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    नई सरकार बनते ही 5 स्टार होटलों की बढ़ी परेशानी, दिल्ली में जल प्रदूषण रोकने के लिए होगा ये काम

    आमतौर पर होता यह रहा है कि पांच सितारा होटल बड़े पैमाने पर भूजल का दोहन करते हैं लेकिन अपने यहां लगे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से उपचारित जल के पुनः उपयोग के प्रति उदासीन रहते हैं। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने राजधानी के 44 फाइव स्टार होटलों में से छह का निरीक्षण किया है। जल्द ही इनकी रिपोर्ट तैयार की जाएगी।

    By sanjeev Gupta Edited By: Rajesh KumarUpdated: Mon, 24 Feb 2025 11:15 PM (IST)
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    पांच सितारा होटल बड़े पैमाने पर भूजल का दोहन करते हैं। जागरण

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राजधानी के पांच सितारा होटलों को भी अब पानी की बर्बादी रोकनी होगी। भूजल दोहन के साथ-साथ उपचारित जल का पुनः उपयोग भी सुनिश्चित करना होगा। ऐसा इसलिए ताकि जल संतुलन कायम रह सके।

    आमतौर पर होता यह रहा है कि पांच सितारा होटल बड़े पैमाने पर भूजल का दोहन करते हैं, लेकिन अपने यहां लगे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से उपचारित जल के पुनः उपयोग के प्रति उदासीन रहते हैं।

    दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने राजधानी के 44 फाइव स्टार होटलों में से छह का निरीक्षण किया है। जल्द ही इनकी रिपोर्ट तैयार की जाएगी। इस रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई या रणनीति तय की जाएगी। डीपीसीसी ने सोमवार को 74वीं बोर्ड मीटिंग के मिनटस में यह जानकारी साझा की। यह बोर्ड मीटिंग 13 फरवरी को हुई थी।

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    यमुना की आनलाइन निगरानी के लिए दोबारा टेंडर

    मिनटस के अनुसार, यमुना में गिरने वाले नालों और औद्योगिक कचरे की निगरानी के लिए 32 स्थानों पर ऑनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम लगाए जाने हैं। जब पहले टेंडर जारी किया गया था, तो केवल दो फर्मों ने इसके लिए आवेदन किया था। इसलिए अब नए सिरे से टेंडर जारी किया जाएगा।

    यमुना की जल गुणवत्ता का अध्ययन

    मिनिटस में बताया गया है कि विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों और संस्थाओं से प्रस्ताव आमंत्रित किए गए हैं। इसके अनुसार यमुना के पानी की गुणवत्ता में सुधार और इसके क्या प्रभाव होंगे, इस पर अध्ययन किया जाएगा।

    चार वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्रों का नवीनीकरण

    आरके पुरम, पंजाबी बाग, मंदिर मार्ग और आनंद विहार में स्थापित वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्रों के संचालन और रखरखाव का अनुबंध समाप्त हो गया है। इसके नवीनीकरण के लिए वित्तीय बोलियाँ खोली गई हैं। इसके आदेश जल्द ही जारी किए जाएँगे।

    प्रदूषण नियंत्रण के लिए तकनीकी और प्रौद्योगिकी का उपयोग

    मिनटस के अनुसार, वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए अब तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके तहत डीपीसीसी के कर्मचारियों को ऑनलाइन निगरानी, ​​टोल फ्री नंबर, व्हाट्सएप नंबर, हेल्प डेस्क और ड्रोन आदि के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षित भी किया जाएगा।

    इसके अलावा जीआरएपी नियमों का सख्ती से पालन कराने और ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण के लिए जनभागीदारी भी बढ़ाई जाएगी।

    बोर्ड मीटिंग के एजेंडे में 30 मुद्दे थे। सभी पर गंभीरता से विचार किया गया। पास हुए मुद्दों पर भी जल्द ही काम दिखने लगेगा। खास तौर पर पर्यावरण और जल संरक्षण तथा यमुना के पुनरुद्धार पर मुख्य फोकस रहेगा।

    - डॉ. अनिल गुप्ता, सदस्य, डीपीसीसी