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    Delhi Riots: सबूतों के अभाव में दिल्ली दंगों के दो आरोपी बरी, भीड़ पर किया था हमला

    By Jagran NewsEdited By: Prince Sharma
    Updated: Tue, 12 Sep 2023 05:00 AM (IST)

    Delhi Riots दिल्ली दंगे के दौरान पत्थर से हमला करने एक मामले में सोमवार को कड़कड़डूमा कोर्ट ने दो लोगों को बरी कर दिया। कोर्ट ने निर्णय देते हुए कहा कि अभियोजन द्वारा पेश किए गए साक्ष्यों से पता चलता है कि दो लोग घायल हुए लेकिन यह साबित नहीं कर पाए कि इसके लिए जिम्मेदार दंगाई भीड़ में दोनों आरोपित शामिल थे।

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    Delhi Riots: सबूतों के अभाव में दिल्ली दंगों के दो आरोपी बरी, भीड़ पर किया था हमला

    पूर्वी दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली दंगे के दौरान पत्थर से हमला करने एक मामले में सोमवार को कड़कड़डूमा कोर्ट ने दो लोगों को बरी कर दिया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचल के कोर्ट ने निर्णय देते हुए कहा कि अभियोजन द्वारा पेश किए गए साक्ष्यों से पता चलता है कि दो लोग घायल हुए, लेकिन यह साबित नहीं कर पाए कि इसके लिए जिम्मेदार दंगाई भीड़ में दोनों आरोपित शामिल थे।

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    ऐसे में साक्ष्यों के अभाव में दोनों को बरी किया जा रहा है। खजूरी खास थाना क्षेत्र में 24 फरवरी 2020 को दंगाइयों के हमले में राजेश कुमार और वेदांत मिश्रा घायल हो गए थे। खजूरी खास गली नंबर-पांच निवासी राजेश कुमार ने शिकायत में पुलिस को बताया था कि वह घटना वाले दिन दोपहर में करीब 2:30 बजे खजूरी चौक पर अपने भाई को देखने के लिए जा रहे थे। तभी मेन रोड की तरफ से शोर सुनाई दिया था।

    पुश्ता रोड पर दंगाइयों ने उन पर पथराव किया

    वह आगे बढ़े तो दंगाइयों ने पत्थर फेंकना शुरू कर दिया था। इस घटना में पत्थर लगने से वह घायल हो गए थे। इसी तरह सोनिया विहार निवासी वेदांत मिश्रा ने शिकायत में बताया था कि वह घटना वाले दिन दोपहर 3:30 बजे गाजियाबाद के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में परीक्षा देकर घर लौट रहे थे। तभी करावल नगर पुश्ता रोड पर दंगाइयों ने उन पर पथराव कर दिया था, जिससे वह बेहोश हो गए थे।

    सितंबर 2021 में तय हुए थे आरोप

    इस मामले में श्रीराम कॉलोनी निवासी शाहरुख और लोनी कुशल पार्क निवासी अमन उर्फ सूर्या को आरोपित बनाया गया था। इस केस में सितंबर 2021 में दोनों आरोपितों पर दंगा करने, हथियार का उपयोग करने, गैर कानूनी समूह में शामिल होने, गैर इरादतन हत्या का प्रयास करने समेत कई आरोप तय हुए थे। ट्रायल में पीड़ितों ने आरोपितों को दंगाई के रूप में नहीं पहचाना। कोर्ट ने सभी पक्षों की दलील और साक्ष्यों पर गौर करने के बाद दोनों आरोपितों को बरी कर दिया।