश का एकमात्र राज्य है, जहां बिना आडिट के और बिना जांच के सब्सिडी सीधे निजी कंपनियों को दी जाती है। 2015 के चुनावी घोषणापत्र में आप ने भी सब्सिडी सीधे कंपनियों को न दिए जाने का वादा किया था। लेकिन पूरा नहीं किया। माकन ने कहा कि अगर सब्सिडी की यही राशि (14,731 करोड़) सीधे डीबीअी के जरिए लाभार्थिों के खातों में सीधी डाली जाती, तो 500 यूनिट तक दिल्ली में बिजली फ्री मिल सकती है।
उद्योगों का हुआ बड़ी संख्या में पलायन
माकन ने यह भी कहा कि केजरीवाल के बिजली माडल के कारण उद्योगों का हुआ बड़ी संख्या में पलायन हुआ और इससे बेरोजगारी फैली। उन्होंने पीएफसी रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए कहा कि दिल्ली में औद्योगिक और कमर्शियल बिजली की प्रति यूनिट दरें पड़ोसी राज्यों के मुकाबले सबसे ज्यादा हैं। इसके चलते दिल्ली से उद्योग बड़ी संख्या में पलायन कर रहे हैं और बेरोजगारी फैल रही है।
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