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    डीयू के एक कॉलेज ने VC के एक्स अकाउंट को फॉलो करने के दिए निर्देश, हुआ विवाद तो दिया अजीब जवाब

    Updated: Wed, 14 May 2025 08:33 PM (IST)

    दिल्ली विश्वविद्यालय के शहीद भगत सिंह कॉलेज ने एक ऐसा आदेश जारी किया जिससे छात्रों से लेकर फैकल्टी तक में विवाद हो गया। विवाद इतना बढ़ा कि कॉलेज को यह ...और पढ़ें

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    डीयू के कॉलेज ने वीसी के एक्स अकाउंट को फालो करने के दिए निर्देश, विवाद

    जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय के शहीद भगत सिंह कॉलेज की ओर से 12 मई को एक नोटिस जारी कर कॉलेज के छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों से कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह के आधिकारिक एक्स अकाउंट को फॉलो करने और भारतीय सशस्त्र बलों के समर्थन में की गई पोस्टों को साझा करने का आग्रह किया गया था। इस पर विवाद खड़ा हो गया। जिसके बाद उक्त नोटिस को कॉलेज की वेबसाइट से हटा दिया गया है।

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    नोटिस में कहा गया था कि कॉलेज के सभी शिक्षक, कर्मचारी एवं विद्यार्थी कुलपति प्रो. योगेश सिंह के आधिकारिक एक्स अकाउंट को फालो करें।

    नोटिस में आगे कहा गया, यह सामूहिक प्रयास देश की सेना के प्रति कृतज्ञता और समर्थन प्रकट करने के लिए है। इन संदेशों को अधिक से अधिक साझा कर हम न केवल उनके साहस और बलिदान के प्रति जागरूकता फैलाते हैं, बल्कि हमारे समुदाय में राष्ट्रीय गर्व और एकता की भावना को भी मजबूत करते हैं।

    12 मई को वीसी ने किया था ऑपरेशन सिंदूर पर पोस्ट

    बताया गया कि कुलपति सिंह ने 12 मई को 'ऑपरेशन सिंदूर' पर एक पोस्ट किया, जिसमें भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में की गई कार्रवाई को लेकर लिखा।

    हिंदी में लिखी गई पोस्ट में उन्होंने कहा कि भारतीय बलों ने पाकिस्तानी आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया और 100 से अधिक आतंकियों को ढेर किया, जिनमें आईसी814 विमान अपहरण और पुलवामा हमले से जुड़े आतंकी भी शामिल थे। उन्होंने लिखा, 'सरकार और सेना कम बोलती है, ज़्यादा करती है, और राष्ट्रीय हित सर्वोपरि होता है।'

    पोस्ट के अंत में रामधारी सिंह 'दिनकर' की कविता परशुराम की प्रतीक्षा की पंक्तियां उद्धृत की गईं, जिसमें सेना और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति समर्थन की अपील की गई।

    कॉलेज ने नोटिस को यूजीसी के 'नेशन फर्स्ट' अभियान का दिया हवाला

    इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कॉलेज प्राचार्य अरुण कुमार अत्री ने कहा, यह नोटिस यूजीसी के ‘नेशन फर्स्ट’ अभियान के तहत हमारी सेना का मनोबल बढ़ाने के उद्देश्य से जारी किया गया था।

    इस नोटिस का डीयू कुलपति से कोई सीधा संबंध नहीं है। नोटिस पहले कॉलेज की वेबसाइट पर उपलब्ध था, पर अब हटा लिया गया है।

    प्रो. अत्री ने कहा, इससे पहले कॉलेज को डीयू की तरफ से राष्ट्र प्रथम अभियान पर कार्यक्रम आयोजित करने के निर्देश प्राप्त हुए थे। इसको लेकर एक समिति का गठन भी कॉलेज की ओर से किया गया।

    अभियान सामाजिक संगठनों से जुड़ाव, प्रतियोगिताओं के साथ इंटरनेट मीडिया कैंपेन चलाने की बात कही गई है। इसी कड़ी में यह नोटिस निकाला गया है।

    शैक्षणिक परिषद ने भी की आलोचना

    यूजीसी का स्पष्ट मत है कि शैक्षणिक संस्थानों के प्रतिनिधियों से छात्र जुड़ें और इसलिए उन्हें जुड़ने का आग्रह किया गया है। इसे दूसरे दृष्टिकोण से देखा रहा है।

    इस निर्देश की आलोचना करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय की शैक्षणिक परिषद की सदस्य प्रो. माया जान ने कहा कि किसी को फॉलो करना या न करना व्यक्ति की स्वतंत्र इच्छा पर निर्भर करता है।

    किसी अधिकारी द्वारा किसी अन्य अधिकारी को फालो करने का निर्देश सिर्फ मनमानी नहीं बल्कि अधीनता की संस्कृति को बढ़ावा देता है। यह एक अत्यंत निंदनीय कदम है।