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    जग प्रवेश चंद्र अस्पताल चोरों के निशाने पर, दो महीने में 90 गाड़ियां चोरी

    Updated: Sun, 14 Sep 2025 11:16 PM (IST)

    पूर्वी दिल्ली के शास्त्री पार्क स्थित जग प्रवेश अस्पताल में मरीजों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। पिछले दो महीनों में अस्पताल परिसर से 90 दोपहिया वाहन चोरी हो चुके हैं जबकि अस्पताल में सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। एंटी ऑटो थेफ्ट स्क्वॉड की निष्क्रियता और पुलिस की लापरवाही के कारण वाहन चोरी की घटनाएँ बढ़ रही हैं जिससे मरीज परेशान हैं।

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    पूर्वी दिल्ली के शास्त्री पार्क स्थित जग प्रवेश अस्पताल में मरीजों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। फाइल फोटो

    शुजाउद्दीन, पूर्वी दिल्ली। बीमार व्यक्ति आमतौर पर सरकारी अस्पताल इसलिए जाता है क्योंकि उसकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होती। शास्त्री पार्क स्थित जग प्रवेश अस्पताल में आने वाले मरीज़ों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। यह अस्पताल चोरों के निशाने पर है। पिछले दो महीनों में अस्पताल परिसर से 90 दोपहिया वाहन चोरी हो चुके हैं।

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    यह हाल तब है जब न्यू उस्मानपुर थाना अस्पताल से चंद कदमों की दूरी पर है। पीड़ित अपनी शिकायत लेकर दर-दर भटकते रहते हैं। पुलिस तो सरकारी पुलिस है। उसे इस बात की कोई परवाह नहीं है कि आम आदमी का वाहन चोरी होने पर क्या होता है।

    अस्पताल में चार गेट हैं। तीन गेट बंद रहते हैं। एक ही गेट से वाहन आते-जाते हैं। इसी गेट पर एक गार्ड रूम भी बना है। अस्पताल में एक दिन में तीन हज़ार से ज़्यादा लोग इलाज के लिए आते हैं। एक भी पार्किंग नहीं है। मरीज़, डॉक्टर और कर्मचारी अपने वाहन अस्पताल परिसर में ही खड़े करते हैं।

    अस्पताल परिसर में वाहन चोरी होना अब कोई बड़ी बात नहीं रही। मरीज़ अपने वाहन परिसर में ही खड़े करके अंदर चले जाते हैं और इसी बीच चोर उनके वाहन लेकर भाग जाते हैं। अस्पताल के ग्राउंड फ्लोर पर सीसीटीवी कंट्रोल रूम है। जिन ड्राइवरों के वाहन चोरी हो रहे हैं, उन्हें फुटेज देखने के लिए अस्पताल अधीक्षक को पत्र लिखना पड़ता है। इसके बाद फुटेज दिखाई जाती है।

    कंट्रोल रूम में पत्रों का ढेर लगा है। कंट्रोल रूम के सूत्रों के अनुसार, दो महीने में 90 वाहन चोरी हो चुके हैं। वाहन चोरी होने पर पुलिस ऑनलाइन एफआईआर दर्ज करती है। पीड़ित अपनी शिकायत लेकर दर-दर भटकते रहते हैं। इस मामले में अस्पताल अधीक्षक डॉ. सुषमा जैन और उत्तर-पूर्वी जिले के पुलिस उपायुक्त आशीष मिश्रा से फोन और व्हाट्सएप पर उनका पक्ष पूछा गया, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।

    वाहन चोरी पर अंकुश क्यों नहीं लगा पा रहे हैं?

    दिल्ली के हर जिले में एंटी ऑटो थेफ्ट स्क्वॉड (एएटीएस) का गठन किया गया है। उत्तर-पूर्वी जिले में भी यह मौजूद है। इस विशेष दस्ते का गठन इसलिए किया गया था ताकि जिले में वाहन चोरी की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके। जिले की एएटीएस की सक्रियता पर सवाल उठ रहे हैं।

    आखिर वाहन चोरी की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए दस्ते में शामिल पुलिसकर्मी क्या कर रहे हैं? पिछले कुछ हफ़्तों में ऐसा कोई काम सामने नहीं आया है, जिससे दस्ते के बारे में कहा जा सके कि उसने बड़े शातिर वाहन चोरों को पकड़ा है। पीड़ितों का आरोप है कि पुलिस ने दस्ते का गठन करके बस औपचारिकता निभाई है। यह दस्ता चोरी के मामलों को गंभीरता से नहीं ले रहा है।

    सीसीटीवी कैमरों की फुटेज समय पर नहीं देखी जाती। वाहन चोरों को पकड़ने के बजाय, वे दूसरे कामों में व्यस्त रहते हैं। दस्ते के पुलिसकर्मी ज़मीनी स्तर पर नज़र नहीं आते। ज़िले के वरिष्ठ अधिकारियों से लेकर सत्ता में बैठे जनप्रतिनिधियों तक, कोई भी जवाब नहीं माँगता। इस वजह से पुलिसकर्मी इस बात से बेफ़िक्र रहते हैं कि कितने वाहन चोरी हो रहे हैं और कितने बरामद हो रहे हैं, यह पूछने वाला कोई नहीं है।

    76 सुरक्षा गार्ड, 50 सीसीटीवी कैमरे

    अस्पताल में 76 सुरक्षा गार्ड हैं। सुरक्षा गार्ड तीन शिफ्टों में बँटे हैं। इनकी आठ घंटे की नौकरी है। 50 से ज़्यादा सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। इसके बाद भी सुरक्षा गार्ड वाहन चोरी रोकने में नाकाम हैं। इससे साफ़ ज़ाहिर है कि अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे है। दिनदहाड़े वाहन चोरी हो रहे हैं।

    जून महीने में जग प्रवेश चंद्र अस्पताल के अंदर से मेरी बाइक चोरी हो गई थी। मैंने ई-एफआईआर भी दर्ज कराई थी। अस्पताल में लगे सीसीटीवी कैमरे भी चेक किए थे। पुलिस बाइक नहीं ढूंढ पाई।

    - कुलदीप शर्मा, पीड़ित

    एक महीने पहले अस्पताल से मेरी बाइक चोरी हो गई थी। मैंने ऑनलाइन केस दर्ज कराया था। कुछ नहीं हुआ। मेरे पास निजी अस्पताल में इलाज कराने के पैसे नहीं थे, इसलिए मैं सरकारी अस्पताल गया। मुझे और नुकसान हुआ है। अब नई बाइक खरीदने की हिम्मत नहीं है।

    - मोहम्मद शादाब, पीड़ित