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    बैन के एक साल बाद भी सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक नहीं! दिल्ली समेत छह जगहों पर धड़ल्ले से हो रहा इस्तेमाल

    By sanjeev GuptaEdited By: Abhi Malviya
    Updated: Sat, 01 Jul 2023 01:28 AM (IST)

    देशभर में सिंगल यूज प्लास्टिक (एसयूपी) के इस्तेमाल पर प्रतिबंध को भले ही एक साल पूरा हो गया हो लेकिन इस पर रोक अब तक नहीं लग पाई है। आलम यह है कि कमोबेश सभी जगह एसयूपी उत्पाद न केवल उपलब्ध हैं बल्कि इनका इस्तेमाल भी खूब धड़ल्ले से हो रहा है। यहां तक कि इससे संबंद्ध शिकायतों का निपटान भी गंभीरता से नहीं हो रहा है।

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    ई दिल्ली-प्रतिबंध के एक साल बाद भी राजधानी में अनेकों जगह इस्तेमाल हो रहा है प्लास्टिक स्ट्रा। (फोटो- जागरण)

    नई दिल्ली, संजीव गुप्ता। देशभर में सिंगल यूज प्लास्टिक (एसयूपी) के इस्तेमाल पर प्रतिबंध को भले ही एक साल पूरा हो गया हो, लेकिन इस पर रोक अब तक नहीं लग पाई है। आलम यह है कि कमोबेश सभी जगह एसयूपी उत्पाद न केवल उपलब्ध हैं, बल्कि इनका इस्तेमाल भी खूब धड़ल्ले से हो रहा है। यहां तक कि इससे संबंद्ध शिकायतों का निपटान भी गंभीरता से नहीं हो रहा है।

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    एक जुलाई 2022 से दिल्ली सहित देशभर में सिंगल यूज प्लास्टिक से बनी 19 वस्तुओं पर प्रतिबंध लगाया गया था। इन वस्तुओं का न तो उत्पादन हो सकता है, न बिक्री एवं न ही आपूर्ति। नियमों के उल्लंघन पर एक लाख रुपये के जुर्माने और सात साल तक की सजा का प्रविधान रखा गया है।

    लेकिन एक साल बाद की स्थिति कतई संतोषजनक नहीं है। कम से कम दिल्ली में उक्त सभी आइटम पहले की ही तरह मिल रहे हैं। दिल्ली से इतर भी इन वस्तुओं की बिक्री जारी है। हैरत की बात यह कि इनसे जुड़ी शिकायतें भी दूर नहीं हो रही हैं। मार्च 2023 तक प्राप्त शिकायतों में से एक चौथाई का निपटारा नहीं हो पाया है।

    सिंगल यूज प्लास्टिक से बनी चीजों में वे वस्तुएं शामिल हैं जिन्हें एक बार इस्तेमाल करके फेंक दिया जाता है। इनमें प्लास्टिक के स्ट्रा, इयरबड्स, गुब्बारों में लगने वाली प्लास्टिक की स्टिक, सजावट में इस्तेमाल होने वाला थर्माकोल, आइसक्रीम स्टिक, कैंडी स्टिक, कप, झंडे, चाकू-छुरी, ट्रे, मिठाई के डिब्बे, शादी के कार्ड पर इस्तेमाल होने वाली शीट, मिठाई के डिब्बे पर इस्तेमाल होने वाली शीट, सिगरेट के पैकेट पर लगी पन्नी जैसे 19 आइटम शामिल हैं।

    दिल्ली में हर दिन निकलता है 1100 टन से ज्यादा प्लास्टिक कचरा

    राजधानी में हर दिन 1,113.25 टन प्लास्टिक कचरा निकलता है। इसका बड़ा हिस्सा ऐसी प्लास्टिक चीजों का होता है जो सिंगल यूज प्लास्टिक से बनी होती हैं। हैरत की बात यह भी कि इसमें से बमुश्किल 870 टन का ही प्रबंधन या रिसाइक्लिंग किया जा रहा है। मतलब, 242 टन या यानी राष्ट्रीय राजधानी में 22 प्रतिशत प्लास्टिक कचरा पर्यावरण को हानि ही पहुंचा रहा है।

    देशभर में शिकायतों की संख्या तो बढ़ी, निपटारा नहीं

    माह                 प्राप्त शिकायतें                     सुलझीं शिकायतें

    सितंबर 2022             3,619                                816

    नवंबर 2022               5,071                             1,148

    जनवरी 2023             5,895                              1,491

    मार्च 2023                 6,093                              1,514

    देशभर के प्रमुख 20 शहरों में एसयूपी शिकायतों का ब्यौरा (मार्च 2023 तक)

    शहर          प्राप्त शिकायतें            सुलझीं शिकायतें

    दिल्ली               733                              375

    बंगलुरू              404                              242

    मेरठ                 364                                 0

    लखनऊ             273                                 0

    पुणे                    239                               117

    बरेली                 228                                 0

    गाजियाबाद          217                                19

    पटना                180                                 22

    जयपुर              178                                  13

    अजमेर            143                                   58

    गुरुग्राम           143                                    48

    प्रयागराज         141                                    0

    वडोदरा            126                                   43

    ग्वालियर          125                                    29

    कोलकाता        119                                    19

    आगरा             113                                    75

    चंडीगढ़             99                                     0

    एर्नाकुलम         91                                      0

    चेन्नई                85                                     54

    देहरादून          82                                      2

    क्या बोले IPCA के निदेशक?

    एनसीआर ही नहीं, देशभर में सिंगल यूज प्लास्टिक पर लगा प्रतिबंध कारगर साबित नहीं हो पाया है। संगठित क्षेत्र में ही इस प्रतिबंध का थोड़ा बहुत असर नजर आता है। असंगठित क्षेत्र में तो सब कुछ पहले जैसा ही चल रहा है। इसकी एकमात्र वजह सख्ती का अभाव है। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और स्थानीय प्रशासन उल्लंघन करने वालों पर नकेल नहीं कस पा रहा है। बहुत सी जगह वोट बैंक की राजनीति भी आड़ आ रही है।

    - आशीष जैन, निदेशक, इंडियन पल्यूशन कंट्रोल एसोसिएशन (आइपीसीए)