सोशल मीडिया पर छाया DUSU चुनाव प्रचार, छात्रों ने अपनाया अनोखा तरीका
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव में सोशल मीडिया का प्रचार ज़ोरों पर है। छात्र पेशेवर पीआर एजेंसियों की मदद से महंगी रील बनवा रहे हैं जिनमें ड्रोन का इस्तेमाल हो रहा है। इन रीलों को बनाने में 15000 रुपये तक का खर्च आ रहा है। एबीवीपी और एनएसयूआई जैसे छात्र संगठन भी सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं। चुनाव 18 सितंबर को होगा और नतीजे 19 को घोषित किए जाएंगे।

उदय जगताप, नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव धीरे-धीरे विधानसभा और आम चुनावों की तरह होते जा रहे हैं। छपे हुए पर्चों पर प्रतिबंध के बाद, छात्र प्रचार के लिए नए और महंगे तरीके अपना रहे हैं। इंटरनेट मीडिया सबसे बड़ा हथियार बनकर उभरा है।
इसके लिए छात्रों ने पेशेवर पीआर एजेंसियों को ज़िम्मेदारी सौंपी है। वे प्रचार की प्रत्येक रील के लिए 15,000 रुपये तक दे रहे हैं।
इंस्टाग्राम, फेसबुक, एक्स और यूट्यूब पेजों पर डूसू चुनाव से जुड़ी रील्स की बाढ़ आ गई है। इंटरनेट मीडिया पर तरह-तरह के वीडियो घूमते दिख रहे हैं। इनमें कोई उम्मीदवार ट्रैक्टर पर सवार दिख रहा है, तो कोई कारों के काफिले के साथ गुजरता दिख रहा है। कक्षाओं में प्रचार करते समय बैकग्राउंड में जोशीले गानों का खूब इस्तेमाल हो रहा है। डीयू के छात्र इंटरनेट मीडिया पर काफी सक्रिय हैं और यह उन तक पहुँचने का एक सशक्त माध्यम माना गया है।
इसमें अब पेशेवर पीआर एजेंसियों और मीडिया मैनेजरों की भूमिका अहम हो गई है। पिछले चुनावों में ऐसा देखने को मिला था, लेकिन यह एक-दो उम्मीदवारों तक ही सीमित रहा था। इस साल स्थिति बिल्कुल अलग है और प्रमुख छात्र संगठनों से टिकट के दावेदार लगभग सभी छात्र ऐसी रील बनाकर इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित कर रहे हैं।
एक पीआर एजेंसी के पदाधिकारी ने बताया कि डूसू चुनाव में जो रील देखने को मिल रही हैं, उनमें ड्रोन का इस्तेमाल ज्यादा हो रहा है। ऐसी रील को एडिट करने के बाद इन्हें बनाने में 15 हजार तक का खर्च आता है। एक कैमरे से बनने वाली रील के लिए छह हजार रुपये तक चुकाने पड़ते हैं। लेकिन अब प्रचार में एक कैमरे से रील बनाना आसान नहीं है।
इसके लिए तीन से चार कैमरों की जरूरत होती है। तभी लंबे काफिले को कैमरे में कैद कर प्रभावी रील तैयार की जा सकती है। इस पर 20 हजार तक खर्च आ जाते हैं। उन्होंने कहा, रील को एडिट करना एक काम है। पेशेवर इसके लिए दो से तीन हजार लेते हैं।
इसलिए अब यह काफी महंगा भी हो गया है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रदेश मंत्री सार्थक शर्मा ने कहा, हमारे संभावित उम्मीदवार प्रचार तो कर रहे हैं। लेकिन, वे किसी पीआर का सहारा नहीं ले रहे हैं। हालांकि, इस बार चुनाव इंटरनेट मीडिया पर ज्यादा प्रभावी हो गया है।
इसलिए इस पर प्रचार पर ज़्यादा ध्यान दिया जा रहा है। इसमें संगठन की ओर से भी उनकी मदद की जा रही है। इस बार प्रचार के लिए पर्यावरण-अनुकूल तरीकों पर ज़्यादा ज़ोर दिया जा रहा है। एनएसयूआई के दिल्ली अध्यक्ष आशीष लांबा ने बताया, "प्रत्याशियों को प्रचार की पूरी आज़ादी दी गई है। लेकिन, सभी को एनएसयूआई की नीतियों और मुख्य मुद्दों को उठाने के लिए कहा गया है।"
बता दें कि पिछले साल दिल्ली हाईकोर्ट ने मानहानि पर सख़्ती दिखाई थी। इस साल चुनाव ज़्यादातर इंटरनेट मीडिया पर आधारित रहा है। इस साल 18 सितंबर को मतदान होगा और 19 तारीख़ को नतीजे घोषित किए जाएँगे।"
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