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    दिल्ली के सरकारी दफ्तरों में कबाड़ वाहनों का अंबार, कब लगेगा ठिकाना; आया अपडेट

    Updated: Sun, 31 Aug 2025 10:35 PM (IST)

    पूर्वी दिल्ली में सरकारी दफ्तरों के बाहर कबाड़ वाहनों का अंबार लगा है जिन पर सालों से किसी का ध्यान नहीं गया है। मानसून में इन वाहनों में हरियाली उग आई है जो विभागों की लापरवाही को दर्शाती है। थानों निगम दफ्तरों और बोट क्लब में 200 से ज़्यादा वाहन सड़ रहे हैं जिससे पार्किंग की समस्या बढ़ गई है। नई नीति का इंतजार है।

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    पूर्वी दिल्ली में सरकारी दफ्तरों के बाहर कबाड़ वाहनों का अंबार लगा है। फाइल फोटो

    शुजाउद्दीन, पूर्वी दिल्ली। दिल्ली के लोगों ने कुछ महीने पहले एक ऐसा दौर भी देखा जब दिल्ली नगर निगम ने सड़कों और पार्किंग स्थलों से अपनी उम्र पूरी कर चुके वाहनों को ज़ब्त करके कबाड़ में डाल दिया था। इनमें वे वाहन भी शामिल थे जिनका लोगों ने अच्छी तरह से रखरखाव किया हुआ था।

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    दूसरी ओर, सरकारी दफ्तरों में सालों से खड़े कबाड़ वाहनों पर किसी विभाग का ध्यान नहीं है। मानसून चल रहा है। उन कबाड़ वाहनों में हरियाली उग आई है। यह हरियाली सरकारी विभागों को आईना दिखाती है कि वे कबाड़ वाहनों के निपटान को लेकर कितने गंभीर हैं। अगर नियम आम लोगों के लिए हैं, तो सरकारी विभागों पर क्यों लागू नहीं होते?

    थाने, निगम दफ्तर और बोट क्लब में 200 से ज़्यादा कबाड़ वाहन सालों से खड़े हैं। ये वाहन खड़े-खड़े सड़ गए हैं। सरकारी दफ्तरों में पार्किंग की समस्या होने के बावजूद, कर्मचारियों से लेकर यहाँ आने वाले फरियादियों तक को अपने वाहन पार्क करने के लिए पर्याप्त जगह नहीं मिलती। कबाड़ वाहन जगह घेर रहे हैं।

    ऐसा नहीं है, सत्ता में बैठे जनप्रतिनिधियों से लेकर एसी दफ्तरों में बैठे अफसरों तक, सब इसे बखूबी जानते हैं, लेकिन समस्या देखकर भी अनजान बनने का नाटक करते हैं। ज़्यादातर कबाड़ वाहन वहीं खड़े होते हैं जहाँ पेड़-पौधे लगे होते हैं।

    मानसून में ये कबाड़ वाहन पेड़-पौधों की हरियाली से भी आच्छादित हो जाते हैं। इन वाहनों को देखकर आम आदमी के मन में सवाल उठता है कि निगम ने उन वाहनों को पार्किंग से उठा भी लिया जिनकी उम्र पूरी हो चुकी थी। लेकिन खुद सरकारी विभाग सालों से अपने कबाड़ वाहनों को नहीं उठा पा रहा है।

    बोट क्लब, निगम कार्यालय और पुलिस थानों में खड़े इन कबाड़ वाहनों के बारे में पूछे जाने पर अफसरों ने कहा कि जब सरकारी वाहन कबाड़ हो जाते हैं, तो उन्हें नीलाम करके बेच दिया जाता है। वाहन सालों से खड़े हैं, इनमें से ज़्यादातर के कागज़ात गुम हो गए हैं। बेचने से पहले यह देखना होगा कि कौन सा वाहन किस विभाग के किस विंग के अधिकारी को दिया गया था।

    सरकारी विभागों में कबाड़ वाहनों की नीलामी सालों से नहीं हुई है। मौजूदा भाजपा सरकार जल्द ही कबाड़ वाहनों पर नीति ला रही है। इन वाहनों को सरकारी कार्यालयों से हटाकर उनके उचित स्थान पर भेजा जाएगा।

    -जितेंद्र महाजन, अध्यक्ष शाहदरा जिला विकास समिति।

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