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    DUSU Election 2025: चुनाव में पर्चों पर रोक, छात्रों ने इसे बनाया प्रचार का हथियार; बड़ी हस्तियां भी शामिल

    Updated: Sun, 14 Sep 2025 09:03 PM (IST)

    दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में पर्चों पर रोक के बाद इंटरनेट मीडिया प्रचार का मुख्य हथियार बन गया है। एबीवीपी और एनएसयूआई दोनों ही सोशल मीडिया वॉर रूम बनाकर एआई आधारित वीडियो और रील्स का उपयोग कर रहे हैं। मशहूर हस्तियों से भी वोट की अपील की जा रही है। छात्र इंटरनेट मीडिया के जरिए प्रचार को साफ-सुथरा मान रहे हैं।

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    दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में पर्चों पर रोक के बाद इंटरनेट मीडिया प्रचार का मुख्य हथियार बन गया है।

    उदय जगताप, नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव में छपे हुए पर्चों पर अदालत की रोक के बाद, इंटरनेट मीडिया प्रत्याशियों के लिए सबसे बड़ा हथियार बन गया है। पिछले वर्षों में इंटरनेट मीडिया के ज़रिए प्रचार होता रहा है, लेकिन इस बार इस पर ज़्यादा ज़ोर दिया जा रहा है। इसमें एआई आधारित वीडियो का भी खूब इस्तेमाल हो रहा है।

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    एबीवीपी और एनएसयूआई ने अपने कार्यालयों में "इंटरनेट मीडिया वॉर रूम" तैयार किए हैं। यहीं से दोनों अपने आधिकारिक इंटरनेट मीडिया हैंडल के ज़रिए प्रचार कर रहे हैं और प्रत्याशियों के अकाउंट पर वीडियो भी अपलोड किए जा रहे हैं। डीयू में ज़्यादातर छात्र इंटरनेट मीडिया पर सक्रिय हैं और संगठन इस पर ज़्यादा ध्यान दे रहे हैं।

    इसके साथ ही, मशहूर हस्तियों से भी वोट की अपील की जा रही है। यह दूसरे राज्यों के छात्र संघ चुनावों के लिए एक मिसाल बन सकता है। कई राज्यों में विश्वविद्यालयों के छात्र संघ चुनावों में दीवारों पर पोस्टर और पर्चे लगाए जा रहे हैं। इससे दीवारें गंदी हो जाती हैं। इधर, अदालत के निर्देश के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने सख्ती दिखाई। इसके चलते अब तक पोस्टर को लेकर सिर्फ़ एक ही शिकायत सामने आई है।

    एबीवीपी एक्स अपने फेसबुक और इंस्टाग्राम अकाउंट एबीवीपी दिल्ली और एबीवीपी वाइज के जरिए छात्रों तक पहुंच रही है। कॉलेज इकाइयों को भी सक्रिय किया गया है। घोषणापत्र और पिछले वर्षों में एबीवीपी द्वारा किए गए कार्यों को उनके व्हाट्सएप ग्रुपों पर साझा किया जा रहा है।

    इंटरनेट मीडिया के लिए एबीवीपी की राष्ट्रीय संयोजक प्रेरणा भारद्वाज ने कहा कि हम चारों उम्मीदवारों के साथ पॉडकास्ट कर रहे हैं। हम इंटरनेट मीडिया हैंडल के जरिए छोटी क्लिप में उनकी बातें साझा कर रहे हैं। जेन-जी को लंबे पॉडकास्ट या रील पसंद नहीं हैं। उस दृष्टिकोण को ध्यान में रखकर काम किया जा रहा है।

    चारों उम्मीदवारों आर्यन मान, गोविंद तंवर, कुणाल चौधरी और दीपिका झा के पेज बनाए गए हैं। उनके फॉलोअर्स बढ़ाने पर भी ध्यान दिया जा रहा है। प्रेरणा ने कहा, एआई जनरेटेड एनिमेशन वीडियो भी तैयार किए गए हैं, यह पहली बार है जब एबीवीपी ने एआई का इस्तेमाल किया है।

    हमारी 11 सदस्यीय टीम दिन में 12 घंटे काम कर रही है हम जमीनी स्तर पर अभियान के वीडियो बना रहे हैं, कार्यकर्ता उन्हें भेज रहे हैं, उन्हें एडिट करके इंटरनेट मीडिया हैंडल पर अपलोड किया जा रहा है। हर दिन 30 से 40 रील बन रही हैं।

    कॉलेज इकाइयां इन रील्स और घोषणापत्र के मुद्दों को छात्रों तक पहुँचा रही हैं। एनएसयूआई के इंस्टाग्राम, फेसबुक, एक्स हैंडल से मुद्दों को शेयर किया जा रहा है। सभी उम्मीदवारों के पेज बनाए गए हैं। ज़्यादातर रील्स में 17 साल बाद अध्यक्ष पद की महिला उम्मीदवार जॉसलीन चौधरी पर ज़ोर है। इसके साथ ही, सभी उम्मीदवार कॉलेजों में पहुँचकर घर-घर जाकर प्रचार भी कर रहे हैं।

    सिद्धू मूसेवाला के पिता ने राहुल के लिए की अपील

    गायक मासूम शर्मा ने एबीवीपी के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार आर्यन मान के लिए एक गाना गाया है। आर्यन की रील्स में इसी गाने का इस्तेमाल किया जा रहा है। वहीं, सिद्धू मूसेवाला के पिता ने एनएसयूआई के उपाध्यक्ष पद के उम्मीदवार राहुल झांसला के लिए वोट देने की अपील की है।

    किसके कितने इंस्टाग्राम फॉलोअर्स हैं?

    संगठन पद नाम इंस्टाग्राम फॉलोअर्स
    एबीवीपी अध्यक्ष आर्यन मान 43 हजार
    उपाध्यक्ष गोविंद तंवर 25 हजार
    सचिव कुणाल चौधरी 13.5 हजार
    संयुक्त सचिव दीपिका झा 32.3 हजार
    एनएसयूआई अध्यक्ष जॉसलिन 1.22 लाख
    उपाध्यक्ष राहुल झांसला 35 हजार
    सचिव कबीर 10 हजार
    संयुक्त सचिव लवकुश भड़ाना 13 हजार

    "पहले चुनावों के दौरान हर जगह पोस्टरों की भीड़ होती थी, परिसर गंदा दिखता था। अब इंटरनेट मीडिया के ज़रिए प्रचार साफ़-सुथरा है और हमें सीधी जानकारी भी मिल रही है।"

    -अमृत राय, छात्र

    "हम इंस्टाग्राम पर उम्मीदवारों की रील देखकर उनके बारे में ज़्यादा जान पाते हैं। यह तरीका हम जैसे जनरल-जी छात्रों के लिए ज़्यादा आकर्षक है।"

    -संस्कृति, छात्रा

    “हर किसी के पास स्मार्टफोन और इंटरनेट नहीं होता। कभी-कभी यह अभियान ट्रेंडिंग गानों और आकर्षक वीडियो तक ही सीमित रह जाता है, वास्तविक मुद्दों पर कोई गंभीर चर्चा नहीं होती।”

    -चिंतन, छात्रा