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    दिल्ली-NCR में छह महीने में तीसरी बार डोली धरती, हरियाणा का झज्जर था केंद्र

    दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के झटके महसूस किए गए जिससे लोग दहशत में आ गए। रिक्टर स्केल पर तीव्रता 4.4 मापी गई जिसका केंद्र हरियाणा के झज्जर में था। झटके दिल्ली हरियाणा और उत्तर प्रदेश में भी महसूस किए गए। किसी नुकसान की खबर नहीं है लेकिन लोग सोशल मीडिया पर अपने अनुभव साझा कर रहे हैं। विशेषज्ञों ने भूगर्भीय संरचना को कारण बताया है।

    By sanjeev Gupta Edited By: Monu Kumar Jha Updated: Thu, 10 Jul 2025 07:58 PM (IST)
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    दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के झटके, लोगों में दहशत। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। बुधवार की रात से बृहस्पतिवार सुबह तक तेज वर्षा, जाम एवं जलभराव झेलने वाले दिल्ली-एनसीआर के निवासी बृहस्पतिवार की सुबह भूकंप के तेज झटकों से सहम गए। डरकर घरों से बाहर निकल आए।

    हालांकि किसी तरह के नुकसान की खबर नहीं है। बीते छह माह के दौरान दिल्ली- एनसीआर में तीसरी बार भूकंप आया है। इससे पहले 19 अप्रैल और 17 फरवरी को भी भूकंप आया था।

    राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (एनसीएस) के अनुसार भूकंप का अधिकेंद्र हरियाणा के झज्जर में था। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 4.4 थी और इसकी जमीन से 10 किमी नीचे थी।

    भूकंप का समय सुबह 9 बजकर 40 मिनट 50 सेकंड रहा। भूकंप के झटके दिल्ली के साथ साथ हरियाणा और यूपी के क्षेत्रों में भी तीव्रता से महसूस किए गए।

    सुबह करीब 9 बजे जब अधिकतर लोग ऑफिस जाने की तैयारी में जुटे थे। तभी अचानक धरती हिलने लगी। इससे दिल्ली-एनसीआर की ऊंची इमारतों में रहने वाले लोग बेहद भयभीत हो गए। इंटरनेट मीडिया पर लोग अपने अनुभव भी साझा कर रहे हैं।

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    हरियाणा के जींद और बहादुरगढ़ के साथ- साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान के इलाकों में भी 10 सेकेंड तक झटके आए। दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने एक्स पर पोस्ट कर सभी के सुरक्षित होने की उम्मीद की। उन्होंने उम्मीद जताई कि भूकंप के बाद सभी लोग सकुशल होंगे।

    एनसीएस के निदेशक ओपी मिश्रा ने बताया कि भूकंप के अधिकेंद्र के आसपास की भूगर्भीय संरचना विषमतापूर्ण है। भूगर्भ मेंं चट्टान, तरल पदार्थ, पानी इत्यादि मौजूद हैं। पहले इसके आसपास के इलाके में झील व कई जल स्रोत थे।

    इस वजह से भूगर्भ में मौजूद चट्टान कमजोर हो गए हैं। इस वजह से जमीन के भीतर स्ट्रेस व हलचल बढ़ने से इसके आसपास के चट्टान जल्दी टूट जाते हैं और भूकंप के रूप में ऊर्जा निकल जाती है।