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    मनुष्य किताबों का भावनात्मक अनुवाद होता है, जैसा पढ़ता है वैसा ही बन जाता है : प्रो. योगेश सिंह

    By Prateek KumarEdited By:
    Updated: Mon, 05 Sep 2022 08:21 PM (IST)

    प्रो. योगेश सिंह ने आगे कहा कि किताबें सबसे वफादार मित्र होती हैं। वो हमारा साथ कभी नहीं छोड़ सकतीं। भारत के युवाओं को किताबों के प्रति रुचि बढ़ानी होगी। पुस्तक अध्ययन भारत की समृद्ध वैचारिक परंपरा का हिस्सा रहा है।

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    डीयू कुलपति और एनबीटी निदेशक ने बस को दिखाई हरी झंडी

    नई दिल्ली [राहुल चौहान]। शिक्षक स्वयं में एक जीवंत किताब हैं या इस बात को यूं भी कह सकते हैं कि किताबें जीवंत शिक्षक हैं। कुछ मनोवैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि मनुष्य किताबों का भावात्मक अनुवाद होता है वो जैसी किताबें पढ़ता है वैसा ही बन जाता है। ये बातें दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने सोमवार को उत्तरी परिसर में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (एनबीटी) द्वारा शुरू की गई एक सचल पुस्तक प्रदर्शनी बस का उद्घाटन करने के अवसर पर कहीं। इस दौरान कुलपति ने एनबीटी के निदेशक कर्नल युवराज मलिक के साथ हरी झंडी दिखाकर प्रदर्शनी बस को रवाना किया।

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    किताबें सबसे वफादार मित्र

    प्रो. योगेश सिंह ने आगे कहा कि किताबें सबसे वफादार मित्र होती हैं। वो हमारा साथ कभी नहीं छोड़ सकतीं। भारत के युवाओं को किताबों के प्रति रुचि बढ़ानी होगी। पुस्तक अध्ययन भारत की समृद्ध वैचारिक परंपरा का हिस्सा रहा है। एनटीबी की पुस्तक प्रदर्शनी का यह अभियान सभी लेखकों, पाठकों और संस्थानों को एक मंच पर लाना है। उन्होंने इस अभियान का श्रेय प्रधानमंत्री के रीड इंडिया कैंपेन को दिया।

    भारत बन सकता है ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था

    भारत ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था ऐसे ही बन सकता है जब हर हाथ में किताब पहुंचे। क्या गांव क्या शहर एनबीटी ने हर जगह यह मुहिम शुरू की है। इसके सकारात्मक परिणाम हमारे सामने हैं। साथ ही, उन्होंने प्रतिभाशाली लेखकों को एनबीटी से जुड़ने के लिए आमंत्रित किया।

    पांच से 30 सितंबर तक चलेगी प्रदर्शनी बसें 

    उल्लेखनीय है कि एनबीटी द्वारा पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन आजादी के 75 साल, डीयू के 100 साल और महर्षि अरविंद की 150वीं जयंती के अवसर पर किया गया है। प्रदर्शनी बस पांच से 30 सितंबर तक डीयू के 20 कालेजों में भ्रमण पर रहेगी। यहां विद्यार्थी 10 से 30 प्रतिशत छूट पर पुस्तकें खरीद सकेंगे। कार्यक्रम में डीयू के कुलसचिव डा. विकास गुप्ता, लाइब्रेरियन राजेश सिंह, डीन, विभिन्न विभागों के प्राध्यापक, कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डा. प्रभांशु ओझा और अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।