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    अब दिल्ली में इन चुनावों को लेकर गरमाई राजनीति, मैदान में उतरी AAP की छात्र शाखा एसैप; दिलचस्प हुआ मुकाबला

    Updated: Mon, 18 Aug 2025 09:04 AM (IST)

    दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) के चुनाव में आम आदमी पार्टी की छात्र शाखा एसैप की वापसी से मुकाबला दिलचस्प हो गया है। छह साल बाद वापसी कर रही एसैप सभी पदों पर चुनाव लड़ेगी। एबीवीपी और एनएसयूआई जैसे प्रमुख छात्र संगठनों के बीच एसैप की तैयारी ने सबकी चिंता बढ़ा दी है क्योंकि इसके कई सदस्य पहले इन्हीं संगठनों से जुड़े थे।

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    दिल्ली की सत्ता से बाहर हुई आप की छात्र इकाई डूसू चुनाव में जोर लगाएगी।

    उदय जगताप, नई दिल्ली। दिल्ली की सत्ता से बाहर हो चुकी आप की छात्र इकाई एसोसिएशन ऑफ स्टूडेंट्स फॉर अल्टरनेटिव पॉलिटिक्स (एसैप) डूसू के चुनाव में जोर लगाने जा रही है। छह साल बाद आप की छात्र इकाई की एंट्री के बाद अन्य छात्र संगठन भी सक्रिय हो गए हैं।

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    वहीं, हालांकि इस साल चुनाव में बैनर, पोस्टर पर रोक के बाद छात्र संगठन नई रणनीति पर काम कर रहे हैं। लेकिन, एसैप ने डूसू चुनाव में सभी पदों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार का मुंह देख चुकी आप भी अपने छात्र संगठन को सहयोग कर डूसू में नेतृत्व बदलने की कोशिश में लगी है।

    डूसू में मुख्य मुकाबला अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) और नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) के बीच ही देखने को मिल रहा है। लेकिन, एसैप तैयारियों में जुटी हुई है। डूसू के सभी 52 कॉलेज व विभागों में छात्र इकाई बनाई जा रही है। 30 कालेज में छात्र इकाई की घोषणा की जा चुकी है।

    एनएसयूआइ और एबीवीपी एसैप को गंभीरता से ले रही है। दोनों संगठनों की चिंता इसलिए है, क्योंकि एसैप में कार्यकर्ता दोनों ही संगठनों से आए हैं। एबीवीपी में रहते डूसू के संयुक्त सचिव रहे दीपक बंसल ने एसैप की हाथ थामा है। वह एबीवीपी में रह चुके हैं। एसैप की छात्र इकाइयां इन्हीं छात्र नेताओं के संपर्क के चलते बनी है।

    एसैप के वरिष्ठ उपाध्यक्ष कमल तिवारी ने कहा, हम संगठनात्मक मजबूती पर ध्यान दे रहे हैं। हम बिल्कुल आम छात्रों को मैदान में उतारेंगे। 2015 और 2018 में हमने डूसू में प्रत्याशी उतारे थे। 2015 में अध्यक्ष पद पर हम दूसरे स्थान पर रहे थे। 2018 में आइसा के साथ गठबंधन से उतरा संयुक्त सचिव पद का हमारा प्रत्याशी दूसरे स्थान पर था।

    एबीवीपी के एक पदाधिकारी ने कहा, हमारा संगठन पहले से मजबूत है। यू स्पेशल बसों की शुरुआत एबीवीपी के प्रयासों से हुई है। सरकार से बातचीत जारी है और जल्द मेट्रो रियायती पास को लेकर घोषणा की जा सकती है।

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    सेवानुभूति इंटर्नशिप शुरू की गई है, जिसके तहत पौधे रोपने, बस्ती की पाठशाला के तहत बच्चों को पढ़ाने और रितुमति अभियान के तहत बस्तियों में सेनेटरी पेड बांटने में शामिल छात्रों को इंटर्नशिप दी जा रही है। 60 और 80 प्रतिशत से अधिक अंक लाने वाले और खेलों में जिला, राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन करने वाले छात्रों को प्रतिभा सम्मान समारोह के तहत सम्मानित किया जा रहा है।

    एबीवीपी पहले उम्मीदवारों की घोषणा तक खुलकर प्रचार की इजाजत नहीं देती थी। लेकिन, इस बार संभावित उम्मीदवारों को प्रचार करने और कालेजों में जाने की इजाजत दी गई है। कालेजों में पालक कार्यकर्ता भी बनाए गए हैं। एनएसयूआइ हर कालेज में अपने पदाधिकारी भेजकर अपनी नीतियों के बारे में बता रही है।

    एनएसयूआइ दिल्ली अध्यक्ष आशीष लांबा ने कहा, 12 दिन मासिक धर्म अवकाश के लिए आंदोलन किया था। हम छात्राओं को इसके लिए जागरूक कर रहे हैं। तीनों संगठन तैयारी में जुटे हैं और अभी आइसा और एसएफआइ उतने सक्रिय नहीं हैं। पिछले साल दोनों ने मिलकर चुनाव लड़ा था। इस बार देखना होगा क्या होता है।