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    दिल्ली जल बोर्ड में भ्रष्टाचार का मामला, ED की कई राज्यों में छापामारी, जब्त किए 41 लाख रुपये और अहम दस्तावेज

    Delhi News दिल्ली के जल बोर्ड के भ्रष्टाचार के मामले में ईडी की टीम ने कई राज्यों में छापामारी की है। छापामारी के दौरान ईडी की टीम ने कई अहम दस्तावेज और डिजिटल डिवाइस जब्त किए हैं। इस दौरान टीम ने लाखों रुपयों की नकदी भी बरामद की है। जानिए आखिर दिल्ली जल बोर्ड के भ्रष्टाचार का पूरा मामला क्या है।

    By Jagran News Edited By: Kapil Kumar Updated: Fri, 05 Jul 2024 02:09 PM (IST)
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    ईडी की टीम ने देश के कई राज्यों में छापामारी की है।

    पीटीआई, नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय ने शुक्रवार को एक बड़ी जानकारी दी है। ईडी ने कहा कि उसने दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) द्वारा कुछ सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के विस्तार में कथित भ्रष्टाचार से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले के तहत की गई तलाशी के दौरान 41 लाख रुपये नकद और 'अपराध सिद्ध करने वाले' दस्तावेज और डिजिटल डिवाइस जब्त किए।

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    देश के कई राज्यों में की गई छापामारी

    जांच एजेंसी ने एक बयान में कहा कि छापामारी तीन जुलाई को शुरू की गई और दिल्ली, अहमदाबाद, मुंबई और हैदराबाद में कई जगहों पर की गई थी।

    मनी लॉन्ड्रिंग की जांच दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) की एक एफआईआर से उपजी है, जो यूरोटेक एन्वायरन्मेंटल प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी और अन्य के खिलाफ है, जिसमें पप्पनकला, निलोठी (पैकेज 1), नजफगढ़, केशोपुर (पैकेज 2), कोरोनेशन पिलर, नरेला, रोहिणी (पैकेज 3) और कोंडली (पैकेज 4) में 10 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के संवर्धन और उन्नयन के नाम पर डीजेबी में घोटाला करने का आरोप लगाया गया है।

    बताया गया कि 1,943 करोड़ रुपये के चार टेंडर अक्टूबर, 2022 में विभिन्न संयुक्त उद्यम (जेवी) संस्थाओं को दिए गए थे। ईडी के अनुसार, एसीबी द्वारा दर्ज एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि चार टेंडरों में केवल तीन जेवी कंपनियों ने भाग लिया था।

    एफआईआर में लगाया गया ये आरोप

    ईडी के अनुसार, दो संयुक्त उद्यमों को एक-एक टेंडर मिला, जबकि एक संयुक्त उद्यम को दो टेंडर मिले। तीनों संयुक्त उद्यमों ने चार एसटीपी टेंडरों में आपसी सहमति से भाग लिया, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि प्रत्येक को टेंडर मिले। एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि टेंडरिंग की शर्तों को 'प्रतिबंधात्मक' बनाया गया था, जिसमें आईएफएएस तकनीक को अपनाना भी शामिल था, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कुछ चुनिंदा संस्थाएं चार बोलियों में भाग ले सकें।

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    केंद्रीय एजेंसी के अनुसार, 'शुरू में लागत अनुमान 1,546 करोड़ रुपये था, लेकिन निविदा प्रक्रिया के दौरान इसे संशोधित कर 1,943 करोड़ रुपये कर दिया गया।' 'यह भी आरोप लगाया गया है कि तीनों संयुक्त उद्यमों को बढ़ी हुई दरों पर अनुबंध दिए गए, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ।'

    1,943 करोड़ रुपये के दिए थे चार टेंडर

    ईडी ने कहा कि उसकी जांच में पाया गया कि एसटीपी से संबंधित 1,943 करोड़ रुपये मूल्य के चार टेंडर डीजेबी ने तीन संयुक्त उद्यमों को दिए थे। एजेंसी ने कहा कि सभी चार टेंडरों में, दो संयुक्त उद्यम (तीन सामान्य संयुक्त उद्यमों) ने प्रत्येक टेंडर में भाग लिया और तीनों संयुक्त उद्यमों ने टेंडर हासिल किए।

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    बताया गया कि उन्नयन और वृद्धि के लिए डीजेबी द्वारा अपनाई गई लागत समान थी, हालांकि उन्नयन की लागत वृद्धि की लागत से कम है। सभी तीन संयुक्त उद्यमों ने टेंडर हासिल करने के लिए ताइवान परियोजना से जारी एक ही अनुभव प्रमाण पत्र डीजेबी को प्रस्तुत किया और इसे बिना किसी सत्यापन के स्वीकार कर लिया गया। तीनों संयुक्त उपक्रमों ने चार निविदाओं से संबंधित कार्य को हैदराबाद स्थित यूरोटेक एन्वायरन्मेंटल प्राइवेट लिमिटेड को 'उप-अनुबंधित' किया।

    तलाशी के दौरान जब्त किए 41 लाख रुपये

    ईडी के अनुसार, निविदा दस्तावेजों के सत्यापन से पता चलता है कि चार निविदाओं की प्रारंभिक लागत लगभग 1,546 करोड़ रुपये थी, जिसे उचित प्रक्रिया/परियोजना रिपोर्ट का पालन किए बिना संशोधित कर 1,943 करोड़ रुपये कर दिया गया। वहीं, तलाशी के दौरान 41 लाख रुपये नकद, विभिन्न आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य जब्त किए गए।