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    हेल्थ एंड फिटनेस: आंखों की खूबसूरती और रोशनी बढ़ाने के लिए 'आई योगा'

    By JP YadavEdited By:
    Updated: Thu, 26 Apr 2018 01:18 PM (IST)

    इससे आंखों के काले घेरे, झुर्रियों व कम होती रोशनी से निजात मिलती है।

    हेल्थ एंड फिटनेस: आंखों की खूबसूरती और रोशनी बढ़ाने के लिए 'आई योगा'

    गुरुग्राम (प्रियंका दुबे मेहता)। चेहरे पर सबसे प्रभावी हिस्सा होती हैं आंखें। आंखों की खूबसूरती सदियों से कवियों व शायरों की प्रेरणा रही हैं, लेकिन बदलती लाइफस्टाइल में आंखों में न तो वह चमक रही न ही खूबसूरती। भागदौड़ भरे जीवन में तनाव, काम का बोझ, प्रदूषण व बढ़ता स्क्रीन टाइम आंखों की खूबसूरती व रोशनी दोनों पर प्रभाव डाल रहा है। लोगों में फिटनेस के प्रति जागरूकता बढ़ रही है ऐसे में वे अपनी फिटनेस के लिए कसरत, योगा व डाइट मैनेजमेंट तो कर रहे हैं। लेकिन आंखों को खास लाभ नहीं पहुंच रहा है। इसके लिए फिटनेस एक्सपर्ट ने आई योगा का कॉन्सेप्ट निकाला है। इस कॉन्सेप्ट में आंखों की योगा की जाती है, जिससे आंखों के काले घेरे, झुर्रियों व कम होती रोशनी से निजात मिलती है।

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    क्या है आई योगा

    आंखों की समस्या इस कदर आम हो रही है कि लोगों को अब इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत पड़ रही है। पहले लोग विशेषज्ञों की सलाह पर अधिक समस्या होने की स्थिति में एक दो एक्सरसाइज कर लेते थे, लेकिन अब आई योगा को एक्सप‌र्ट्स बतौर रुटीन फिटनेस में शामिल करने की सलाह दे रहे हैं। इस योगा में हाथों की उंगलियों को अपने कंधों से थोड़ा ऊपर रखते हुए विभिन्न एंगल्स पर अंगूटे को देखने से न केवल आंखों की रोशनी बढ़ती है बल्कि आंखों के आसपास की मांसपेशियां भी मजबूत होती हैं। इससे ब्लड सर्कुलेशन यानि रक्त संचरण बढ़ने से डार्क सर्कल दूर होते हैं।

    मानसिक सुकून भी देता है आई योगा

    नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. हीतेंद्र हुजा के मुताबिक आंखों की मांसपेशियां ब्रेन के कुछ हिस्सों से जुड़ी हुई होती हैं। उनके मुताबिक योगा इन मांसपेशियों को मजबूत व एक्टिव करने का काम करता है। ऐसे में दिमाग भी मजबूत होता है और एकाग्रता बढ़ती है। इस तरह का योगा मेडिटेशन का हिस्सा भी है। इससे मानसिक सुकून बढ़ता है। आंखों से जुड़े ब्रेन के विशेष हिस्से पर प्रभाव पड़ता है, जिसे ब्रेन का मुख्य हाइवे कहा जा सकता है।

    ऐसे करें आई योगा

    पाल्मिंग - इसमें आंखों पर अपनी हथेलियों पर कुछ देर तक रखना होता है।

    ब्लिंकिंग - इसमें लगातार कुछ समय के लिए पलकों को झपकाना होता है।

    फोकसिंग - आंखों की पुतलियों को किनारों तक ले जाकर फोकस करना होता है।

    रोटेशन - आंखों की पुतलियों को कुछ समय के लिए घुमाना होता है।

    अप डाउन - आंखों की पुतलियों को ऊपर व नीचे लगातार कुछ समय के लिए करना होता है।