Back Image

Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    1947 Partition Of India: आखिर किस तरह काबू में आया बंटवारे का दर्द, गीतकार गुलजार ने जागरण को बताया

    By Jp YadavEdited By:
    Updated: Fri, 08 Oct 2021 09:38 AM (IST)

    गुलजार के मुताबिक हिंसा के भयानक मंजर से मैं भी अवसाद में चला गया था। रात में खौफनाक सपने आते थे। 20-25 सालों तक इस अवसाद ने घेरे रखा। यह सोच कर रात में सो नहीं पाते थे कि ख्वाब दोबारा न आ जाए लेकिन नज्मों ने मेरा साथ दिया।

    Hero Image
    1947 Partition Of India: आखिर किस तरह काबू में आया बंटवारे का दर्द, गीतकार गुलजार ने जागरण को बताया

    नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। देश के बंटवारे ने जमीन ही नहीं दिलों को भी बांट दिया था। हिंसा के भयानक मंजर से मैं भी अवसाद में चला गया था। रात में खौफनाक सपने आते थे। 20-25 सालों तक इस अवसाद ने घेरे रखा। यह सोच कर रात में सो नहीं पाते थे कि ख्वाब दोबारा न आ जाए, लेकिन नज्मों ने मेरा साथ दिया। नज्मों की रचनात्मकता से अवसाद से बाहर निकला। यह बातें प्रसिद्ध गीतकार गुलजार ने कही। वह विश्व मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह के मद्देनजर दिल्ली में आयोजित इंडियन साइकैट्रिक सोसाइटी द्वारा आयोजित वेबिनार में मनोचिकित्सकों को संबोधित कर रहे थे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इसमें चर्चा का विषय भी यही था कि रचनात्मकता मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। उन्होंने खुद का उदाहरण देते हुए कहा कि रचनात्मकता मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत करने में मददगार है। आज भी कई घटनाएं होती हैं जिससे अवसाद जैसा महसूस होता है, जो कई बार व्यक्तिगत होता है और कई बार दूसरों को देखकर होता है। लेकिन यह रचनात्मकता ही है कि नज्म कहकर उस अवसाद से बाहर निकलने की कोशिश करते हैं। अफगानिस्तान की मौजूदा हालत का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वहां बच्चे जो हालत देख रहे हैं उससे उत्पन्न मानसिक अवसाद से रचनात्मकता से ही बाहर निकल पाएंगे।

    आरुषि इंडिया संस्था का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि दिव्यांग बच्चों की देखभाल करने वाले इस संस्था से वह लंबे समय से जुड़े हैं। इसमें एक थीम है, रचनात्मकता। इसलिए बच्चों को रचनात्मकता की सीख दी जाती है। इस वजह से उन बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य बेहद मजबूत है। संस्था के बच्चों को नर्सरी के पौधे लगाना सीखा रहे हैं। पौधे तैयार होने के बाद फूल खिलने पर उन बच्चों का चेहरा देखकर ऐसा लगता है कि वे बच्चे उन खिले हुए फूल के जुड़वा हैं।

    कार्यक्रम में मौजूद डाक्टरों ने भी मानसिक स्वास्थ्य के लिए रचनात्मकता और सकारात्मक सोच को जरूरी बताया। मानसिक रोग विशेषज्ञ डा. ओम प्रकाश सिंह ने कहा कि समाज में सकारात्मक सोच फैलना जरूरी है। साथ ही लोगों को एक दूसरे का हाल भी लेते रहना चाहिए। इससे आत्म हत्या की घटनाएं काफी हद तक रोकी जा सकती है। कार्यक्रम में आयोजन समिति के अध्यक्ष डा. विनय कुमार ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में एम्स के मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर डा. नंद कुमार भी शामिल हुए।