डीयू में चौथा वर्ष अपनाने में बीए और बीएससी के छात्र सबसे आगे, लेकिन तैयारियां अधूरी; सवाल भी उठ रहे
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत दिल्ली विश्वविद्यालय के चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम में 50 हजार से अधिक छात्रों ने चौथे वर्ष को चुना है जिनमें इंटरडिसिप्लिनरी बीए और बीएससी प्रोग्राम के छात्र शामिल हैं। नीति का उद्देश्य अकादमिक लचीलापन और शोध के अवसर बढ़ाना है। कुलपति योगेश सिंह ने इसे गेम चेंजर बताया जबकि शिक्षक संघ बुनियादी ढांचे की कमी पर सवाल उठा रहे हैं।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में शुरू हो रहे चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम के चौथे वर्ष के लिए बीए और बीएससी प्रोग्राम के छात्र सबसे बड़ी संख्या में आगे आए हैं। विश्वविद्यालय के आंकड़ों के अनुसार, लगभग 72 हजार पात्र छात्रों में से अब तक 50 हजार से अधिक छात्रों ने चौथे वर्ष को जारी रखने का विकल्प चुना है।
इनमें बड़ी संख्या उन छात्रों की है जो इंटरडिसिप्लिनरी बीए और बीएससी प्रोग्राम का हिस्सा हैं। पहले इन्हें आनर्स डिग्री प्राप्त करने का अवसर नहीं मिलता था, लेकिन एनईपी के तहत अब उन्हें यह विकल्प मिला है। रामजस कॉलेज के छात्र मानव ने कहा कि यह हमारे लिए एक बड़ा मौका है। पहले आनर्स की सुविधा नहीं थी, अब है, इसलिए हमने इसे चुना।
उद्देश्य अकादमिक लचीलापन और शोध के अवसर बढ़ाना
हालांकि, नीति का उद्देश्य अकादमिक लचीलापन और शोध के अवसर बढ़ाना है, पर इसके क्रियान्वयन को लेकर छात्रों और शिक्षकों के बीच असमंजस और अव्यवस्था बनी हुई है। कई कालेजों में विभागों की स्टाफ अधूरा है, रिसर्च गाइड अब तक तय नहीं हुए हैं और दिशा-निर्देश अस्पष्ट हैं।
जीसस एंड मैरी कालेज की छात्रा अनन्या ने बताया कि हमें कहा गया था कि हम चौथे वर्ष में समाजशास्त्र या मनोविज्ञान में रिसर्च कर सकते हैं, लेकिन बाद में मनोविज्ञान विभाग ने साफ किया कि यह केवल आनर्स छात्रों के लिए है। इंटरडिसिप्लिनरी पाठ्यक्रमों में शामिल छात्रों ने बताया कि कई विभागों से विरोधाभासी सूचनाएं मिल रही हैं, जिससे उनके अकादमिक भविष्य को लेकर भ्रम की स्थिति बन गई है।
डीयू के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने इस वर्ष को गेम चेंजर बताया
डीयू के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने इस वर्ष को गेम चेंजर बताते हुए कहा कि विश्वविद्यालय छात्रों को समुचित सुविधाएं देने के लिए तैयार है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि 20 हजार से अधिक छात्रों ने चौथे वर्ष से बाहर रहने का विकल्प चुना है।
हालांकि, डीयू शिक्षक संघ अब भी संदेह में हैं। उनका कहना है कि बुनियादी ढांचे की कमी, सीमित फैकल्टी और ओरिएंटेशन कार्यक्रमों का अभाव विश्वविद्यालय की तैयारियों पर सवाल खड़े करता हैं।
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