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    सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' की पंक्ति में शामिल रहे कवि उद्भ्रांत को मिलेगा प्रथम टैगोर सम्मान

    By JP YadavEdited By:
    Updated: Mon, 14 May 2018 08:22 AM (IST)

    गुरुग्राम शहर के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. नंदलाल मेहता ‘वागीश’ को स्वामी विवेकानंद पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।

    सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' की पंक्ति में शामिल रहे कवि उद्भ्रांत को मिलेगा प्रथम टैगोर सम्मान

    नोएडा (जेएनएन)। सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की पंक्ति में शामिल रहे 75 वर्षीय कवि रमाकांत शर्मा (उद्भ्रांत) को प्रथम गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर अंतरराष्ट्रीय साहित्य पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। ये सम्मान उन्हें रूस की राजधानी मॉस्को में दिया जाएगा। उन्हें 21 वीं सदी का पहला महाकवि भी कहा जाता है। उन्होंने त्रेता नामक महाकाव्य की रचना की है। ये पुरस्कार उन्हें बहुचर्चित काव्यकृति ‘राधामाधव’ के लिए दिया जा रहा है।

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    कानपुर निवासी कवि उद्भ्रांत अब सेक्टर 51 की केंद्रीय विहार सोसायटी में रहते हैं। वह बताते हैं कि उनका जन्म राजस्थान में हुआ था। वर्ष 1958 में कानपुर के पांडव नगर में परिवार के साथ रहने आ गए थे।

    यहां उन्होंने 10वीं और 12वीं हरसहाय जगदंबा विद्यालय से की। इसके बाद चार वर्ष तक साहित्य को समझने और उसे अपनाने में लगा दिए। कानपुर के जेके मंदिर में जाकर किताबों को पढ़ते और साहित्य को समझते। चार वर्ष बाद पीपीएन डिग्री कॉलेज से बीए किया। इसके बाद क्राइस्ट चर्च कॉलेज से एमए किया।

    उद्भ्रांत बताते हैं कि 21 वर्ष की उम्र में वह देश के नामी कवियों में शुमार होने लगे थे। कवि हरिवंश राय बच्चन उनके काव्य गुरु हैं। 1975 में आज अखबार से जुड़े। 1988 में तीन किताबों का प्रकाशन किया। इसके बाद 1990 में इंडियन ब्रॉडकास्टिंग सर्विस के पहले बैच में चयनित हुए। 1991 में पटना के दूरदर्शन केंद्र में सहायक निदेशक के पद पर कार्यरत हुए। वर्ष 2010 में दिल्ली दूरदर्शन केंद्र में उप महानिदेशक पद से सेवानिवृत्त हुए।

    वहीं, गुरुग्राम शहर के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. नंदलाल मेहता ‘वागीश’ को स्वामी विवेकानंद पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। भारत विद्या (इंडोलॉजी) के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए उन्हें जून में राष्ट्रपति के हाथों सम्मान पत्र व पांच लाख रुपये की पुरस्कार राशि प्रदान की जाएगी।

    यह सम्मान उन्हें केंद्रीय हिंदी संस्थान (आगरा) की ओर से दिया जाएगा। 25 जून 1940 को अविभाजित भारत के जिला मियांवाली, तहसील बक्खर (अब पाकिस्तान) में जन्मे डॉ. मेहता ने विभिन्न महाविद्यालयों के हिंदी विभाग में तीन दशक से ज्यादा समय तक अध्यापन किया है। डा. मेहता की पुस्तकों का अंग्रेजी, पंजाबी व बांग्ला समेत विभिन्न भाषाओं में अनुवाद भी हो चुका है।