यूजीसी ड्राफ्ट रेगुलेशन पर डूटा की आपत्ति, पांच प्रतिशत कक्षाएं ऑनलाइन करने का विरोध
दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) ने यूजीसी ड्राफ्ट रेगुलेशन 2025 का विरोध करते हुए राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा है। डूटा ने एनईपी 2020 की कमियों को उजागर किया और ऑनलाइन शिक्षा को अकादमिक गुणवत्ता के लिए खतरा बताया। शिक्षकों की चुनौतियों वेतन वृद्धि और सुविधाओं की मांग की गई साथ ही गैर-शिक्षकीय स्टाफ के लिए करियर संवर्धन योजनाओं पर भी जोर दिया गया।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) ने राष्ट्रपति को शिक्षा मंत्रालय के माध्यम से एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा है। इसमें यूजीसी ड्राफ्ट रेगुलेशन 2025 को वापस लेने और शिक्षकों की लंबित शैक्षणिक व सेवा-संबंधी समस्याओं के समाधान की मांग की गई है। ज्ञापन को डीयू के लगभग दो हजार शिक्षकों का समर्थन प्राप्त है।
इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में एक प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए डूटा अध्यक्ष प्रो. एके भागी ने कहा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत लागू चौथे वर्ष के अंडरग्रेजुएट करिकुलम फ्रेमवर्क (यूजीसीएफ) की कमियों को उजागर किया। उन्होंने बताया कि इसकी अव्यवहारिक संरचना, अत्यधिक पेपर लोड और मुख्य विषयों में कम क्रेडिट से शैक्षणिक गहराई प्रभावित हुई है। बढ़ते कार्यभार के बावजूद न पर्याप्त नियुक्तियां हुईं और न ही आधारभूत सुविधाएं बढ़ाई गईं।
विश्वविद्यालय की अकादमिक गुणवत्ता के लिए ऑनलाइन माध्यम खतरा
भीड़भाड़ वाली कक्षाएं, संसाधनों की कमी और शैक्षणिक कैलेंडर का अभाव छात्रों व शिक्षकों के लिए बाधा बन रहा है। प्रो. भागी ने स्वयम और मूक्स जैसे ऑनलाइन माध्यमों को विश्वविद्यालय की अकादमिक गुणवत्ता के लिए खतरा बताया। कहा कि पांच प्रतिशत कक्षाएं आनलाइन अनिवार्य करना शिक्षा के हित में नहीं है। चौथे वर्ष का सेशन शुरू हो रहा है लेकिन प्रयोगशालाओं में सामान नहीं है और पाठ्यक्रम के मुताबिक पढ़ाना संभव नहीं दिख रहा है।
प्रो. भागी ने बताया कि ईडब्ल्यूएस विस्तार के लिए आवश्यक नए शैक्षणिक पदों को शिक्षा मंत्रालय ने स्वीकृति नहीं दी है, न ही एनईपी की बढ़ती जरूरतों के लिए अतिरिक्त आर्थिक सहायता दी गई है। इससे शिक्षकों की चुनौतियां बढ़ी हैं और एनईपी 2020 के उद्देश्य कमजोर हुए हैं। डूटा ने यूजीसीएफ की समग्र समीक्षा, हितधारकों की भागीदारी और सुसंगत शैक्षणिक कैलेंडर की बहाली की मांग की।
एमफिल और पीएचडी के लिए वेतन वृद्धि बरकरार
डूटा की कोषाध्यक्ष डा. आकांक्षा खुराना ने बताया कि बिना आधारभूत ढांचे, वित्तीय संसाधनों और फीडबैक के नीतिगत पहलें सार्वजनिक विश्वविद्यालयों की स्थिरता को खतरे में डाल रही हैं। प्रो. भागी ने कहा कि डूटा मांग करता है कि एमफिल और पीएचडी के लिए वेतन वृद्धि बरकरार रखी जाए।
पूर्व तदर्थ सेवाओं की पूर्ण मान्यता हो, समयबद्ध, पारदर्शी पदोन्नति प्रक्रिया अपनाई जाए। शोध अवकाश के लिए बेहतर सुविधाएं दी जाएं। वरिष्ठ प्रोफेसर पदों पर मनमाने प्रतिबंध हटाए जाएं। डूटा के उपाध्यक्ष डा. सुधांशु कुमार ने पुस्तकालयाध्यक्षों, शारीरिक शिक्षा निदेशकों और ओएमएसपी प्रशिक्षकों के लिए सेवा शर्तों, सेवानिवृत्ति आयु और पदोन्नति में समानता की मांग की। उन्होंने "नॉट फाउंड सूटेबल" (एनएफएस) प्रविधान के दुरुपयोग की निंदा की, जो आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के हितों को नुकसान पहुंचाता है।
गैर-शिक्षकीय शैक्षणिक स्टाफ के लिए करियर संवर्धन योजनाओं की मांग
डूटा ने यूजीसी के स्क्रीनिंग मानदंडों का सख्ती से पालन, रिक्त पदों की शीघ्र पूर्ति और गैर-शिक्षकीय शैक्षणिक स्टाफ के लिए करियर संवर्धन योजनाओं की मांग की। डूटा ने राष्ट्रपति और शिक्षा मंत्रालय से तत्काल हस्तक्षेप की अपील की और मांगों पर गौर करने का अनुरोध किया। इस मौके पर डूटा सचिव प्रो. अनिल कुमार, प्रो. आदित्य नारायण मिश्रा, प्रो. रुद्राशीष चक्रवर्ती आदि मौजूद रहे।
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