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    सच के साथी सीनियर्स: दिल्ली के हरि नगर और ईस्ट ऑफ कैलाश में दी गई फैक्ट चेकिंग की ट्रेनिंग

    Updated: Mon, 14 Apr 2025 07:46 PM (IST)

    जागरण न्यू मीडिया के विश्वास न्यूज के सच के साथी सीनियर्स अभियान के तहत दिल्ली के हरि नगर और ईस्ट ऑफ कैलाश में फैक्ट-चेकिंग की बुनियादी ट्रेनिंग दी गई ...और पढ़ें

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    सच के साथी सीनियर्स दिल्ली में फैक्ट-चेकिंग की ट्रेनिंग।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्‍ली। विश्‍वास न्‍यूज के प्रतिष्ठि‍त मीडिया साक्षरता कार्यक्रम 'सच के साथी सीनियर्स' अभियान के तहत राजधानी के हरि नगर और ईस्ट ऑफ कैलाश में फैक्ट चेकिंग की बेसिक ट्रेनिंग दी गई। साथ में विश्‍वास न्‍यूज के एक्सपर्ट्स ने प्रतिभागियों को डिजिटल सेफ्टी के टिप्स भी दिए।

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    जागरण न्‍यू मीडिया की फैक्‍ट चेकिंग विंग विश्‍वास न्‍यूज की ओर से देशभर में वरिष्‍ठ नागरिकों को फैक्‍ट चेकिंग की ट्रेनिंग के तहत टीम दिल्‍ली के नागरिकों से रूबरू हुई। कार्यक्रम में मौजूद लोगों को संदिग्ध पोस्ट की जांच करने का तरीका सिखाया गया। रविवार को हरि नगर के माया एन्‍क्‍लेव में और सोमवार को ईस्‍ट ऑफ कैलाश के भगत सिंह पार्क में प्रशिक्षण दिया गया। इसके अलावा  डिजिटल फ्रॉड से बचने के तरीके भी बताए गए।

    कार्यक्रम में माया एन्क्लेव सीनियर सिटिजन वेलफेयर एसोसिएशन  के अध्‍यक्ष एचसी स‍हगल और और ईस्‍ट ऑफ कैलाश के संत नगर के सीनियर सिटिजन वेलफेयर एसोसिएशन के प्रेसिडेंट जीआर सहगल भी मौजूद थे।

    लोगों को फेक और भ्रामक सूचनाओं के खतरों से किया आगाह

    ईस्‍ट ऑफ कैलाश में आयोजित कार्यक्रम में विश्वास न्यूज की डिप्टी एडिटर देविका मेहता ने लोगों को जेनरेटिव एआई के फायदों और नुकसान के बारे में बताते हुए उन्हें फेक व भ्रामक सूचनाओं के खतरों से आगह किया। मेहता ने मिस-इन्फॉर्मेशन और डिस-इन्फॉर्मेशन के बीच अंतर को किस तरह पहचाना जाए इसके बारे में बताया। मेहता ने ओपन सर्च और गूगल लेंस का प्रयोग कर संदिग्ध पोस्ट की जांच करने का तरीका भी बताया। उन्‍होंने डिजिटल फ्रॉड से बचने के तरीके बताए। 

    लोगों को डिजिटल अरेस्ट के बारे में दी गई जानकारी

    उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया अकाउंट और ईमेल आईडी का पासवर्ड स्ट्रॉन्ग होना चाहिए और अलग-अलग होना चाहिए। पासवर्ड में स्पेशल कैरेक्टर्स का भी इस्तेमाल किया जाना चाहिए, ताकि अपने अकाउंट को हैक होने बचाया जा सके। इसके साथ ही उन्होंने गूगल लेंस के जरिए कैसे वायरल तस्वीर की पड़ताल की जा सकती है, इसका तरीका भी सिखाया।  उन्होंने लोगों को आजकल होने वाले साइबर ठग डिजिटल अरेस्ट, फिशिंग लिंक्स के बारे में विस्तार से बताया और किस तरह से फर्जी लिंक्स की पहचान की जा सकती है, इसकी पूरी जानकारी दी।  

    डीपफेक की पहचान करने को लेकर किया जागरुक

    कार्यक्रम में विश्‍वास न्‍यूज के एसोसिएट एडिटर व फैक्ट चेकर अभिषेक पराशर ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के बारे में बताते हुए उन्हें डीपफेक की पहचान करने और उससे बचाव के तरीकों के बारे में जागरूक किया। मेहता ने बताया कि वीडियो और फोटो के जरिए ही नहीं, बल्कि आवाज की नकल करके भी डीपफेक बनाए जा रहे हैं। 

    उन्‍होंने बताया कि डीपफेक वीडियो या एआई निर्मित तस्वीरों को पहचानने के तरीके बताए। उन्होंने कहा कि डीपफेक वीडियो में अक्सर किसी सेलिब्रेटी का चेहरा अन्य वीडियो पर लगाकर वायरल कर दिया जाता है। या फिर किसी की वॉयस क्लोन करके किसी अन्य वीडियो में जोड़ दी जाती है, जिससे वह वीडियो असली लगता है। इन्हें ध्यान से देखकर या सोर्स पर जाकर इनके बारे में पता किया जा सकता है।

    कार्यक्रम के अंत में सबको जागरूक रहते हुए किसी भी पोस्ट या संदेश को बिना जांचे-परखे आगे फॉरवर्ड न करने की नसीहत दी गई। कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों ने सवाल भी पूछे, जिनके जवाब एक्सपर्ट ने बखूबी दिए।

    15 राज्‍यों में कार्यक्रम

    इस तरह का कार्यक्रम दिल्ली से पहले उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, झारखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और बिहार में भी आयोजित किया जा चुका है। विश्‍वास न्‍यूज 15 राज्यों के 50 शहरों में वरिष्ठ और अन्य नागरिकों को मिस-इन्फॉर्मेशन के खिलाफ सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रशिक्षित कर रही है। गूगल न्यूज इनिशिएटिव की पहल पर MICA के सहयोग से विश्वास न्यूज के इस अभियान का उद्देश्य समाज को भ्रामक सूचनाओं से निपटने के लिए तैयार करने के साथ ही उन्हें फैक्ट चेक की बुनियादी जानकारी से रूबरू कराना है।

    'सच के साथी-सीनियर्स' अभियान के बारे में

    'सच के साथी-सीनियर्स' विश्वास न्यूज का जागरूकता के लिए प्रशिक्षण और मीडिया साक्षरता अभियान है। विश्वास न्यूज जागरण समूह की फैक्ट चेकिंग टीम है, जो अब तक करीब छह करोड़ से अधिक नागरिकों को जागरूकता अभियान से जोड़ चुकी है। विश्वास न्यूज टीम इंटरनेशनल फैक्ट चेकिंग नेटवर्क (आईएफसीएन) और गूगल न्यूज इनिशिएटिव के साथ फैक्ट चेकिंग और मीडिया लिटरेसी पर 2018 से काम कर रही है।