नई इमारतों में लगाना होगा ई-चार्जिंग सिस्टम, इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए बड़े बदलाव की तैयारी
स्वच्छ परिवहन के लिए इलेक्ट्रिक वाहन महत्वपूर्ण हैं लेकिन कुछ चिंताएं अभी भी बनी हुई हैं। भारत के निर्माण क्षेत्र में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग नेटवर्क बनाने का अच्छा मौका है। 2030 तक देश को लगभग नौ गीगावाट चार्जिंग क्षमता की जरूरत होगी। सरकार राष्ट्रीय राजमार्गों को इलेक्ट्रिक बनाने की योजना बना रही है। कई राज्य ईवी नीतियां बना रहे हैं।

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। स्वच्छ परिवहन के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना जरूरी है। हालांकि, तकनीकी अनिश्चितता, वित्तीय निहितार्थ और अग्नि सुरक्षा संबंधी चिंताएं अभी भी बड़ी बाधाएं बनी हुई हैं। भारत का निर्माण क्षेत्र इलेक्ट्रिक वाहनों के भविष्य के लिए चार्जिंग नेटवर्क को एकीकृत करने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है।
अंतर्राष्ट्रीय स्वच्छ परिवहन परिषद (ICCT) के नवीनतम अध्ययन से संकेत मिलता है कि 2030 तक सालाना 700 से 900 मिलियन वर्ग मीटर नए आवासीय और वाणिज्यिक निर्माण होने की उम्मीद है। इसलिए, भवन निर्माण नियमों और स्थानिक नियोजन मानकों में इलेक्ट्रिक वाहनों के चार्जिंग बुनियादी ढांचे को शामिल करना बेहद जरूरी है। यह भी ध्यान देने योग्य है कि भारत को 2030 तक लगभग नौ गीगावाट चार्जिंग क्षमता की आवश्यकता होगी।
रिपोर्ट में बताया गया है कि सरकार पीएम ई-ड्राइव पहल के तहत 40 राष्ट्रीय राजमार्गों का विद्युतीकरण करने की योजना बना रही है, जिससे 250 से 350 किलोमीटर या उससे अधिक की दूरी के लिए विश्वसनीय अंतर-शहर ई-बस सेवाएं संभव होंगी। इससे देश भर के 10,000 से अधिक कस्बों और शहरों के लिए लंबी दूरी की यात्रा में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकता है।
आईसीसीटी के प्रबंध निदेशक (भारत) अमित भट्ट ने बताया कि 36 में से 32 भारतीय राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ईवी नीति के किसी न किसी चरण में हैं। इन 32 राज्यों में से 20 नए भवनों में ईवी चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर अनिवार्य करने की योजना बना रहे हैं। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश पहले ही कानून बना चुके हैं और उसे लागू कर रहे हैं। दिल्ली भी इस पहल को बढ़ावा दे रही है।
उन्होंने मौजूदा भारी-भरकम वाहनों के बेड़े के विद्युतीकरण के अवसर और ट्रकों व बसों के रेट्रोफिटिंग की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "ई-बस निविदाओं का उल्लेखनीय विस्तार 10 लाख तक बसों की खरीद को संभव बनाएगा और भारत को वैश्विक ई-बस निर्माता बना सकता है।
भारी उद्योग मंत्रालय और केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, दोनों को नेतृत्वकारी भूमिका निभानी चाहिए और इस पहल को आगे बढ़ाना चाहिए। प्रमुख राजमार्ग गलियारों पर रेंज की चिंता को कम करने के लिए मज़बूत चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने की आवश्यकता है। इसे प्राप्त करने के लिए, हमें मज़बूत इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना होगा, बैटरी स्वैपिंग को बढ़ावा देना होगा और निश्चित-लागत वाली लॉजिस्टिक्स को सक्षम बनाना होगा।"
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