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    अखिलेश यादव से निराश नूर सबा ने अब योगी के द्वार पर दी दस्तक

    By JP YadavEdited By:
    Updated: Sat, 08 Apr 2017 05:20 PM (IST)

    अरुण जेटली ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को 6 मई 2015 को पत्र लिखकर पेंशन आदि का भुगतान करने का अनुरोध किया था, मगर उत्तर प्रदेश सरकार बेरुखी दिखाती रही।

    अखिलेश यादव से निराश नूर सबा ने अब योगी के द्वार पर दी दस्तक

    नई दिल्ली (नवीन गौतम)। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से निराश 73 वर्षीय नूर सबा को अब वहां के नए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से न्याय की आस है। 37 साल से पति के पेंशन आदि का हक पाने के लिए लड़ाई लड़ रही नूर सबा ने प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति से भी गुहार लगा चुकी हैं।

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    जंतर-मंतर पर धरने पर बैठीं तो मामला संसद में भी गूंजा तब केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अखिलेश से लिखित आग्रह किया था, मगर उन्हें न्याय नहीं मिल सका।

    पूर्व राष्ट्रपति डॉ.जाकिर हुसैन के चचेरे भाई, हाई कोर्ट के पूर्व जज व जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी के संस्थापकों में से एक जस्टिस सरदार वली खान की पुत्रवधू एवं राष्ट्रपति से उत्कृष्ट सेवा पदक व पद्मश्री सहित दर्जनों पुरस्कारों से सम्मानित शिक्षाविद् मरहूम मसूद उमर खान की विधवा नूर सबा की इस जंग में उनके बेटे आबिद उमर व ताहिर उमर भी पूरा साथ दे रहे हैं।

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    दोनों भाइयों ने मां को न्याय दिलाने के लिए निकाह न करने का संकल्प लिया। दिल्ली के रोहिणी में अपने परिचित के यहां आईं नूर सबा ने जागरण को बताया कि उनके पति मसूद उमर खां की उत्तर प्रदेश के रामपुर के राजकीय पब्लिक जूनियर हाई स्कूल में प्रधानाध्यापक पद पर रहते हुए ही 5 अप्रैल 1980 को मृत्यु हो गई थी।

    37 साल बीत जाने के बाद भी पारिवारिक पेंशन, फंड बीमा, ग्रेच्युटी आदि हकों को पाने के लिए दर-दर की ठोकर खा रही हूं। विभागीय अभिलेखों के अनुसार वर्ष 1980 से आज तक मेरे हक में कोई भी पेंशन आदि हकों के सबूत यानी पेंशन स्वीकृति व पेंशन भुगतान आदेश नंबर जारी नहीं किए गए हैं।

    इसकी पुष्टि रामपुर के वरिष्ठ कोषाधिकारी ने अपनी जांच रिपोर्ट में 19 मई 2010 को की है। अपना हक पाने के लिए उन्होंने 18 अप्रैल 2015 से जंतर-मंतर पर धरना शुरू किया तो 30 अप्रैल 2016 को यह मामला संसद में भी उठा।

    इस पर अरुण जेटली ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को 6 मई 2015 को पत्र लिखकर पेंशन आदि का भुगतान करने का अनुरोध किया था, मगर उत्तर प्रदेश सरकार ने तब भी यह मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया। इस मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय व राष्ट्रपति सचिवालय ने भी नूर सबा के अनुरोध पर हस्तक्षेप किया, लेकिन तत्कालीन सरकार नींद से नहीं जागी।

    नूर का कहना है कि वह न्याय के लिए लड़ते हुए जब जंतर-मंतर पर आकर धरने पर बैठी थी तो संकल्प लिया था कि जब तक समाजवादी सरकार के ताबूतों में आखिरी कील नहीं ठोक दूंगी तब तक रामपुर वापस नहीं जाऊंगी या मर कर वापस जाऊंगी।

    नूर का कहना है कि मेरे लिए न्याय दिलाने में बाधा बनी समाजवादी पार्टी और उसके एक नेता का शासन खत्म हो गया है, आदित्य नाथ योगी मुख्यमंत्री बने हैं। उम्मीद है कि न्याय जरूर मिलेगा।

    नूर का कहना है कि हमारी लड़ाई अब केवल अपने लिए ही नहीं, अपितु उस भ्रष्टाचार के खिलाफ है जिसकी वजह से मेरे जैसे कई लोगों के परिवार तबाह हो गए हैं। जिस दिन मुङो न्याय मिलेगी उसी दिन जंतर-मंतर से धरना खत्म कर दूंगी।