दिल्ली की सरकार बदली तो 1500 बेरोजगारों की नौकरी अटकी, ट्रेनिंग दिए जाने के बावजूद भटकने को मजबूर
दिल्ली सरकार के रोजगार कार्यालय द्वारा प्रशिक्षित 1500 से अधिक युवा डीटीसी कंडक्टर के रूप में नौकरी पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। 2022-23 में कॉल लेटर के माध्यम से बुलाए जाने और प्रशिक्षण प्राप्त करने के बावजूद सरकार बदलने से उनकी उम्मीदें धूमिल हो गई हैं। उनका आरोप है कि निजी कंपनियों के माध्यम से भर्ती हो रही है और उनकी सुनवाई नहीं हो रही।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली सरकार के रोजगार कार्यालय के माध्यम से जिन युवाओं को काॅल लेटर देकर बुलाया गया और डीटीसी कंडक्टर का प्रशिक्षण तक दिलाया गया, लेकिन अब इन्हें नौकरी नहीं मिल रही है।
इसकी वजह सरकार बदलना भी है। नई सरकार इन्हें कंसीडर ही नहीं कर रही है। ये बेराेजगार युवा इधर-उधर धक्के खा रहे हैं। इनकी संख्या 1500 से अधिक है। इनमें लड़कियों की संख्या भी काफी है, उनका कहना कि दिल्ली में मुख्यमंत्री के पद पर एक महिला हैं, इन्हें उम्मीद है कि सरकार उनकी बात जरूर सुनेगी।
मामले की स्थिति पर जाएं तो 2022 में अगस्त से लेकर मार्च 2023 तक रोजगार कार्यालय ने काॅल लेटर के माध्यम से इन्हें बुलाया था और डीटीसी में अनुबंध के आधार पर कंडक्टर की नौकरी के बारे में सूचना दी गई थी।
इन लोगों ने डीटीसी मुख्यालय पहुंचकर अपने दस्तावेज, कंडक्टर का लाइसेंस आदि की प्रति जमाई, इनका मेडिकल हुआ, मेडिकल होने के बाद में इन्हें कंडक्टर का सात दिन का प्रशिक्षण भी डीटीसी की तरफ से दिलाया गया।
इसके बाद इन्हें कहा गया कि अब डीटीसी डिपो देने के लिए इन्हें पत्र देकर बुलाया जाएगा। ये लोग इस उम्मीद में थे कि अब नौकरी मिल ही जाएगी, मगर तीन साल बीत जाने के बाद भी उनके घर वह पत्र नहीं पहुंचा है। ये लोग आज भी उस पत्र का इंतजार कर रहे हैं।
इन लोगों को कहना है कि पहले आम आदमी पार्टी की सरकार इन्हें ठरकाती रही कि बसें आएंगी ताे उन्हें बुलाया जाएगा, अब भाजपा सरकार के समय भी वही हो रहा है। नई सरकार भी उनकी बात की सुनवाई नहीं कर रही है।
इनकी मानें तो अधिकारी यहां तक कह दे रहे हैं कि पूर्व की सरकार में क्या हुआ उन्हें नहीं मालूम हे। जबकि उन्हें सरकारी तौर पर बुलाए जाने और प्रशिक्षण दिए जाने से लेकर पूरी प्रक्रिया सरकारी कागजों में दर्ज है।
सभी कुछ सरकार के नियमों के आधार पर हुआ है। इन लोगों का आरोप है कि वहीं दूसरी ओर एक प्राइवेट कंपनी के माध्यम से डीटीसी में कंडक्टर लिए जा रहे हैं, जबकि रोजगार कार्यालय के माध्यम से जिन लोगों को बुलाया था उन को नौकरी नहीं दी जा रही है।
ऐसे कुछ लोग सोमवार को डीटीसी मुख्यालय पर एकत्रित हुए और सरकार से उनकी समस्या की ओर ध्यान दिए जाने की मांग की।
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