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    Delhi Crime: दिल्ली में अवैध धंधे का भंड़ाफोड़, ACB की टीम ने 46 को धर दबोचा

    दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) ने फार्मेसी की फर्जी डिग्री व पंजीकरण कराने वाले रैकेट का भंडाफोड़ किया है। इस मामले में 46 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार किए गए आरोपितों में दिल्ली फार्मेसी काउंसिल का एक पूर्व रजिस्ट्रार एक क्लर्क छह दलाल एक प्रिंटिंग शॉप मालिक फार्मेसी कॉलेजों के तीन कर्मचारी एक मालिक और 35 अवैध फार्मासिस्ट शामिल हैं।

    By Rakesh Kumar Singh Edited By: Monu Kumar Jha Updated: Wed, 02 Apr 2025 08:57 PM (IST)
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    Delhi News: फर्जी दस्तावेज के आधार पर डिग्री दिलाने के बाद करवा देते थे फार्मासिस्ट के लिए पंजीकरण।

     जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) ने फार्मेसी की फर्जी डिग्री व पंजीकरण कराने वाले रैकेट का भंडाफोड़ कर 46 लोगों को गिरफ्तार किया है। दिल्ली फार्मेसी काउंसिल में पंजीकरण कराने के लिए साइंस से 12वीं का सर्टिफिकेट व फार्मेसी में डिप्लोमा के अलावा किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से इंटर्नशिप का सर्टिफिकेट जरूरी होता है।

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    रैकेट में शामिल आरोपित उक्त तीनों तरह के फर्जी सर्टिफिकेट देकर अभ्यर्थियों से दिल्ली फार्मेसी काउंसिल में आनलाइन पंजीकरण करवा देते थे। इसके बाद दलाल संबंधित कालेजों के क्लर्कों के जरिये फर्जी दस्तावेज का फर्जी तरीके से सत्यापन भी करवा देते थे।

    2020 में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने की थी नियुक्ति

    दस्तावेज का सत्यापन हो जाने के बाद दिल्ली फार्मेसी काउंसिल से अभ्यर्थियों को दवाओं की दुकान खोलने अथवा दुकान में काम करने के लिए फार्मासिस्ट का सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाता था। एसीबी के संयुक्त आयुक्त मधुर वर्मा का कहना है कि फर्जी डिग्री दिलाने के एवज में प्रति अभ्यर्थी दलाल तीन से चार लाख व दिल्ली फार्मेसी काउंसिल का रजिस्ट्रार कुलदीप सिंह एक लाख रुपये लेता था।

    कुलदीप सिंह की नियुक्ति 2020 में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने की थी। इस गिरोह के पकड़े जाने से फर्जी दस्तावेज के आधार पर कई फार्मासिस्टों के फर्जी पंजीकरण के बारे में पता चला है। गिरफ्तार किए गए आरोपितों में दिल्ली फार्मेसी काउंसिल का एक पूर्व रजिस्ट्रार, एक क्लर्क, छह दलाल, एक प्रिंटिंग शॉप मालिक, फार्मेसी कॉलेजों के तीन कर्मचारी एक मालिक और 35 अवैध फार्मासिस्ट शामिल हैं।

    निविदा प्रक्रिया के बिना ऑनलाइन पंजीकरण की सौंपी प्रक्रिया

    फर्जी फार्मासिस्ट दिल्ली के कई केमिस्ट की दुकानों पर काम करते हुए पाए गए। एसीबी ने दिल्ली में चल रहे फार्मेसी पंजीकरण घोटाले का पर्दाफाश कर बड़ी कामयाबी हासिल की है।

    जांच से पता चला है कि पूर्व रजिस्ट्रार कुलदीप सिंह ने जाली दस्तावेजों का उपयोग करके कई फार्मासिस्टों के पंजीकरण को अवैध रूप से मंजूरी दी थी। यह घोटाला एक निजी फर्म के माध्यम से किया गया जिसे उचित निविदा प्रक्रिया के बिना ऑनलाइन पंजीकरण प्रक्रिया सौंपी गई थी।

    जांच के बाद 46 आरोपितों को किया गिरफ्तार 

    30 जनवरी 2024 को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के उप सचिव ने कुलदीप सिंह के खिलाफ फर्जी दस्तावेज के आधार पर फार्मासिस्ट के रूप में तीन उम्मीदवारों के पंजीकरण को अवैध मंजूरी देने के संबंध में शिकायत दर्ज कराई थी। जिसके बाद एसीबी ने कुलदीप सिंह के खिलाफ केस दर्ज जांच के लिए सतर्कता निदेशालय से अनुमति मांगी थी। अनुमति मिलने के बाद एसीपी जरनैल सिंह की टीम ने जांच के बाद 46 आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया।

    एसीबी के मुताबिक नीरज नाम का आरोपित कंप्यूटर के जरिये 12वीं का फर्जी सर्टिफिकेट, फार्मेसी में डिप्लोमा व इंटर्नशिप का फर्जी सर्टिफिकेट बनाकर संजय नाम के आरोपित को सौंप देता था। संजय उक्त सर्टिफिकेट को अभ्यर्थियों को देकर उन्हें दिल्ली फार्मेसी काउंसिल में आनलाइन आवेदन करने कहता था।

    अब तक 200 अभ्यर्थियों के पंजीकरण की हुई जांच

    आवेदन करने पर कुलदीप सिंह सरदार पटेल कॉलेज अबोहर, पंजाब, मीरा कालेज अबोहर, पंजाब, बागपत इंस्टीट्यूट बागपत, बाबा इंस्टीट्यूट आफ फार्मेसी मुजफ्फर नगर को ईमेल भेजकर पूछता था कि क्या उक्त अभ्यर्थियों के दस्तावेज सही हैं। जिस पर संजय उक्त कॉलेजों के क्लर्कों से संपर्क कर उन्हें रिश्वत देकर दस्तावेज सही होने का सत्यापन करवा लेता था। इसके बाद कुलदीप सिंह अभ्यर्थियों को सर्टिफिकेट जारी कर देता था।

    एसीबी का कहना है कि कुलदीप सिंह ने करीब 5000 अभ्यर्थियाें को फार्मासिस्ट का पंजीकरण कर उन्हें डिग्री जारी की है, जिनमें 70 प्रतिशत फर्जी पाए जाने की आशंका है। अब तक 200 अभ्यर्थियों के पंजीकरण की जांच की गई है।

    ये हैं गिरफ्तार आरोपित

    दिल्ली फार्मेसी काउंसिल के पूर्व रजिस्ट्रार बाबरपुर का रहने वाला कुलदीप सिंह, दिल्ली फार्मेसी काउंसिल में संविदा क्लर्क रोहिणी का मुकेश कुमार शर्मा, दलाल नरेला का संजय कुमार, दलाल का सहयोगी प्रेम नगर का धर्मेंद्र, मालवीय नगर का अजय सैनी, शालीमार गांव का जय किशोर पोद्दार, बवाना का नीरज, रोहिणी का अजय कुमार।

    प्रिंटिंग शाप का मालिक रोहिणी का नीरज, पंजाब के अबोहर में मीरा कालेज आफ फार्मेसी के कर्मचारी, यूपी के मथुरा में आरएस कालेज आफ फार्मेसी के कर्मचारी हरिओम, बागपत मेडिकल इंस्टीट्यूट का कर्मचारी जफर हयात व बाबा इंस्टीट्यूट आफ फार्मेसी का मालिक इमला खान है। इनमें इमला खान पहले भी इस तरह के फर्जीवाडे़ में गिरफ्तार हो चुकी है।