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    DU में खाली सीटें भरने के लिए ओपन मॉप-अप राउंड कराने की तैयारी, PhD कोर्स के लिए नई गाइडलाइन जारी

    Updated: Sat, 13 Sep 2025 08:21 AM (IST)

    दिल्ली विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद ने स्नातक पाठ्यक्रमों में खाली सीटों को भरने के लिए कुलपति को ओपन मॉप-अप राउंड आयोजित करने का अधिकार दिया। फिजिकल एडमिशन के जरिए दाखिले का मौका मिलेगा। श्रीलंका की प्रधानमंत्री डॉ. हरिनी अमरसूर्या को मानद डॉक्टरेट की उपाधि दी जाएगी। पीएचडी पाठ्यक्रम में 2025-26 से एकरूपता लाई जाएगी जिसके लिए नए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं।

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    फिजिकल एडमिशन के जरिए दाखिले का मौका मिलेगा। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) की कार्यकारी परिषद (ईसी) की 1278वीं बैठक में कुलपति को स्नातक पाठ्यक्रमों की खाली सीटों को भरने के लिए ओपन मॉप-अप राउंड आयोजित करने का अधिकार दे दिया गया है। विश्वविद्यालय में इस समय 9500 से अधिक सीटें खाली हैं।

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    इससे पहले चल रहे मॉप-अप राउंड में 69 में से 65 कॉलेजों ने भाग लिया था, लेकिन इसके बावजूद बड़ी संख्या में सीटें खाली रह गईं। अब प्रस्ताव है कि छात्रों को फिजिकल एडमिशन के जरिए सीधे कॉलेज जाकर दाखिला लेने का मौका दिया जाए।

    ईसी सदस्यों ने सुझाव दिया कि ऑनलाइन के साथ-साथ ऑन-द-स्पॉट दाखिले की भी व्यवस्था की जाए। बैठक में डीयू के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि दाखिला प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और सुचारू बनाने के लिए जल्द ही नीति तय की जाएगी।

    ईसी की बैठक में सर्वसम्मति से यह भी निर्णय लिया गया कि श्रीलंका की प्रधानमंत्री और डीयू की पूर्व छात्रा डॉ. हरिनी अमरसूर्या को मानद डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान की जाएगी। 11 सितंबर को हुई एसी की आपात बैठक में पारित प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। डॉ. अमरसूर्या 17-18 अक्टूबर को भारत दौरे पर आएंगी। इस दौरान उन्हें एक विशेष दीक्षांत समारोह में यह सम्मान दिया जाएगा।

    उन्होंने विदेश मंत्रालय द्वारा प्रायोजित छात्रवृत्ति के माध्यम से 1991-1994 में हिंदू कॉलेज से समाजशास्त्र में स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी। बैठक में कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने देश के 15वें उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन का अभिनंदन करते हुए कहा कि वे डीयू के कुलाधिपति भी हैं, इसलिए उनके स्वागत में डीयू कार्यकारी समिति की ओर से एक प्रस्ताव पारित कर भेजा जाना चाहिए। सभी कार्यकारी समिति सदस्यों ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया।

    शोध पर चर्चा के लिए विशेष कक्ष बनाए जाएं

    राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत शुरू किए गए स्नातक चतुर्थ वर्ष के संबंध में कुलपति ने कहा कि प्रत्येक महाविद्यालय में शोध चर्चा कक्ष बनाए जाने चाहिए और शिक्षकों के लिए भी कक्षों की व्यवस्था की जानी चाहिए।

    जब कार्यकारी समिति के सदस्यों ने ईसीए और खेल कोटे के तहत दाखिलों को लेकर सभी कॉलेजों के लिए स्पष्ट स्थिति का मुद्दा उठाया, तो कुलपति ने कहा कि इसके लिए निर्धारित पांच प्रतिशत कोटे का प्रावधान सभी कॉलेजों के लिए है, इसमें कॉलेज अपने स्तर पर सुविधाओं के अनुसार 3:2 का प्रावधान कर सकते हैं कि किसे तीन प्रतिशत और किसे दो प्रतिशत देना है।

    कुलपति को इसकी नीति बनाने के लिए भी अधिकृत किया गया है। पहले दोनों कोटे में पाँच प्रतिशत में से सीटें दी जाती थीं। इनमें कई बार खेलों को केवल एक प्रतिशत ही दिया जा रहा था।

    पीएचडी पाठ्यक्रम में आएगी एकरूपता

    बैठक में पीएचडी पाठ्यक्रम के लिए दिशानिर्देश भी पारित किए गए। डीयू में सभी विभाग अपने-अपने विषयों में पीएचडी कार्यक्रम चलाते हैं। यह देखा गया है कि विभिन्न विषयों में पढ़ाए जा रहे पाठ्यक्रम के प्रारूप में भिन्नताएँ होती हैं।

    पीएचडी पाठ्यक्रम में एकरूपता लाने के लिए कुछ दिशानिर्देश तैयार किए गए हैं, जो 2025-26 से प्रभावी होंगे। इनके तहत पीएचडी के लिए आवश्यक कुल क्रेडिट 12 से 16 तक होंगे, न्यूनतम 12 क्रेडिट में रिसर्च मेथोडोलॉजी के चार क्रेडिट, रिसर्च पब्लिकेशन एथिक्स के दो क्रेडिट, रिसर्च टूल्स के दो क्रेडिट और अनुशासन विशिष्ट इलेक्टिव कोर्स के चार क्रेडिट शामिल होंगे।

    जरूरत पड़ने पर डीएसई से अतिरिक्त चार क्रेडिट लिए जा सकेंगे। इसके साथ ही, ईसी ने सेंटर फॉर एडवांस्ड बुद्धिस्ट स्टडीज और सेंटर फॉर गुरुमुखी स्क्रिप्ट्स को भी मंजूरी दे दी है, जिन्हें पिछले महीने मंजूरी मिली थी। इनके लिए भी फंड आ गया है।