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    पूर्वी दिल्ली के इहबास अस्पताल में लापरवाही, नवजात शिशु की मौत

    Updated: Wed, 24 Sep 2025 12:01 AM (IST)

    पूर्वी दिल्ली के दिलशाद गार्डन स्थित इहबास अस्पताल में भर्ती एक मानसिक रूप से बीमार महिला ने शौचालय में बच्चे को जन्म दिया। आरोप है कि अस्पताल ने इलाज में लापरवाही की जिससे नवजात शिशु की मौत हो गई। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मामले का संज्ञान लेते हुए रिपोर्ट तलब की है। अस्पताल में बुनियादी चिकित्सा सुविधाओं की कमी उजागर हुई है।

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    मानसिक रूप से बीमार महिला ने शौचालय में बच्चे को जन्म दिया। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली। दिलशाद गार्डन स्थित इहबास (मानव व्यवहार एवं संबद्ध विज्ञान संस्थान) में भर्ती एक मानसिक रूप से बीमार महिला द्वारा शौचालय में बच्चे को जन्म देने का मामला सामने आया है। आरोप है कि इहबास में महिला और उसके नवजात शिशु को इलाज नहीं दिया गया। गर्भनाल काटने के लिए क्लैंप तक नहीं था।

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    दोनों को इहबास से सटे स्वामी दयानंद अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ नवजात शिशु की मौत हो गई। महिला का इलाज चल रहा है। इस मामले ने इहबास में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली को उजागर कर दिया है। मानसिक रूप से बीमार गर्भवती महिला का समुचित इलाज न होना अस्पताल प्रबंधन पर सवाल खड़े करता है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस मामले में मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में रिपोर्ट मांगी है।

    अस्पताल सूत्रों ने बताया कि बेसहारा महिला को अदालत के आदेश पर 7 सितंबर को इहबास में भर्ती कराया गया था। महिला गर्भवती थी और उसने इहबास के शौचालय में बच्चे को जन्म दिया। आरोप है कि इहबास में उसे बुनियादी चिकित्सा सुविधा भी नहीं दी गई।

    अस्पताल प्रबंधन क्लैंप का भी इंतजाम नहीं कर सका। महिला और उसके नवजात शिशु को गंभीर हालत में एम्बुलेंस द्वारा इहबास के पास स्थित स्वामी दयानंद अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ नवजात शिशु की मृत्यु हो गई।

    मामले का संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मंगलवार को मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया। इस मामले में इहबास के निदेशक डॉ. आरके धमीजा से फ़ोन पर संपर्क किया गया। उन्होंने कहा कि वह एक मीटिंग में व्यस्त हैं और बाद में बात करेंगे। उसके बाद उनसे संपर्क नहीं हो सका।

    दो हफ्ते पहले, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इहबास का निरीक्षण किया था। अपने निरीक्षण के दौरान, मुख्यमंत्री ने पाया कि इहबास में 2012 से न तो एमआरआई और न ही सीटी स्कैन मशीन है। एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड सेवाएँ भी बेहद सीमित हैं। मुख्यमंत्री ने वहाँ स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी पर चिंता व्यक्त की थी और दावा किया था कि इसी साल इहबास में मशीनें उपलब्ध करा दी जाएँगी।