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    G20 Summit in Delhi: 'दुनिया से कार्बन की मात्रा...', जी-20 शिखर सम्मेलन से पर्यावरण विशेषज्ञों को भी आस

    By sanjeev GuptaEdited By: Abhi Malviya
    Updated: Tue, 29 Aug 2023 12:32 AM (IST)

    जी-20 शिखर सम्मेलन में अनेक मुद्दों पर चर्चा के साथ जलवायु खतरे से निपटने के उपायों का एजेंडा भी शामिल किया जाएगा। इस दौरान भारत के पास इन खतरों से निपटने के लिए वित्त के प्रावधान सुनिश्चित कराने के वास्ते किसी समझौते को सामने लाने का अवसर होगा। क्लाइमेट ट्रेंडस की ओर से इस मुद्दे पर आयोजित कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने यह बात कही।

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    भारत के पास दुनिया को एक अलग मॉडल दिखाने का अवसर है।

    नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। जी-20 शिखर सम्मेलन में अनेक मुद्दों पर चर्चा के साथ जलवायु खतरे से निपटने के उपायों का एजेंडा भी शामिल किया जाएगा। इस दौरान भारत के पास इन खतरों से निपटने के लिए वित्त के प्रावधान सुनिश्चित कराने के वास्ते किसी समझौते को सामने लाने का अवसर होगा। क्लाइमेट ट्रेंडस की ओर से इस मुद्दे पर आयोजित कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने यह बात कही।

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    दरअसल, जी-20 देशों की ऊर्जा, जलवायु एवं पर्यावरण से संबंधित बैठकों का आयोजन पिछले महीने हुआ। इनमें एक व्यापक श्रृंखला रूपी मसलों का हल निकालने के लिए कड़ी मेहनत की गई। इनसे यह तय होगा कि जी-20 समूह क्या ऊर्जा और वित्त रूपी दो प्रमुख पहलुओं के इर्द-गिर्द खड़े दीर्घकालिक मुद्दों को लेकर किसी समाधान तक पहुंच पाता है या नहीं।

    जीईपीपी के उपाध्यक्ष ने कही बड़ी बातें

    द ग्लोबल एनर्जी एलाइंस फार पीपुल एंड प्लेनेट (जीईएपीपी) के उपाध्यक्ष सौरभ कुमार ने ‘ब्लेंडेड फाइनेंस' (मिश्रित वित्त) का जिक्र करते हुए कहा कि क्या दुनिया में कार्बन की मात्रा कम करने के लिए जितने धन की जरूरत है, उतना उपलब्ध होगा? इसीलिए ब्लेंडेड फाइनेंस पर सवाल खड़ा होता है।

    दुनिया को कार्बन की मात्रा कम करने के लिए पूंजी की जरूरत है। भारत के पास दुनिया को एक अलग मॉडल दिखाने का अवसर है।

    ‘काउंसिल आन एनर्जी एनवायरनमेंट एंड वाटर (सीईईडब्ल्यू) में फेलो वैभव चतुर्वेदी ने कहा कि अपनी दीर्घकालिक रणनीतियों के मामले में कुछ देशों की स्थिति स्पष्ट है।

     इन देशों ने मुद्दे को लेकर जताई संकल्पद्धता

    उन्होंने आगे कहा कि वैश्विक उत्तर क्षेत्र के सिर्फ पांच सदस्य देशों ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी, जापान और ब्रिटेन ने ग्लोबल साउथ के देशों को जलवायु संबंधी वित्त उपलब्ध कराने को लेकर अपनी संकल्पद्धता जताई। दूसरे देश इस बारे में बात तक नहीं करना चाहते।

    उन्होंने कहा, 'हाल ही में जलवायु संबंधी विशेष अमेरिकी दूत जान केरी ने कहा कि उनका देश ‘लॉस एंड डैमेज फंड' के नाम पर एक भी पैसा नहीं देगा। उनका यह संदेश बिल्कुल स्पष्ट है।'

    जी-20 में केवल 11 सदस्य देश दीर्घकाल में क्षमता विकास की बात करते हैं। कई दिलचस्प चीजें उभर कर आ रही हैं लेकिन इन नई चीजों को लेकर आम राय अभी दूर की कौड़ी है।