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    Delhi University: शिक्षकों की पदोन्नति और नियुक्तियों सरल बनाने के लिए एक समान वरिष्ठता नीति होगी लागू

    Updated: Sat, 17 May 2025 07:09 PM (IST)

    दिल्ली विश्वविद्यालय अपने कॉलेज के शिक्षकों की वरिष्ठता निर्धारित करने के लिए एक समान नीति लागू करने जा रहा है। कुलपति योगेश सिंह की अध्यक्षता वाली कार्यकारी परिषद में इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए रखा जाएगा। यह नई नीति वरिष्ठता को स्पष्ट करेगी और नियुक्तियों में पारदर्शिता भी लाएगी।

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    डीयू वरिष्ठता निर्धारित करने के लिए एक समान नीति लागू करने जा रहा है।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) अपने काॅलेज में शिक्षकों की वरिष्ठता निर्धारित करने के लिए एक समान नीति लागू करने जा रहा है। इसका उद्देश्य अस्पष्टता को खत्म करना और संकाय नियुक्तियों और आंतरिक प्रशासन को सरल बनाना है।

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    प्रस्ताव को 23 मई को होने वाली कार्यकारी परिषद (ईसी) की बैठक में अंतिम मंजूरी के लिए रखा जाएगा। कुलपति योगेश सिंह की अध्यक्षता वाली कार्यकारी परिषद विश्वविद्यालय की सर्वोच्च वैधानिक संस्था है।

    वरिष्ठता निर्धारित करने में सहायक प्रोफेसरों, अकादमिक समितियों और वैधानिक निकायों के बीच भ्रम स्थिति रहती है। वरिष्ठतम संकाय सदस्यों को नामित करते समय काॅलेजों में पदोन्नति के दौरान कई बाद भ्रम की स्थिति पैदा हुई है।

    नीति बनाने के लिए जुलाई 2024 में बनी थी समिति

    सुधार की आवश्यकता को देखते हुए विश्वविद्यालय ने इस मुद्दे की जांच करने और एक सुसंगत नीति की सिफारिश करने के लिए जुलाई 2024 में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया।

    काॅलेज के डीन की अध्यक्षता वाली इस समिति में डीयू के प्रमुख काॅलेजों के प्रिंसिपल, कार्यकारी और अकादमिक परिषदों के सदस्य और एससी, एसटी और ओबीसी समुदायों के श्रेणीवार प्रतिनिधि शामिल थे। प्रस्तावित नीति में कहा गया है कि जिन विभागों की नियुक्तियां पहले हुई, उन्हें अन्य विभागों से वरिष्ठ माना जाएगा।

    एक समान वरिष्ठता सूची नहीं बनी तो आयु के आधार पर होगा निर्णय 

    किसी विभाग के अंदर, यदि चयन समिति द्वारा एक सामान्य वरिष्ठता सूची तैयार नहीं की जाती है, तो सभी श्रेणियों के प्रथम रैंक वाले संकाय सदस्यों को समान स्तर पर रखते हुए आयु के आधार पर वरिष्ठता निर्धारित की जाएगी।

    यह प्रक्रिया तब तक जारी रहेगी जब तक सभी रैंक समाप्त नहीं हो जाती हैं। ये समानांतर सूचियां सामान्य क्रम में बदलाव किए बिना प्रत्येक श्रेणी के भीतर वरिष्ठता को स्पष्ट करने का काम करेंगी, जिससे नामांकन और नियुक्तियों में पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा मिलेगा।

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