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    नई इमारतों में ई-चार्जिंग अनिवार्य करने से ही सुलझेगा मामला, राष्ट्रीय राजमार्गों का विद्युतीकरण करने की योजना

    भारत स्वच्छ परिवहन शिखर सम्मेलन में ईवी नीति और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की चुनौतियों पर चर्चा हुई। विशेषज्ञों ने तकनीकी अनिश्चितता और वित्तीय प्रभावों को बाधा बताया। 2030 तक निर्माण क्षेत्र में वृद्धि से चार्जिंग नेटवर्क को एकीकृत करने का अवसर मिलेगा। सरकार राष्ट्रीय राजमार्गों का विद्युतीकरण करने की योजना बना रही है जिससे लंबी दूरी की ई-बस सेवाएं सुलभ होंगी।

    By sanjeev Gupta Edited By: Rajesh Kumar Updated: Tue, 26 Aug 2025 11:22 PM (IST)
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    शिखर सम्मेलन में ईवी नीति और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की चुनौतियों पर चर्चा हुई। फाइल फोटो

    संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। भारत स्वच्छ परिवहन शिखर सम्मेलन के दूसरे और अंतिम दिन, विभिन्न राज्यों की ईवी नीति और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में आ रही समस्याओं पर चर्चा की गई। साथ ही, समाधान के सुझाव भी प्रस्तुत किए गए।

    विशेषज्ञों ने कहा कि तकनीकी अनिश्चितता, वित्तीय प्रभाव और अग्नि सुरक्षा इस दिशा में प्रमुख बाधाएँ हैं। हालाँकि, देश का निर्माण क्षेत्र ईवी भविष्य के लिए चार्जिंग नेटवर्क को एकीकृत करने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है।

    अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छ परिवहन परिषद (ICCT) के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी ड्रू कोडजक, प्रबंध निदेशक (भारत) अमित भट्ट, सहयोगी शोधकर्ता भौमिक गोवंडे और रेवती प्रदीप ने कहा कि 2030 तक हर साल 700 से 900 मिलियन वर्ग मीटर के नए आवासीय और व्यावसायिक निर्माण की संभावना है। इस कारण, भवन उप-नियमों और स्थानिक नियोजन मानदंडों में ईवी चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को शामिल करना बेहद ज़रूरी है।

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    उन्होंने यह भी कहा कि 36 भारतीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 32 ईवी नीति के किसी न किसी चरण में हैं। 32 में से 20 राज्यों ने नए भवनों में ईवी चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को अनिवार्य बनाने की योजना बनाई है। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश ने कानूनी प्रावधान करके इसे लागू करना शुरू कर दिया है।

    आईसीसीटी की नवीनतम अध्ययन रिपोर्ट मंगलवार को शिखर सम्मेलन में भारत के पूर्व जी-20 शेरपा अमिताभ कांत द्वारा भी जारी की गई। रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकार पीएम ई-ड्राइव पहल के तहत 40 राष्ट्रीय राजमार्गों का विद्युतीकरण करने की योजना बना रही है, जिससे 250 से 350 किलोमीटर या उससे अधिक की विश्वसनीय अंतर-शहरी ई-बस सेवाएँ संभव होंगी।

    इससे देश के 10,000 से अधिक कस्बों और शहरों के लिए लंबी दूरी की यात्रा में बड़ा बदलाव आ सकता है। अपने संबोधन में, अमिताभ कांत ने भारत के लिए स्वच्छ परिवहन क्षेत्र में 200 अरब अमेरिकी डॉलर के अवसर का आकलन करके एक सशक्त संदेश भी दिया।

    कांत ने मौजूदा भारी-भरकम वाहनों के बेड़े के विद्युतीकरण के अवसर और ट्रकों व बसों के रेट्रोफिटिंग की तत्काल आवश्यकता पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा, "ई-बस निविदाओं का व्यापक विस्तार 10 लाख बसों तक की खरीद को संभव बनाएगा और भारत को वैश्विक ई-बस उत्पादक बनाएगा।

    भारी उद्योग मंत्रालय और केंद्रीय सड़क एवं राजमार्ग मंत्रालय, दोनों को इस पहल को आगे बढ़ाते हुए नेतृत्वकारी भूमिका निभानी होगी। प्रमुख राजमार्ग गलियारों पर रेंज की चिंता को कम करने के लिए मज़बूत चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने की आवश्यकता है।

    इसके लिए, हमें शक्तिशाली इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना होगा, बैटरी स्वैपिंग को बढ़ावा देना होगा और निश्चित लागत वाली लॉजिस्टिक्स को सक्षम बनाना होगा।"