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    आखिर क्यों फिनलैंड में टीचर्स की ट्रेनिंग कराना चाहती है दिल्ली सरकार, वहां के एजुकेशन सिस्टम में क्या है खास?

    By Ritika MishraEdited By: Abhishek Tiwari
    Updated: Thu, 19 Jan 2023 09:23 AM (IST)

    Finland Education System दिल्ली के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए फिनलैंड भेजने को लेकर राजनीतिक हंगामा मचा हुआ है। दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना पर शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए जाने से रोकने का आरोप लगा रही है।

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    Finland Education System आखिर क्यों फिनलैंड में टीचर्स की ट्रेनिंग कराना चाहती है दिल्ली सरकार

    नई दिल्ली, रीतिका मिश्रा। Finland Education System : राजधानी दिल्ली में सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए फिनलैंड भेजे जाने को लेकर दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल वीके सक्सेना के बीच खींचतान जारी है। दिल्ली सरकार शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए फिनलैंड भेजना चाहती है, लेकिन उपराज्यपाल की ओर से अभी तक इस फाइल को मंजूरी नहीं मिली है। फिनलैंड की शिक्षा प्रणाली कैसी है और यह भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 से किस तरह अलग है, आइए डालते हैं एक नजर।

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    फिनलैंड की शिक्षा प्रणाली -

    • शिक्षा नीति- उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा और प्रशिक्षण के लिए सभी नागरिकों को समान अवसर प्रदान करना
    • कीवर्ड- गुणवत्ता, दक्षता, निष्पक्षता और अंतरराष्ट्रीयकरण
    • शुल्क- शिक्षा सभी स्तरों पर निश्शुल्क है।
    • उद्देश्य - फिनलैंड की शिक्षा का उद्देश्य मानवता के प्रति विद्यार्थियों के विकास और समाज की नैतिक रुप से जिम्मेदार सदस्यता का समर्थन करना और उन्हें जीवन में आवश्यक ज्ञान और कौशल प्रदान करना।
    • शिक्षा की सामान्य संरचना - 9 3 3, प्राथमिक विद्यालय के छह वर्ष (ग्रेड एक से छह), माध्यमिक के तीन वर्ष (ग्रेड 7 से 9), उच्च माध्यमिक के तीन वर्ष (ग्रेड 10 से 12) और विश्वविद्यालय के तीन वर्ष।

    फिनलैंड शिक्षा प्रणाली के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य-

    •  बच्चे 7 साल की उम्र तक स्कूल नहीं जाते हैं।
    • (बच्चों को केवल सात साल की उम्र में स्कूल जाने की आवश्यकता होती है, हालांकि प्री-स्कूल में भाग लेने का विकल्प होता है। फिनलैंड की शिक्षा प्रणाली बच्चों को कम उम्र में औपचारिक पाठ्यक्रम से परे सीखने की आजादी देकर रचनात्मक और साधन संपन्न होने के लिए प्रोत्साहित करती है।
    • - अन्य प्रणालियों के विपरीत, फिनिश छात्रों को केवल 16 वर्ष की आयु में एक केंद्रीकृत परीक्षा में बैठना होता है। (छात्रों को विश्वविद्यालय में प्रवेश करने के लिए फिनिश मैट्रिक परीक्षा के रूप में जानी जाने वाली परीक्षा में बैठना होता है। लेकिन उनके नौ साल के अनिवार्य स्कूली शिक्षा के दौरान उन पर परीक्षण-आधारित प्रणाली का दबाव नहीं है। गृहकार्य भी कम मिलता है।
    • विद्यार्थी की क्षमता की परवाह किए बिना सभी बच्चों को एक ही कक्षा में पढ़ाया जाता है।
    • (यह सुनिश्चित करने के लिए कि सीखने या व्यवहार संबंधी अक्षमता वाले बच्चे जो शिक्षा के लिए किसी न किसी तरह से संघर्ष कर रहे हैं वो कक्षा के बाकी बच्चों से न पिछड़े इसलिए सभी एक कक्षा में बैठते हैं।)
    • -फिनलैंड में बच्चों को उनकी शिक्षा के पहले छह वर्षों के दौरान बिल्कुल नहीं मापा जाता है। (जबकि अन्य देशों के छात्र हर स्कूल अवधि में परीक्षा में स्कोर करने के लिए संघर्ष करते हैं। फिनिश लोग परीक्षा के दबाव से मुक्त हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि वहां माना जाता है कि जब तक छात्र अपनी किशोरावस्था में होते हैं तब तक उन्हें परीक्षाओं और परीक्षणों का भार से मुक्त रखना चाहिए।
    • सरकार बच्चों के सीखने के लिए भुगतान करती है। (फिनलैंड में छात्रों को मुफ्त शिक्षा प्राप्त करने के साथ-साथ सरकार लगभग 500 यूरो का मासिक भत्ता भी देती है।)
    • -छात्र स्कूल में अधिक भाषाएं सीखते हैं। (फिनिश भाषा की शिक्षा स्कूल के पहले दिन से शुरू होती है। नौ साल की उम्र तक छात्र स्वीडिश (फिनलैंड की दूसरी आधिकारिक भाषा) शुरू करते हैं और 11 साल की उम्र में वे तीसरी भाषा सीखना शुरू करते हैं, आमतौर पर अंग्रेजी। कई छात्र 13 वर्ष की आयु के आसपास चौथी भाषा भी विकल्प के तौर पर लेते हैं।)
    • प्राथमिक विद्यालय के छात्रों को फिनलैंड में एक दिन में 75 मिनट का अवकाश मिलता है।  (कई घंटों के अवकाश के अलावा, छात्रों को प्रत्येक पाठ के बाद 15 मिनट का विश्राम भी मिलता है। इसके अलावा, बाहरी शारीरिक गतिविधि को अत्यधिक प्रोत्साहित किया जाता है और कुछ पाठ कक्षा के बाहर पढ़ाए जाते हैं।)
    • शिक्षक केवल दिन में चार घंटे कक्षा में बिताते हैं और सप्ताह में दो घंटे व्यावसायिक विकास के लिए निकालते हैं।  ( शिक्षक साप्ताहिक आधार पर पाठ्यक्रम के निर्माण और छात्र की प्रगति का आकलन करने में कम से कम दो घंटे खर्च करते हैं।)
    • राष्ट्रीय पाठ्यक्रम केवल एक व्यापक दिशानिर्देश है।  (शिक्षकों को अपने छात्रों के लिए सर्वोत्तम शैक्षिक विधियों को तय करने की स्वतंत्रता है। शिक्षकों को क्या पढ़ाना है, इसके लिए दिशा-निर्देश दिए जाते हैं, लेकिन उन्हें कैसे पढ़ाना है, इसके लिए उन्हें सलाह नहीं दी जाती। यह उच्च प्रशिक्षित शिक्षकों को छात्रों को पढ़ाने के लिए पाठ्यक्रम विकसित करने की अनुमति देता है।
    • फिनलैंड में सभी शिक्षकों के पास मास्टर डिग्री होनी चाहिए, जो पूरी तरह से सब्सिडी वाली है। (फिनलैंड में पढ़ाने के लिए केवल स्नातक की डिग्री और शिक्षण प्रमाणपत्र से काम नहीं चलता। इसके अधिक की आवश्यकता होती है। गुणवत्तापूर्ण पाठ्यक्रम की योजना बनाने और छात्रों के सतत मूल्यांकन करने में सक्षम होने के लिए शिक्षकों के पास शीर्ष शैक्षणिक रिकार्ड होना चाहिए।)
    • शीर्ष 10 प्रतिशत स्नातकों में से शिक्षकों का चयन किया जाता है।  (कई देशों में किसी के लिए शिक्षक बनना आसान हो सकता है। हालांकि, फिनलैंड में ऐसा नहीं है। यहां अगर कोई शिक्षक बनने के योग्य है तब भी आपको शिक्षक के तौर पर चयनित होने के लिए शीर्ष 10 प्रतिशत स्नातक में होना चाहिए।

