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पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के चिकित्सक रहे डा. डीके शाह की कोरोना संक्रमण से मौत, 20 दिन पहले पत्नी की भी हुई मौत

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के चिकित्सक रहे डा. डीके शाह की कोरोना के चलते मौत हो गई। वह 2006 से 2016 तक वाजपेयी के आवास पर चिकित्सक के रूप में तैनात रहे थे। 65 वर्षीय डा. डीके शाह सेवानिवृत्ति के बाद दिलशाद गार्डन स्थित डिस्पेंसरी में कार्यरत थे।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Tue, 18 May 2021 03:00 PM (IST)Updated: Tue, 18 May 2021 03:00 PM (IST)
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के चिकित्सक रहे डा. डीके शाह की कोरोना संक्रमण से मौत, 20 दिन पहले पत्नी की भी हुई मौत
र्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के चिकित्सक रहे डा. डीके शाह की कोरोना संक्रमण के चलते मौत हो गई।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के चिकित्सक रहे डा. डीके शाह की कोरोना संक्रमण के चलते मौत हो गई। वह 2006 से 2016 तक वाजपेयी के आवास पर चिकित्सक के रूप में तैनात रहे थे। 65 वर्षीय डा. डीके शाह सेवानिवृत्ति के बाद दिलशाद गार्डन स्थित डिस्पेंसरी में संविदा पर कार्यरत थे। उनकी कैंसर पीडि़त पत्नी अंजू ने भी गत 29 अप्रैल को कोरोना संक्रमण के कारण दम तोड़ दिया था।

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जानकारी के मुताबिक डा. डीके शाह परिवार के साथ विवेक विहार में रहते थे। पिछले महीने पति-पत्नी दोनों कोरोना से संक्रमित हो गए थे। 29 अप्रैल को पत्नी की मौत के अगले दिन डा. शाह की तबियत बिगड़ गई। उन्हें एम्स, नई दिल्ली में भर्ती कराया गया। यहां इलाज के दौरान 13 मई को उन्होंने दम तोड़ दिया। उनके परिवार में दो बेटियां और एक बेटा है। उनकी मौत से डिस्पेंसरी के कर्मचारी भी शोक में है। सोमवार को यहां कर्मचारियों ने शोक सभा का आयोजन किया। डिस्पेंसरी में स्टोर इंचार्ज के पद पर तैनात विकास जैन ने बताया कि वह काफी व्यवहार कुशल थे। अपने मरीजों को वह नाम से याद रखते थे।

उधर दिल्ली में कोरोना का संक्रमण कम होने से सक्रिय मरीज 36.80 फीसद कम हो गए हैं। इस वजह से अस्पतालों में मरीजों का दबाव घट रहा है। लिहाजा अस्पतालों में तीन मई की तुलना में करीब 17 फीसद मरीज कम हुए हैं। इस बीच अस्पतालों में 6094 बेड बढ़े भी हैं। लेकिन जिस वक्त दिल्ली में महामारी चरम पर थी उस दौरान अस्पतालों में खास बेड नहीं बढ़ पाए। इस वजह से मरीज इलाज के बगैर दम तोड़ने को मजबूर हुए। तब आक्सीजन की कमी बताकर राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी व जीटीबी अस्पताल ने बेड घटा भी दिए थे।

हालांकि अब अस्पतालों में मरीजों का दबाव कम होने व बेड बढ़ने से मरीजों की राहत मिली है। उल्लेखनीय है कि 20 अप्रैल से मई के शुरुआती कुछ दिनों के बीच कोरोना के मामले ज्यादा आए थे। इस वजह से 30 अप्रैल को सक्रिय मरीजों की संख्या एक लाख के करीब पहुंच गई थी। तब अस्पतालों में कोरोना के इलाज के लिए कुल 20,938 बेड आरक्षित थे। जिसमें से 1199 बेड खाली तो थे लेकिन आक्सीजन व आइसीयू बेड की कमी के कारण मरीज एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटकने और घर में ही आक्सीजन सिलेंडर के सपोर्ट पर रहने को मजबूर थे। फिलहाल स्थिति यह है कि तीन मई की तुलना में अस्पतालों में 3400 मरीज कम हुए हैं।


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