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    अब इंजीनियरिंग के स्टूडेंट सीखेंगे रोबोट चलाने का तरीका, बचेगा समय और संवरेगा भविष्य

    Updated: Thu, 19 Dec 2024 09:23 AM (IST)

    गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के पूर्वी दिल्ली कैंपस में स्थापित एडवांस इंडस्ट्रियल रोबोटिक्स लैब (एआइआरएल) इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों के लिए वरदान साबित हो रही है। इस लैब में दो रोबोट हैं जिनके माध्यम से बीटेक के विद्यार्थियों को वेल्डिंग ऑपरेशन टर्निंग आपरेशन पिक एंड प्लेट आपरेशन की ट्रेनिंग दी जा रही है। इस लैब से 2500 से अधिक विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा।

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    रोबोटिक लैब से पढ़ाई के साथ ही प्रैक्टिकल जानकारी ले सकेंगे विद्यार्थी। (फाइल फोटो)

    रिषभ बाजपेयी, पश्चिमी दिल्ली। गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के पूर्वी दिल्ली कैंपस के इंजीनियरिंग के विद्यार्थी अब रोबोटिक लैब में रोबोट तैयार करने, डिजाइन करने या फिर उसे चलाने तक की सारी कलाएं सीख पाएंगे। इससे विद्यार्थियों के सबसे कीमती ''समय'' की बचत होगी।

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    यूं कह सकते हैं कि अब विद्यार्थी पढ़ाई के साथ ही प्रैक्टिकल भी कर के देख पाएंगे। चार साल का बीटेक करने के बाद जो विद्यार्थी रोबोट को चलाने और उसे तैयार करने की बारीकियां सीखने में दो साल या उससे अधिक का समय लगा देते हैं वह बचेगा।

    कितने महीने मिलेगी ट्रेनिंग?

    इस लैब में दो रोबोट हैं, जिनके माध्यम से बीटेक के विद्यार्थियों को वेल्डिंग ऑपरेशन, टर्निंग ऑपरेशन, पिक एंड प्लेट ऑपरेशन की ट्रेनिंग दी जाएगी। अच्छी बात यह है कि दूसरे विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राओं के लिए भी अलग से स्किल प्रोग्राम चलाए जाएंगे, जो कि छह महीने तक के होंगे।

    गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के पूर्वी दिल्ली कैंपस स्थित यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ ऑटोमेटिक एंड रोबोटिक (यूएसएआर) में 12 दिसंबर को एडवांस इंडस्ट्रियल रोबोटिक्स लैब (एआइआरएल) का उद्घाटन हुआ है।

    80 लाख रुपये की लागत में तैयार हुई लैब

    इस लैब में दो रोबोट हैं, जिसमें एक सीरियल रोबोटिक आर्ट 20 किलोग्राम और दूसरा छह किलो डेल्टा रोबोट है। लैब में 30 लोगों के खड़े होने की क्षमता है, जबकि रोबोट की ट्रेनिंग लेने के लिए एक बार में पांच विद्यार्थी ही अंदर जा सकते हैं।

    2,500 से अधिक विद्यार्थियों को मिलेगा लाभ

    इस लैब को तैयार करने में करीबन 80 लाख रुपये की लागत आई है। वहीं रोबोटिक्स के प्रोफेसर अजय सिंह ने बताया कि इस रोबोटिक लैब से विद्यार्थी पढ़ाई करने के साथ ही प्रैक्टिकल जानकारी भी ले पाएंगे। इस कैंपस में 2,500 से अधिक विद्यार्थी ऐसे हैं जिन्हें इस लैब से लाभ मिलेगा।

    लैब में इस समय रोबोट द्वारा विद्यार्थियों को हम वेल्डिंग ऑपरेशन की जानकारी दे रहे हैं। अभी पहले विद्यार्थियों को यह बताया जा रहा है कि रोबोट को कैसे चलाना है। इसके लिए क्या शोध और प्रोग्रामिंग करनी हैं।

    एक बार में हम पांच विद्यार्थियों को लैब में लेकर जाते हैं और उन्हें रोबोट को चलाने और उसे तैयार करने के बारे में जानकारी देतेहैं। इस लैब में विद्यार्थियों के सीखने के बाद नौकरी में उन्हें बहुत आसानी रहेगी। साथ ही पढ़ाई के बाद वह जो ट्रेनिंग में समय लगाते हैं उसकी भी बचत होगी।

    रोबोट से रहना होता है एक मीटर तक दूर

    प्रो. अजय सिंह बताते हैं कि लैब में विद्यार्थियों के साथ सावधान करने की जरूरत होती है। हम रोबोट से एक मीटर की दूरी पर विद्यार्थियों को खड़ा करते हैं, क्योंकि वह मशीन है। रोबोट से कितनी दूरी पर लोगों का खड़ा होना है यह उस पर लिखा होता है। यह कंपनी से ही तय होकर आता है, इसे घटाया या बढ़ाया नहीं जा सकता है। इसे रोबोटिक वर्क स्पेस कहा जाता है।

    रोबोट हरकत करे तो कैसे करते हैं कंट्रोल

    रोबोटिक्स के प्रोफेसर अजय सिंह का कहना है कि जब रोबोट में हम कोई प्रोग्राम डालते हैं तो वह कही करता रहता है। जैसे किसी चाय के कप को उठाना और रखना है तो रोबोट वही करता रहेगा। जब तक उसे बंद नहीं किया जाए, क्योंकि वह मशीन है इसलिए वह थकती नहीं है।

    इन रोबोट के काम करने की क्षमता छह मिनट प्रति सेकेंड की होती है लेकिन हम ट्रैनिंग की वजह से इसे कम कर के चलते हैं। विद्यार्थियों की सिखाते समय अगर रोबोट गलत हरकत करने लग जाता है तो इसके लिए इमरजेंसी स्टाप का बटन होता है तो उससे यह बंद हो जाता है।

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