ब्यूटी क्रीम और स्टेरॉयड के ज्यादा इस्तेमाल से जा सकती है आंखों की रोशनी, AIIMS के डॉक्टरों ने चेताया
स्टेरॉयड युक्त सौंदर्य क्रीम आंखों की रोशनी के दुश्मन हैं। स्टेरॉयड युक्त सौंदर्य प्रसाधनों के इस्तेमाल से आंखों की रोशनी जा सकती है। एम्स दिल्ली के डॉक्टरों ने चेताया है कि स्टेरॉयड के दुष्प्रभाव से ग्लूकोमा (काला मोतिया) हो सकता है। ग्लूकोमा के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्व ग्लूकोमा जागरूकता सप्ताह मनाया जा रहा है। जानें ग्लूकोमा के लक्षण और बचाव के उपाय।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। स्टेरॉयड के दुष्प्रभाव से हड्डियों की बीमारी व त्वचा रोग तो होता ही है, इसके दुष्प्रभाव से आंखों की बीमारी ग्लूकोमा (काला मोतिया) भी हो सकता है। बाडी बिल्डिंग के लिए स्टेरॉयड के अधिक इस्तेमाल व स्टेरॉयड युक्त सौंदर्य क्रीम से आंखों की रोशनी जा सकती है। ऐसे मरीज एम्स के आरपी सेंटर में पहुंचते भी हैं।
मंगलवार को आरपी सेंटर के डॉक्टरों ने यह जानकारी दी। ग्लूकोमा के प्रति अभी जागरूकता का अभाव है। इसीलिए अभी विश्व ग्लूकोमा जागरूकता सप्ताह मनाया जा रहा है। एम्स के डॉक्टर बताते हैं कि देश में करीब सवा करोड़ लोग इससे पीड़ित हैं और यह अंधेपन का एक बड़ा कारण है।
आरपी सेंटर के प्रोफेसर डॉ. तनुज दादा ने बताया कि ग्लूकोमा होने पर आंखों के आप्टिक नर्व में खराबी आ जाती है। इसे धीरे-धीरे आंख की रोशनी जा सकती है। इस बीमारी के लक्षण नहीं होते।
इस कारण 90% मरीजों को इस बीमारी के बारे में पता नहीं होता। ज्यादातर मरीज तब इलाज के लिए अस्पताल पहुंचते हैं, जब एक आंख की रोशनी काफी हद तक कम हो चुकी होती है।
ब्लडप्रेशर कम होने से ग्लूकोमा होने का खतरा
डायबिटीज, हाई ब्लडप्रेशर व ब्लडप्रेशर कम होने से ग्लूकोमा होने का खतरा बढ़ जाता है। परिवार में किसी को यह बीमारी हो तो परिवार के अन्य सदस्यों में भी यह बीमारी होने का जोखिम 10 गुना अधिक होता है।
इसलिए जांच जरूर करानी चाहिए। ग्लूकोमा के कारण आंख की रोशनी कम होने पर उसे ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन दवा से बची हुई रोशनी को बचाया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि चेहरे पर आंख के आसपास के हिस्से पर क्रीम लगाने से धीरे-धीरे आंख की रोशनी खराब होती है। ओपीडी में पहुंचे 25 वर्षीय एक युवक आंखों का प्रेशर 40 था। पूछने पर उसने बताया कि वह चेहरे पर नियमित रूप से क्रीम लगाता है।
इसी तरह एक महिला क्रीम के इस्तेमाल के कारण अंधेपन के कगार पर पहुंचने पर इलाज के लिए पहुंची थी। हरियाणा के एक युवक की एक आंख की रोशनी चली गई थी, दूसरी आंख का प्रेशर 50 पहुंच गया था। वह युवक बाडी बिल्डिंग के लिए स्टेरॉयड इस्तेमाल करता था। अस्थमा के मरीजों को नियमित इनहेलर लेना पड़ता है। इसमें भी स्टेरॉयड होता है।
योग है फायदेमंद
डॉ. तनुज दादा ने बताया कि तनाव भी ग्लूकोमा बीमारी का कारण बन रहा है। तनाव से कोर्टिसोल हार्मोन बढ़ जाता है। एम्स में हुए अध्ययन में पाया गया कि कोर्टिसोल हार्मोन बढ़ने पर आंखों का भी प्रेशर बढ़ जाता है। अनुलोम विलोम, भ्रामरी प्राणायाम आिद करने से ग्लूकोमा के मरीजों को फायदा होता है, लेकिन ग्लूकोमा के मरीजों को शीर्षासन नहीं करना चाहिए।
डिस्पेंसरियों में एम्स शुरू करेगा प्राथमिक विजन केंद्र
एम्स के आरपी सेंटर के कम्युनिटी नेत्र विज्ञान विभाग के प्रभारी डॉ. प्रवीण वशिष्ठ ने बताया कि ग्लूकोमा स्क्रीनिंग के लिए देश में कोई स्वास्थ्य कार्यक्रम नहीं है। आरपी सेंटर एनसीआर में 21 प्राथमिक विजन केंद्र संचालित कर रहा है, जहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से युक्त फंडस फोटोग्राफी से ग्लूकोमा की स्क्रीनिंग की जाती है।
इसमें से 10 प्राथमिक विजन केंद्र दिल्ली सरकार के डिस्पेंसरियों में चल रहे हैं। दिल्ली में 250 डिस्पेंसरियां हैं। दिल्ली में नई सरकार बनी है। यदि सरकार स्वीकृति दे तो आरपी सेंटर सभी डिस्पेंसरियों में सप्ताह में एक दिन आंखों की स्क्रीनिंग की सुविधा शुरू कर सकता है। सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा।
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