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    CRRI: ड्रोन पर लगी डिवाइस से पुलों की मजबूती जांचना होगा सुगम, केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान का नवोन्मेष

    By Jagran NewsEdited By: Yogesh Sahu
    Updated: Tue, 14 Mar 2023 06:24 PM (IST)

    विज्ञानियों के मन में यह डिवाइस बनाने का विचार इसलिए आया क्योंकि नदियों पहाड़ों एवं समुद्र पर बने पुलों की जांच बेहद जटिल और चुनौती भरा कार्य है। सीआर ...और पढ़ें

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    ड्रोन पर लगी डिवाइस से पुलों की मजबूती जांचना होगा सुगम, केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान का नवोन्मेष

    रमेश मिश्र, नई दिल्ली। केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआइ) ने ऐसी डिवाइस विकसित की है जो पुलों की सेहत जांचने के काम को सुगम बनाएगी। यह डिवाइस पुलों में प्रयुक्त कंक्रीट की जांच करके सटीक परिमाण देने में सक्षम है।

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    संस्थान के विज्ञानियों ने इस डिवाइस का नाम 'विब्रो इंटीग्रिटी सेंसिंग डिवाइस' रखा है। इसे आसानी से ड्रोन में जोड़कर प्रयोग किया जा सकता है।

    विज्ञानियों के मन में यह डिवाइस बनाने का विचार इसलिए आया क्योंकि नदियों, पहाड़ों एवं समुद्र पर बने पुलों की जांच बेहद जटिल और चुनौती भरा कार्य है। सीआरआरआइ का दावा है कि कंक्रीट की जांच के लिए पहली बार विकसित की गई है।

    सीआरआरआइ अपने लैब में तैयार इस डिवाइस की तकनीक को पेटेंट कराने की प्रक्रिया में आगे बढ़ रहा है। इसके लिए वह आवदेन भी कर चुका है।

    ऐसे काम करती है डिवाइस

    इस डिवाइस में स्टील की एक गेंद लगी होती है। इस गेंद को ट्रिगर के जरिए पुल की दीवार से टकराया जाता है। इस प्रक्रिया में दीवार से तरंग उत्पन्न होती है।

    डिवाइस में लगे दो सेंसर इस तरंग की संवदेनशीलता को ग्रहण करते हैं। फिर विज्ञानी दोनों सेंसरों के बीच तरंगों के समय और गति की गणना करके पुल में प्रयुक्त कंक्रीट की गुणवत्ता पता करते हैं।

    समय रहते हो सकेगी मरम्मत

    प्रोजेक्ट से जुड़े सीआरआरआइ के विज्ञानियों का कहना है कि यह डिवाइस कंक्रीट या एग्रीग्रेट की कमजोर पर्त को चिन्हित करके उसकी कमजोरियों को उजागर करती है।

    इससे पुल की गुणवत्ता में कमी मिलने पर समय रहते मरम्मत कराकर उसे क्षतिग्रस्त होने से रोका जा सकता है। विज्ञानी डिवाइस की जांच से मिले परिणाम के आधार पर पता करते हैं कि कंक्रीट की गुणवत्ता कमजोर, अच्छी, बेहतरीन या संदिग्ध है।

    विश्व में पहली ऐसी डिवाइस होने का दावा

    अभी चीन, फ्रांस, डेनमार्क और स्विटजरलैंड सहित विश्व के कई देश पुलों में प्रयुक्त स्टील की जांच के लिए तो इस प्रकार की डिवाइस का प्रयोग करते हैं, लेकिन कंक्रीट के इतने गहन अध्ययन के लिए कोई डिवाइस नहीं है।

    सीआरआरआइ के विज्ञानियों का दावा है कि उनके द्वारा कंक्रीट की जांच के लिए बनाई गई डिवाइस अपनी तरह की विश्व में पहली डिवाइस है। डिवाइस के प्रयोग के लिए उपयुक्त ड्रोन की तलाश के लिए सीआरआरआइ के विज्ञानी कई ड्रोन कंपनियों के संपर्क में हैं।

    परंपरागत विधि से अधिक सटीक व प्रामाणिक जांच संभव

    डिवाइस तैयार करने वाली सीआरआरआइ की युवा महिला वैज्ञानिक डा. नवीत कौर का कहना है कि उन्होंने कोरोना महामारी काल में इस डिवाइस पर काम आरंभ किया था।

    दुनिया में पुलों के कंक्रीट की जांच के लिए अभी तक अल्ट्रासोनिक जांच, एक्सलरोमीटर और लिडार जांच ही प्रमुख विधियां हैं। यह जांचें विभिन्न यंत्रों के जरिए की जाती हैं।

    हालांकि, इससे दुर्गम क्षेत्रों में बने पुलों की कंक्रीट की जांच करना बेहद मुश्किल है, लेकिन हमारी डिवाइस ड्रोन के साथ मिलकर इसे सुगम कर सकती है। हम संस्थान की प्रयोगशाला में अलग-अलग क्षमता वाली कंक्रीट की पर्तों पर इस डिवाइस का सफल परीक्षण कर चुके हैं।

    तुलनात्मक परीक्षण में इस डिवाइस ने बेहतर और सटीक परिणाम दिए हैं। इसके पूर्व दुनिया में ड्रोन के जरिए पुल की फोटो लेना और उसका माडल बनाने आदि के कार्य तो हए हैं, लेकिन कंक्रीट की जांच के लिए ड्रोन के साथ इस प्रकार की डिवाइस का प्रयोग पहली बार किया गया है।