Delhi: ESI अस्पताल की कैंटीन में तय दर से तीन गुना अधिक कीमत पर मिल रहा भोजन, नोटिस के बावजूद जारी है मनमानी
ईएसआई अस्पताल की कैंटीन में प्रशासन की नाक के नीचे लोगों को तय दर से तीन गुना अधिक कीमत पर भोजन परोसा जा रहा है। आश्चर्य की बात यह है कि कई बार लोगों की शिकायत और प्रशासनिक नाेटिस के बावजूद कैंटीन संचालक मनमानी पर आतुर है।

पश्चिमी दिल्ली, मनीषा गर्ग। बसईदारापुर स्थित भारत के सबसे बड़े ईएसआई अस्पताल की कैंटीन में प्रशासन की नाक के नीचे लोगों को तय दर से तीन गुना अधिक कीमत पर भोजन परोसा जा रहा है। आश्चर्य की बात यह है कि कई बार लोगों की शिकायत और प्रशासनिक नाेटिस के बावजूद कैंटीन संचालक मनमानी पर आतुर है।
दो वर्ष पहले लोगों की शिकायत पर अस्पताल प्रशासन ने एक समिति का गठन किया था, पर उस समय कैंटीन संचालक को चेतावनी देकर छोड़ दिया गया था। अस्पताल में यह सिलसिला बीते ढाई वर्षों से जारी है। इन ढाई वर्षों में कैंटीन के टेंडर का दो बार नवीनीकरण हुआ और दोनों बार यह टेंडर एक ही संचालक को मिला है।
इसके अलावा अस्पताल में डी-3 इमारत में भी खाने-पीने से जुड़ी एक छोटी सी दुकान खुली है और आश्चर्य की बात उसका टेंडर भी इसी संचालक के पास है। प्रशासन की मिलीभगत के कारण अस्पताल में भ्रष्टाचार फल-फूल रहा है।
अस्पताल की नई ओपीडी बिल्डिंग में कैंटीन बनी हुई है। वर्ष 2020 में कैंटीन का टेंडर हुआ था और तब से अब तक एक ही संचालक को टेंडर मिल रहा है। कैंटीन परिसर में तीन जगहों पर खाद्य पदार्थों के तय दर की सूची चस्पा है। सूची में मसाला डोसा का दाम आठ रुपये अंकित है, जबकि लोगों को यह 50 रुपये में दिया जाता है। वही काफी की कीमत 18 रुपये तय है, लेकिन वह 20 रुपये में दी जाती है। टी-बैग वाली चाय के दो रुपये तय है, लेकिन उस दस रुपये में बेचा जा रहा है।
मजबूरन रेहड़ी पर खाते है लोग
मरीजों व तीमारदारों के साथ-साथ अस्पताल के अधिकांश कर्मचारियों से भी कैंटीन संचालक मुंह मांगी कीमत वसूलते हैं। असल में अस्पताल की ओपीडी में चिकित्सीय परामर्श के लिए मरीज सुबह छह बजे से कतार में लगना शुरू हो जाते हैं और आसपास खाने-पीने के लिए दुकान नहीं है। ऐसे में लोगों को मजबूरन कैंटीन का रुख करना पड़ता है। पर ऐसे लोग जिनकी आय कम है और उनकी जेब कैंटीन का खाना खरीदने में सक्षम नहीं है वे अस्पताल के बाहर रेहड़ी पर खाते हुए नजर आते हैं। अस्पताल में एकमात्र यही कैंटीन है, ऐसे में लोगों के पास ज्यादा विकल्प भी नहीं है।
कहते हैं.. फर्जी है रेट लिस्ट
मयंक नामक मरीज ने बताया कि शनिवार को मैं पहली बार कैंटीन में गया था। मैंने कैंटीन में जाते ही सबसे पहले रेट लिस्ट को देखा और उसके बाद डोसा का आर्डर दिया।संचालक ने मुझे 50 रुपये का भुगतान करने का कहा, इस पर मैंने उन्हें रेट लिस्ट में अंकित डोसा के दाम के बारे में पूछा तो वो मुझ पर भड़क पड़े। उन्होंने कहा कि आठ रुपये में भारत के किसी भी कोने में डोसा नहीं मिलता है, यह सब रेट लिस्ट फर्जी है इस पर ध्यान न दें। जहां तक स्वाद की बात है, वह भी कोई खास नहीं था। जब रेट लिस्ट मान्य ही नहीं है तो उसे क्यों लगाया गया है, क्यों लोगों को गुमराह किया जा रहा है।
और भी है कई अव्यवस्थाएं
कैंटीन परिसर में सफाई व्यवस्था की बात करें तो वह चौपट नजर आती है। कैंटीन में मक्खियों का आतंक देखने को मिलता है। 600 बेड के इस अस्पताल की क्षमता के अनुरूप यहां टेबल-कुर्सी भी नहीं है और जो है वह टूटी पड़ी है। इन टेबल-कुर्सी को साफ करने के लिए भी यहां कर्मचारी नहीं है।
वेंटिलेशन की बात करें तो उसके लिए यहां खिड़कियां है पर वह बंद पड़ी रहती है। कैंटीन में जगह-जगह जाले नजर आते है। हाथ धोने के लिए यहां साबुन नहीं है और वाश बेसिन के आसपास पानी फैला रहता है। कैंटीन में पीने के लिए पानी भी नहीं है। मजबूरन लोगों को खरीदकर पानी पीना पड़ता है। कैंटीन की रसोई में भी चिमनी नहीं है, जिसके कारण यहां काफी धुआं रहता है। रसोई घर में भी सफाई व्यवस्था कोई खास दुरुस्त नहीं है।
रसाेई में काम करने वाले व्यक्ति भी हाथ में दस्ताने, सिर पर टापी नहीं पहनते हैं। कैंटीन का टेंडर किस कंपनी के पास है, उसका कहीं कोई जिक्र नहीं है। अहम बात यह है कि कैंटीन संचालक के पास खाद्य सुरक्षा विभाग का कोई सर्टिफिकेट भी नहीं है।
इसके अलावा कैंटीन में लगे आग बुझाने के उपकरण भी एक्सपायर हो चुके है, लेकिन उनकी तरफ किसी का ध्यान नहीं है। कैंटीन परिसर का एक दरवाजा हर समय बंद रहता है, यदि कभी कोई हादसा होता है तो सभी लोगों का वहां से भागना भी संभव नहीं है।
क्या बोले चिकित्सा अधीक्षक?
अस्पताल की कैंटीन में तय दर से अधिक दर पर लोगों को भोजन दिया जा रहा है, यह बात हमारे संज्ञान में है और इस बाबत कैंटीन संचालक को नोटिस भी जारी किया गया है। बावजूद इसके यदि वे मनमानी कर रहे है तो उन पर पुन: कार्रवाई होगी। साथ ही अगले माह कैंटीन का नया टेंडर निकाला जाएगा।
-डॉ. संजय मिश्रा, चिकित्सा अधीक्षक
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