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    ग्रामीण क्षेत्रों में खपा रहे कंप्यूटर प्रिंटेड नकली नोट, कई राज्यों में है नेटवर्क; पाकिस्तान कनेक्शन की जांच

    Updated: Sun, 24 Aug 2025 07:37 PM (IST)

    दिल्ली पुलिस रांची पुलिस के साथ मिलकर जाली नोटों के मास्टरमाइंड नीरज को तलाश रही है। नीरज पर कंप्यूटर से प्रिंटेड नकली नोटों को देशभर में खपाने का आरोप है। रांची में पकड़े गए दो करोड़ के जाली नोट दिल्ली से भेजे गए थे। पुलिस पाकिस्तान स्थित तस्करों इकबाल काना और इकबाल भटकी से नीरज के संबंधों की भी जांच कर रही है जो भारत में नकली नोटों खपाते थे।

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    झारखंड, बिहार, बंगाल व अन्य राज्यों के देहात में आसानी से खपाए जाते हैं कंप्यूटर प्रिंटेड नकली नोट

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। रांची में पकड़े गए दो करोड़ के जाली नोट कंप्यूटर द्वारा प्रिंट किए गए थे। कंप्यूटर प्रिंटेड इन नकली नोटों को ग्रामीण क्षेत्रों में खपाया जा रहा है। इनका कनेक्शन दिल्ली से होने की सूचना पर यहां की पुलिस सतर्क हो गई और पूरे गिरोह का मास्टरमाइंड बताए जा रहे नीरज की कुंडली तलाशने में जुट गई है।पुलिस इन नकली नोटों का पाकिस्तान कनेक्शन भी खंगाल रही है।

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    बस के माध्यम से दिल्ली से ही भेजे गए

    दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि रांची पुलिस से संपर्क कर दिल्ली पुलिस नीरज के बारे में जानकारी जुटा जा रही है, ताकि उसके पूरे नेटवर्क को ध्वस्त कर सके। नीरज ही कंप्यूटर प्रिंटेड जाली नोटों को देशभर में खपाता है। रांची में पकड़े गए दो करोड़ के जाली नोट बस के माध्यम से दिल्ली से ही भेजे गए थे।

    नोट हूबहू नहीं प्रिंट हो पाते

    जाली नोटों के मास्टरमाइंड नीरज का नाम रांची में पकड़े गए आरोपित मोहम्मद साबिर और साहिल कुमार से पूछताछ में सामने आया है। पुलिस अधिकारी का कहना है कि आमतौर पर इस तरह के कंप्यूटर प्रिंटेड जाली नोट हूबहू नहीं प्रिंट हो पाते हैं।

    मेट्रो सिटी से लेकर बड़े शहरों में इन नोटों को चलाना मुश्किल होता है। इसीलिए ऐसे नोट देहात के इलाकों में भेजे जाते हैं। कंप्यूटर प्रिंटेड नोटों के कागज की गुणवत्ता ठीक नहीं होती है।

    जाली नोट बनाने का धंधा 

    मशीनों से छापे गए जाली नोटों में विदेश से मंगाए गए उच्च गुणवत्ता के कागज का इस्तेमाल होता है। इसलिए ये नोट असली जैसे प्रतीत होते हैं। नीरज अपने नेटवर्क के जरिए पाकिस्तान से या अपने देश में मशीनों से छापे गए नकली नोट मंगवाता है या खुद कंप्यूटर से जाली नोट बनाने का धंधा करता है, इन सबके बारे में पुलिस पता लगाने में जुट गई है।

    उत्तराखंड में भी था गिरोह

    पुलिस अधिकारी का कहना है कि अगर कोई कंप्यूटर से नकली नोट तैयार कर रहा है तो ऐसा कहीं से भी किया जा सकता है। उसके बारे में पता लगा पाना पुलिस के लिए बहुत मुश्किल होता है। पुलिस अधिकारी का कहना है कि कुछ समय पहले उत्तराखंड पुलिस ने कुछ स्थानीय लोगों को नकली नोट की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार किए गए आरोपित कंप्यूटर प्रिंटेड नकली नोट देहात में चला रहे थे। सभी नोटों पर एक ही नंबर होने के कारण गिरोह पकड़ा गया था। 

    पाक से नकली नोटों का गिरोह चला रहे

    दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल का कहना है कि करीब ढाई-तीन दशक पहले मुजफ्फरनगर, कैराना का रहने वाला इकबाल काना और महाराष्ट्र के इकबाल भटकी ही नकली नोट के देश के सबसे बड़े तस्कर माने जाते थे।

    जांच एजेंसियों का दबाव बढ़ने पर दोनों पाकिस्तान भाग गए और वहां से ही भारत में नकली नोटों की आपूर्ति कर रहे हैं। काना ने 90 के दशक और भटकी ने 2001 में संसद हमले से पहले नकली नोटों का धंधा शुरू किया था।

    सेल का कहना है इनके नेटवर्क में शामिल दर्जनों तस्करों को दबोच कर सेल ने इनकी कमर तोड़ दी थी, जिसके बाद दिल्ली में नकली नोटों की आपूर्ति कुछ दशक से थम गई है। 

    भारत को कमजोर करने की साजिश

    पुलिस अधिकारी का कहना है कि पाकिस्तान भारत को आर्थिक रूप से कमजोर करने की साजिश रच रहा है। इसलिए वह भारत में तस्करी के जरिए नकली नोट भेज रहा है। उस कमाई से वहां भारत में आतंक फैलाने के लिए हथियार खरीदे जाते हैं।

    पाकिस्तान से भारत में नकली नोट नेपाल व बांग्लादेश के जरिये भेजे जाते हैं। पाकिस्तान में छपे नकली नोट हूबहू असली लगते हैं, क्योंकि वहां यह काम आइएसआइ कराती है।

    वहां पर सरकारी संस्थान में जिन मशीनों से असली नोटों की छपाई होती है, उन्हीं मशीनों से नकली नोट भी छापे जाते हैं, ताकि भारत में भेजने पर एजेंसियों की पकड़ में नहीं आए।

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