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    दिल्ली यूनिवर्सिटी ने विरोध के बाद लिया बड़ा फैसला, माइनर डिग्री में GE विषय चुनने की बाध्यता खत्म!

    Updated: Sun, 03 Aug 2025 04:23 PM (IST)

    दिल्ली विश्वविद्यालय ने माइनर डिग्री के लिए अनिवार्य जीई विषय चुनने का नियम रद्द कर दिया है। छात्रों और शिक्षकों के विरोध के बाद यह फैसला लिया गया है क्योंकि उनका मानना था कि यह नियम शैक्षणिक स्वतंत्रता के खिलाफ है। अब छात्र अपनी रुचि के अनुसार जीई विषय चुन सकेंगे जिससे उन्हें काफी राहत मिलेगी और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा।

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    डीयू ने माइनर डिग्री के लिए अनिवार्य जीई विषयों की शर्त हटाई।

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय ने माइनर डिग्री हासिल करने के लिए खास जनरल इलेक्ट्रिव (जीई) विषयों को चुनना अनिवार्य बनाने वाले नियम को वापस ले लिया है। यह फैसला शिक्षकों और छात्रों के निरंतर विरोध के बाद आया है, जिन्होंने इस प्रावधान को शैक्षणिक खुलेपन के खिलाफ और छात्रों की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने वाला बताया था।

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    29 जुलाई को जारी अधिसूचना में विश्वविद्यालय ने स्पष्ट किया है कि अब छात्रों के लिए किसी विशेष अनुशासन से जीई लेने की कोई अनिवार्यता नहीं होगी। इस निर्णय से पहले के सभी संबंधित सर्कुलरों को रद कर दिया गया है।

    अधिसूचना में कहा गया है, यह स्पष्ट किया जाता है कि जो छात्र किसी विशेष अनुशासन में ‘माइनर’ के रूप में परास्नातक कार्यक्रम के लिए पात्र बनना चाहते हैं, वे जीई विषयों के पूल में से कोई भी जीई चुन सकते हैं।” इससे पहले जीई पूल में तीन विषयों को अनिवार्य बनाया गया था, जिसमें विषय से सम्बन्धित अधिकतम जानकारी होती है।

    डीयू का मानना था कि माइनर डिग्री औपचारिक नहीं होनी चाहिए, चूंकि छात्र उसके आधार पर पीजी में प्रवेश लेंगे, ऐसे में उन्हें विषय की गहन जानकारी नहीं होगी तो इससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होगी। शिक्षकों और छात्रों ने इस व्यवस्था की यह कहते हुए आलोचना की थी कि यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) द्वारा सुझाए गए बहु-विषयक दृष्टिकोण के विरुद्ध है।

    इससे पहले आखिरी बार मार्च में एक अधिसूचना जारी कर विश्विद्यालय की ओर से सुझाए गए विषय लेना अनिवार्य किया गया था। पिछले साल भी इसको लेकर अधिसूचना जारी हुई थी। अब इसके हटने से छात्रों को उन जीई विषयों को चुनने की स्वतंत्रता मिलेगी जो उनकी रुचि या कैरियर लक्ष्यों से बेहतर मेल खाते हों।

    साथ ही, जिन छात्रों को सीट की उपलब्धता या अन्य कारणों से वांछित जीई लेने में कठिनाई हो रही थी, उन्हें भी इसका लाभ मिलेगा। इंडियन नेशनल टीचर्स कांग्रेस (इंटेक) ने विश्वविद्यालय प्रशासन के समक्ष लगातार इस प्रविधान को हटाने की मांग उठाई थी। इस निर्णय से शिक्षकों और छात्रों दोनों को राहत मिली है। शिक्षकों का कहना है कि यह कदम शैक्षणिक स्वतंत्रता की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति है।