जीवन में असफलता का भी है अपना महत्व, सीखा देती है सफलता को छूने का हुनर
अगर आप किसी भी सफल व्यक्ति की जीवनी या आत्मकथा पढ़ें तो इसमें उनकी सफलता से अधिक असफलता के बारे में बात होती है। एक शेर है-च्हिम्मते मरदा मददे खुदाज् यानी भगवान भी उन्हीं की मदद करते हैं जो अपनी मदद स्वयं कर लेते हैं।

नई दिल्ली, डा. अनिल सेठी। हम सबको जीवन में कभी न कभी असफलता का सामना अवश्य करना पड़ता है और आज के दौर में यह अनुभव कुछ अधिक ही होने लगे हैं। लेकिन आप असफलता को किस तरह से लेते हैं, यह अधिक मायने रखता है। अगर आप किसी भी सफल व्यक्ति की जीवनी या आत्मकथा पढ़ें, तो इसमें उनकी सफलता से अधिक असफलता के बारे में बात होती है। एक शेर है-च्हिम्मते मरदा, मददे खुदाज् यानी भगवान भी उन्हीं की मदद करते हैं, जो अपनी मदद स्वयं कर लेते हैं। कहते हैं हार जाना एक बात है और हार मान लेना दूसरी बात। अगर आप हार मान लेते हैं, तो फिर आपकी कोई मदद नहीं कर सकता। इस बात को समझाने के लिए मैं अपने कालेज के दिनों की घटना बताता हूं, क्योंकि इस घटना का मुझ पर बहुत प्रभाव पड़ा और वह जीवन की बेहतरीन सीख बन गई।
मैं बीए फस्र्ट ईयर का स्टूडेंट था। ज्यादातर समय खेलने में ही बीतता था। हमारे स्पोट्र्स इंचार्ज का हमको पूरा सहयोग मिलता था और उनके मार्गदर्शन और मधुर व्यवहार के चलते हम लोग सभी तरह के खेलों में हिस्सा लेते थे। लेकिन क्रिकेट मेरे दिल के बहुत करीब था। एक दिन हमारे कालेज के ग्राउंड पर होने वाले स्टेट लेवल क्रिकेट टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में कालेज की टीम एक दूसरी टीम से हार गई और हमारी बहुत फजीहत हुई। दर्शकों ने हमारा बहुत मजाक उड़ाया। वह पल बहुत ही असहनीय था। लेकिन हमारे स्पोट्र्स सर ने कहा कि कोई बात नहीं, वह हमसे अच्छा खेले आज। आगे हमको फिर मौका मिलेगा। उस दिन पता चला कि च्फेलियर इज बिगर टीचरज्, क्योंकि हारने के बाद पूरी टीम ने मन ही मन दृढ़ निश्चिय करते हुए आज की गलतियों से शिक्षा लेने का प्रण किया और किसी तरह दिल को समझाया। उस दिन टीम की जीत के लिए खेल भावना के महत्व का पता चला कि खिलाड़ी को जीत और हार को कैसे सामान रूप से स्वीकार करना चाहिए, उसका सबक भी मिला। इसलिए कहा जाता है सफलता को दिमाग और असफलता को दिल पर नहीं लेना चाहिए।
मन के जीते जीत
एक साल कैसे बीत गया, पता ही नहीं चला। इस साल हमारी टीम उसी टूर्नामेंट के फाइनल में थी और सामने वही टीम थी, जिसने हमें पिछले साल सेमीफाइनल में हराया था। अब हम पिछले साल की हार को सोचकर घबरा सकते थे या प्रेरणा लेकर पिछले अनुभव से सीख। खैर, इस बार हमने हार नहीं मानी और जीत हासिल की। मुझे मैच के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी का अवार्ड भी मिला। यह सब किसी स्वप्न की तरह था, लेकिन जीवनभर के लिए एक सीख दे गया-मन के हारे हार है मन के जीते जीत। यह सीख मेरे जीवन में बहुत काम आई। जब-जब किसी तरह की असफलता मिलती है, तो मुझे ये पंक्तियां याद आती हैं, जो हमारे स्पोट्र्स सर ने बोली थी- असफलता एक चुनौती है, देखो और स्वीकार करो, जब तक न सफल हो नींद प्यास सब त्याग दो तुम, बिना कुछ किए किसी की जय जयकार नहीं होती, कोशिश करने वालों की जग में हार नहीं होती।'
डा. अनिल सेठी
मोटिवेटर एवं लाइफ कोच
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