JNU प्रशासन ने नहीं किया ये काम तो रद्द हो जाएंगे चुनाव, चुनाव समिति ने दिए निर्देश
जेएनयू छात्र संघ चुनाव के लिए गठित चुनाव समिति ने विश्वविद्यालय प्रशासन से दिल्ली पुलिस की सुरक्षा की मांग की है। समिति का कहना है कि उनकी जान को खतरा है और सुरक्षा नहीं मिलने पर चुनाव प्रक्रिया शुरू नहीं होगी। चुनाव चार दिन के लिए रोक दिए गए हैं और अगर समस्या का समाधान नहीं हुआ तो चुनाव रद्द भी हो सकता है।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (JNUSU) चुनाव के लिए गठित चुनाव समिति (EC) ने विश्वविद्यालय प्रशासन को पत्र भेजकर दिल्ली पुलिस से सुरक्षा की मांग की है। ईसी सदस्यों ने कहा है कि उनकी जान को खतरा है।
सुरक्षा प्रदान करने के निर्देश
उन्होंने कहा है कि जेएनयू प्रशासन द्वारा मुहैया कराई गई सुरक्षा अपर्याप्त है। उन्होंने कहा है कि जब तक सुरक्षा मुहैया नहीं कराई जाती, चुनाव प्रक्रिया शुरू नहीं होगी। अगर सुरक्षा मुहैया नहीं कराई गई तो चुनाव रद्द भी हो सकते हैं। विश्वविद्यालय सूत्रों की मानें तो उन्हें ऐसा कोई पत्र नहीं मिला है।
जेएनयू छात्र संघ चुनाव प्रक्रिया चार दिन के लिए रोक दी गई है। नामांकन के दौरान हुए विवाद के बाद चुनाव समिति प्रमुख ने आदेश जारी कर चुनाव को अस्थायी रूप से रोक दिया है। चुनाव समिति के सूत्रों का कहना है कि नामांकन वापसी की तिथि बढ़ाने का फैसला सर्वसम्मति से लिया गया है।
इसमें कोई पक्षपातपूर्ण रवैया नहीं अपनाया गया है। लेकिन, जब नामांकन प्रक्रिया चल रही थी, तब छात्रों ने हंगामा किया। उन्होंने बैरिकेड्स तोड़ दिए। उन्होंने शीशे तोड़ दिए। उन्होंने जबरन दरवाजे खोल दिए और कार्यालय में घुस गए। जेएनयू प्रशासन की ओर से तैनात सुरक्षाकर्मी तमाशबीन बने देखते रहे। इससे चुनाव समिति सदस्यों की सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हो गया है।
इसके बाद चुनाव समिति सदस्यों ने बैठकर चर्चा की। वे कुलपति से मिलने भी गए, लेकिन उन्होंने उनसे मिलने से इनकार कर दिया। इसके बाद उन्होंने डीन स्टूडेंट वेलफेयर को लिखित पत्र दिया है। उन्होंने चुनाव प्रक्रिया पूरी करने के लिए दिल्ली पुलिस की तैनाती की मांग की है।
चुनाव समिति सदस्य ने कहा, अभी चुनाव शुरू ही हुए हैं। मतदान और मतगणना का महत्वपूर्ण काम अभी बाकी है।अगर मौजूदा हालात में गार्ड सुरक्षा नहीं दे पा रहे हैं, तो पांच हजार छात्रों की मौजूदगी में उनसे सुरक्षा की उम्मीद नहीं की जा सकती।
जेएनयू के एक अधिकारी ने कहा, "चुनाव समिति के अधिसूचित होने के बाद जेएनयू प्रशासन की ओर से कोई हस्तक्षेप नहीं होता है। जेएनयू चुनाव में पुलिस कभी शामिल नहीं रही है। अगर नामांकन का समय बढ़ाया जा रहा है और छात्रों से बातचीत करके कोई समाधान नहीं निकाला जा रहा है, तो इसके लिए चुनाव आयोग और उसके अधिकारी जिम्मेदार हैं।
डूसू चुनाव की तरह जेएनयू में पुलिस की तैनाती नहीं की जाती है। चुनाव आयोग को इस मुद्दे का समाधान निकालना होगा।"
तो नहीं होगी प्रेसिडेंशियल डिबेट
चुनाव में अब सिर्फ़ चार दिन बचे हैं। मतदान की तिथि 25 अप्रैल घोषित की गई है। अगर समस्या का समाधान नहीं हुआ तो चुनाव रद्द भी हो सकता है। क्योंकि चुनाव आयोग ने सुरक्षा मुहैया कराए जाने तक आगे बढ़ने से मना कर दिया है। अगर चुनाव पर सहमति बनने में दो दिन और लग गए तो 23 अप्रैल को प्रस्तावित बहुचर्चित प्रेसिडेंशियल डिबेट नहीं हो पाएगी। इसे छोड़ा भी जा सकता है।
तिथि बढ़ाने से शुरू हुआ विवाद
जेएनयू छात्र संघ चुनाव के लिए 15 अप्रैल को नामांकन हुआ था। इसके बाद 16 अप्रैल को प्रत्याशियों की अंतिम सूची जारी होनी थी। लेकिन नामांकन की जांच में लगने वाले समय का हवाला देकर इसे एक दिन और बढ़ा दिया गया। इसके बाद अगले दिन आधे घंटे का और समय दिया गया।
चुनाव आयोग का कहना है कि आधे घंटे के दौरान कुछ छात्रों ने हंगामा किया और इस वजह से कई प्रत्याशी अपना नामांकन दाखिल नहीं कर पाए।
इसलिए अगले दिन आधे घंटे का और समय दिया गया। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद समेत अन्य छात्रों ने हंगामा किया। इसके बाद चुनाव प्रक्रिया रुक गई, जो शुरू नहीं हो पा रही है। एबीवीपी ने चुनाव आयोग पर वामपंथी छात्र संगठनों की कठपुतली की तरह काम करने का आरोप लगाया है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।