दिल्ली में दंगा करने के आरोप में पूर्व BJP विधायक और एक अन्य दोषी करार, चार आरोपी बरी
दिल्ली के नरेला थाने में 2014 में हुए एक दंगे के मामले में पूर्व भाजपा विधायक नील दमन खत्री और उनके एक सहयोगी को दोषी ठहराया गया है। खत्री पर दोष है कि उन्होंने अवैध निर्माण को ढहाने गई टीम की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों पर हमला किया था। विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने कहा कि दंगाई भीड़ सरकारी अधिकारियों की पहचान और उद्देश्य जानती थी।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राउज एवेन्यू स्थित विशेष न्यायाधीश की अदालत ने पूर्व भाजपा विधायक नील दमन खत्री और उनके सहयोगी को दंगा करने और सरकारी कर्मचारियों पर हमला करने के आरोप में दोषी ठहराया। मामला वर्ष 2014 के नरेला थाने में हुई प्राथमिकी से जुड़ा है।
खत्री पर आरोप है कि अवैध निर्माण को ढहाने गई टीम की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों पर खत्री के नेतृत्व वाली भीड़ ने हाथापाई और पथराव किया, जिसमें तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए थे।
दंगाई भीड़ को सरकारी अधिकारियों को पहचान थी
विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने कहा कि दंगाई भीड़ सरकारी अधिकारियों की पहचान और उद्देश्य जानती थी। पूर्व विधायक होने के नाते, खत्री को न केवल सभी गवाहों ने भीड़ का नेतृत्व करने या उसके साथ होने के रूप में पहचाना, बल्कि यह भी कहा कि वह वहां एक नेता की प्रकृति में भी उपस्थित थे।
अदालत ने कहा कि भीड़ का सामान्य उद्देश्य अवैध रूप से निर्माण कार्य ढहाने वाले अधिकारियों को अपने कर्तव्यों का पालन करने से रोकना और पुलिस को उनकी सुरक्षा करने से रोकना था। मामले में सजा पर बहस बाद में सुनी जाएगी।
नील दमन खत्री और जोगिंदर दहिया दोषी करार
अदालत ने आरोपित नील दमन खत्री और जोगिंदर दहिया को आइपीसी की धारा 143 (अवैध सभा के सदस्य), 147 (दंगा), धारा 149 (अवैध सभा) व धारा 353 (सरकारी कर्मचारी को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) के तहत दोषी ठहराया है।
मामले में चार आरोपी बरी किए गए
अदालत ने मामले में अन्य आरोपित राज कुमार, सुरेंद्र, प्रवीण और भीम सेन को यह कहते हुए बरी कर दिया कि मामले में यह साबित करने के लिए कोई सुबूत नहीं है कि वे अवैध सभा के सदस्य थे या उन्होंने पुलिस अधिकारियों को चोट पहुंचाई। खत्री पर 14 नवंबर, 2014 को सरकारी अधिकारियों के खिलाफ लगभग 250 लोगों की भीड़ का नेतृत्व करने का आरोप था।
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