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    दिल्ली की 'जहरीली' हवा से बचने के लिए अपनाएं ये उपाय, एम्स के डॉक्टर्स की सलाह- जरूर पहनें N-95 Mask

    By Jagran NewsEdited By: Abhishek Tiwari
    Updated: Thu, 30 Nov 2023 12:14 PM (IST)

    पल्मोनरी विभाग के प्रमुख डॉ. आनंद मोहन ने कहा कि प्रदूषण से बचाव के लिए कोई दवा नहीं है। मास्क के अलावा एयर प्यूरीफायर भी उतने कारगर नहीं है। पहले तो इसका इस्तेमाल महंगा है जो हर कोई नहीं कर सकता। दूसरा इसके इस्तेमाल के समय कमरा बंद रखना होता है। एन 95 मास्क के जरिये सुरक्षा जरूर होती है लेकिन हर वक्त आप मास्क लगाए नहीं रह सकते।

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    दिल्ली में हवा की गुणवत्ता सांस लेने लायक नहीं है।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। सर्जिकल मास्क प्रदूषण से बचाने में कारगर नहीं होते। एन 95 मास्क के जरिये सुरक्षा जरूर होती है, लेकिन हर वक्त आप मास्क लगाए नहीं रह सकते। एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल कर हर समय कमरे में बंद नहीं रह सकते।

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    ऐसे में प्रदूषण से बचना है तो अच्छा खान-पान ही विकल्प है। एम्स के डॉक्टरों ने बुधवार को एक प्रेसवार्ता में यह जानकारी दी। एम्स के पल्मोनरी और स्लीप मेडिसिन विभाग की ओर से वायु प्रदूषण का स्वास्थ्य पर प्रभाव और इसके कारणों पर चर्चा आयोजित की गई थी।

    कारगर नहीं एयर प्यूरीफायर

    पल्मोनरी विभाग के प्रमुख डॉ. आनंद मोहन ने कहा कि प्रदूषण से बचाव के लिए कोई दवा नहीं है। मास्क के अलावा एयर प्यूरीफायर भी उतने कारगर नहीं है। पहले तो इसका इस्तेमाल महंगा है, जो हर कोई नहीं कर सकता। दूसरा इसके इस्तेमाल के समय कमरा बंद रखना होता है।

    ओपीडी में बढ़ें 20 प्रतिशत ऐसे मामले

    थोड़ी भी हवा अंदर आने पर वातावरण पहले जैसा हो जाता है। आप हर वक्त एक कमरे में नहीं रह सकते। उन्होंने कहा, प्रदूषण का असर सर्वाधिक उन लोगों पर हुआ है जो पहले से अस्थमा और सांस संबंधी दूसरी बीमारियों से पीड़ित थे। हमारी ओपीडी में 20 प्रतिशत तक ऐसे मामलों में बढ़ोतरी देखी गई। उनकी दवाएं बढ़ाई गईं।

    स्वस्थ्य लोग भी ओपीडी में सांस लेने में परेशानी की समस्या लेकर पहुंचे हैं। इनमें ऐसे लोग भी हैं, जिन्हें एलर्जी की समस्या है।

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    गर्भवती महिलाओं पर क्या पड़ सकता है असर?

    वार्ता में शामिल डॉ. करण मदान ने कहा, बच्चों और गर्भवती महिलाओं पर भी प्रदूषण का असर हुआ है। हालांकि कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है, लेकिन ओपीडी में बच्चे सांस संबंधी समस्याओं के साथ आए हैं।

    डॉ. आनंद मोहन ने कहा, जो महिलाएं गर्भावस्था के दौरान अत्यधिक प्रदूषण वाले इलाके में रही हैं, उनके बच्चे का कम वजन होने से इन्कार नहीं किया जा सकता। इस पर सीधे तौर पर कोई अध्ययन नहीं हुआ है, लेकिन इसके असर पर आर्टिकल छापे गए हैं।

    उन्होंने कहा, स्वस्थ लोग आज बीमार नहीं हो रहे हैं तो आने वाले 10 वर्ष में उन्हें सांस संबंधी समस्या नहीं होगी, इससे इन्कार नहीं कर सकते। सरकार को प्रदूषण कम करने पर गहराई से विचार करना होगा।

    बाकी लोग अच्छा खान-पान लेकर, सुबह और शाम की सैर से बचकर, बाहर निकलते हुए मास्क लगाकर प्रदूषण की समस्या से खुद को बचा सकते हैं। प्रदूषण से बचाव को लेकर अध्ययन किए जा रहे हैं, लेकिन उसके नतीजे आने में वक्त लगेगा। प्रेसवार्ता में डॉ. विजय हाडा भी शामिल रहे।