    भारतीय शिक्षा प्रणाली या राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 

    • शिक्षा नीति- राष्ट्रीय प्रगति, सामान्य नागरिकता और संस्कृति की भावना को बढ़ावा देना और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करना
    • कीवर्ड- पहुंच, निष्पक्षता, गुणवत्ता और शासन
    • शुल्क- सरकारी स्कूलों में शिक्षा लगभग मुफ्त है जबकि निजी स्कूलों में शिक्षा पर शुल्क है।
    • उद्देश्य - राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उद्देश्य सन 2030 तक तीन वर्ष से लेकर 18 वर्ष तक के प्रत्येक बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है।
    • शिक्षा की सामान्य संरचना - 5 3 3 4, फाउंडेशनल स्टेज के पांच वर्ष (तीन साल आंगनबाड़ी के और दो साल कक्षा 1 और कक्षा 2), प्राथमिक विद्यालय तीन वर्ष (तीसरी से पांचवीं कक्षा), माध्यमिक के तीन वर्ष (कक्षा छह से आठ), उच्च माध्यमिक के चार वर्ष (कक्षा नौ से 12)

    राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली 2020 के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य-

    - भारत की नई शिक्षा नीति की घोषणा दिनांक 29 जुलाई 2020 को की गई है। वैज्ञानिक एवं भूतपूर्व इसरो प्रमुख कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा तैयार ये शिक्षा नीति स्वतंत्र भारत की तीसरी शिक्षा नीति है।-

    -कक्षा पांचवीं तक क्षेत्रीय भाषा या मातृभाषा में शिक्षण का प्रावधान है।

    - छठीं कक्षा से व्यावसायिक पाठ्यक्रम भी होगा।

    - स्नातक कुल चार वर्षो का होगा।

    - पीएचडी करने के लिए एमफिल की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है।

    - स्नातक पाठ्यक्रम में एकाधिक प्रवेश और निकास व्यवस्था को अपनाया गया है। इसके तहत चार वर्ष के स्नातक पाठ्यक्रम को कई स्तरों पर बीच में ही छोड़ सकेंगे या फिर से शुरू कर सकेंगे और उन्हें उसी के अनुरूप डिग्री या प्रमाण-पत्र प्रदान किया जाएगा। (इसमें एक वर्ष के बाद प्रमाण-पत्र, दो वर्षों के बाद एडवांस डिप्लोमा, तीन वर्षों के बाद स्नातक की डिग्री तथा चार वर्षों के बाद शोध के साथ स्नातक)।

    -एससी, एसटी, ओबीसी और अन्य सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित समूहों से संबंधित मेधावी छात्रों को प्रोत्साहन के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।

    -शिक्षकों की नियुक्ति में प्रभावी और पारदर्शी प्रक्रिया का पालन तथा समय-समय पर किए गए कार्य-प्रदर्शन आकलन के आधार पर पदोन्नति।

    - वर्ष 2030 तक अध्यापन के लिए न्यूनतम डिग्री योग्यता चार वर्षीय एकीकृत बीएड डिग्री का होना अनिवार्य किया जाएगा।

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