Mustafabad Incident: एंबुलेंस से दस शव एक साथ लाए गए मुस्तफाबाद, घर की महिलाएं फफक कर लगी रोने
पूर्वी दिल्ली के मुस्तफाबाद में एक इमारत ढहने से 10 लोगों की दुखद मौत हो गई। मृतकों में तहसीन नामक मकान मालिक और उनके परिवार के सदस्य शामिल हैं जिससे इलाके में मातम छा गया। ईस्ट दिल्ली क्राइम के इस हादसे में कई लोग घायल भी हुए। पद्मश्री जितेंद्र सिंह शंटी ने शवों को मुफ्त में पहुंचाने में मदद की।
जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली। चार एंबुलेंस में दस शव एक साथ रविवार शाम काे मुस्तफाबाद की गली नंबर दाे में पहुंचे। गली में दोनों तरफ स्थानीय लोगों की भीड़ थी। एंबुलेंस से जैसे-जैसे शव निकाले गए लोगों की आंखें नम होती चली गई। तीन बच्चों के शव जिन्होंने अपने हाथों में लिए थे, वह कंपकंपा रहे थे।
मकान मालिक तहसीन का शव सबसे आगे था, पीछे उनके बेटे नाजिम, दो बहू चांदनी व शाहिन, पोती आफरीन, पोते अनस व आठ माह का अफ्फान और किरायेदार दानिश इसके भाई नावेद व दूसरी किरायेदार रेशमा का शव था। इलाके में मातम छाया हुआ था, लोगों के सिर झुके हुए थे। जब यह शव दरवाजे की चौखट पर पहुंचे तो घर की महिलाएं फफक कर रोने लगी।
लोगों ने अपनी दुकानें बंद कर ली
दस लोगों के जनाजे की नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद छोटी पड़ गई। पहली बार ऐसा हुआ ईदगाह में एकसाथ इतने ज्यादा जनाजे की नमाज हुई। शव यात्रा में 1500 से दाे हजार लोग थे। जिस रास्ते से शव लेकर जाई गई, उस गली के लोगों ने उस वक्त अपनी दुकानें बंद कर दी। यात्रा में शामिल होने के लिए लोग अपने घरों से बाहर आ गए।
हादसे में जिंदा बचे तहसीन के बेटे चांद का रोकर बुरा हाल
ईदगाह में जितनी भीड़ ईद की नमाज में जुटती है, उतनी जनाजे की नमाज में थी। देर शाम को मुस्तफाबाद के कब्रिस्तान में सभी को दफनाया गया। माहौल इतना गमगीन था कि गली नंबर दो में सुबह से ही दुकानें बंद थी। पड़ोसी मृतकों के परिवार को संभालने में लगे हुए थे। हादसे में जिंदा बचे तहसीन के बेटे चांद का रोकर बुरा हाल हो रहा था। तहसीन के ससुर इशहाक का शव लोनी लेकर जाया गया।
इशाक गत रमजान में अपनी बेटी जीनत के घर रहने आए थे, हादसे में उनकी भी मौत हो गई। हादसे में तहसीन के परिवार के आठ लोगों की मौत हुई है। उनके परिवार में अब पत्नी जीनत, बेटा चांद, एक बड़ी बहू, चार पौते व एक पोती बचे हैं।
साप्ताहिक बाजार नहीं लगने दिया गया
मुस्तफाबाद के पुराने 25 फुटा रोड पर रविवार को साप्ताहिक बाजार नहीं लगा। पहले ही पटरी वालों को सूचित कर दिया गया था कि वह यहां दुकानें लगाने न आएं। इसी रोड से एंबुलेंस में शवों को दयालपुर गली नंबर-दो में लाया जाना था। इसके चलते बाजार लगने से रोका गया।
मृतकों के स्वजन बोलें एंबुलेंस करने के लिए पैसे नहीं
हादसे में मारे गए 11 लोगों के शवों का पोस्टमार्टम जीटीबी अस्पताल में हुआ। आरोप है मृतकों के स्वजन से अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि एंबुलेंस का इंतजाम खुद करवाओं। एक छोटी निजी एंबुलेंस का खर्च 600 आ रहा था। मृतकों के स्वजन ने कहा कि घर ढहने से उनका सबकुछ बर्बाद हो गया है, वह शवों को ले जाने के लिए एंबुलेंस के लिए पैसा कहां से लाए। एंबुलेंस की व्यवस्था न करवाने पर स्वजन ने जिला प्रशासन के लिए नाराजगी भी जाहिर की।
मदद के लिए पद्मश्री जितेंद्र सिंह शंटी आगे आए
हादसे में मारे गए 11 लोगों के स्वजन के पास एंबुलेंस के लिए पैसे नहीं है। जब यह बात पद्मश्री व शहीद भगत सिंह सेवा दल के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह शंटी काे पता चली तो वह चार बड़ी एंबुलेंस लेकर शवगृह पहुंचे। उन्होंने अपनी एंबुलेंस से सभी शव निश्शुल्क मुस्तफाबाद पहुंचाए। पद्मश्री खुद साथ गए और एंबुलेंस से खुद शवों को उतारकर जनाजे की चारपाई पर रखा।
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