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    जानें ड्रोन तकनीक के उपयोग से कृषि कार्यों में कैसे मिल सकती है मदद...

    Drones Latest News बेहतर उपज आज हर देश की जरूरत है। इसके लिए बेहद जरूरी है कि इस क्षेत्र में भी तकनीक का भरपूर उपयोग हो। खेती-किसानी भी धीरे-धीरे हाइटेक होने लगी है। सरकार कृषि कार्यों के लिए ड्रोन के उपयोग को प्रोत्साहित कर रही है।

    By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Thu, 17 Feb 2022 02:40 PM (IST)
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    खेती-किसानी हो जाएगी हाइटेक और अधिक लाभप्रद

    नई दिल्ली, अमित निधि। दुनियाभर में कृषि कार्यों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और ड्रोन का उपयोग बढ़ रहा है। भारत में भी सरकार कृषि क्षेत्र में तकनीक के उपयोग को बढ़ावा दे रही है, ताकि बेहतर उपज के साथ-साथ किसानों की आय में भी वृद्धि हो। महाराष्ट्र, राजस्थान आदि राज्यों के तमाम किसान खेती-किसानी के कार्यों में ड्रोन का उपयोग करने लगे हैं।

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    कृषि ड्रोन खेती के आधुनिक उपकरणों में से एक है, जिसके इस्तेमाल से किसानों को काफी मदद मिल सकती है। ड्रोन से बड़े क्षेत्रफल में महज कुछ मिनटों में कीटनाशक, खाद या दवाओं का छिड़काव किया जा सकता है। इससे न सिर्फ लागत में कमी आएगी, बल्कि समय की बचत भी होगी। सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि सही समय पर खेतों में कीट प्रबंधन किया जा सकेगा। सरकार ने देश में ही ड्रोन के विकास को बढ़ावा देने के लिए इसके आयात पर भी रोक लगा दी है।

    कृषि ड्रोन बंटाएगा हाथ : पिछले कुछ वर्षों में कृषि ड्रोन तकनीक में काफी सुधार हुआ है। अब किसान भी इस बात को समझने लगे हैं कि कैसे ड्रोन तकनीक से उन्हें मदद मिल सकती है। आमतौर पर कृषि क्षेत्र में ड्रोन का उपयोग मैपिंग, सर्वेक्षण से लेकर कीटनाशक छिड़काव तक में होता है। वैसे, कृषि ड्रोन दूसरे ड्रोन से अलग नहीं हैं। इस छोटे यूएवी (मानव रहित विमान) को किसानों की जरूरतों के हिसाब से बदला जा सकता है। हालांकि अब कई ड्रोन विशेष रूप से कृषि उपयोग के लिए ही विकसित किए जा रहे हैं।

    सिंचाई निगरानी : यदि बड़े क्षेत्र में सिंचाई हो रही है, तो ड्रोन की मदद से निगरानी में मदद मिल सकती है। इसमें मल्टीस्पेक्ट्रल सेंसर उन क्षेत्रों की पहचान कर सकते हैं, जो बहुत शुष्क हैं। इससे किसान को पूरे क्षेत्र में बेहतर सिंचाई में सहायता मिल सकती है। ड्रोन सर्वेक्षण से फसलों की जल ग्रहण क्षमता में सुधार लाया जा सकता है। साथ ही, सिंचाई के दौरान संभावित रिसाव के बारे में भी जानकारी हासिल की जा सकती है। उदाहरण के लिए किसान टाइम-लैप्स फोटोग्राफी के माध्यम से पता लगा सकते हैं कि उनकी फसल का कौन-सा हिस्सा ठीक से सिंचित नहीं हो रहा है।

    फसल स्वास्थ्य की निगरानी : फसलों में बैक्टीरिया आदि के बारे में शुरुआती दौर में ही पता लगाना मुश्किल होता है, मगर कृषि ड्रोन के लिए यह आसान है। ड्रोन देख सकता है कि कौन से पौधे अलग-अलग मात्रा में ग्रीन लाइट प्रदर्शित करते हैं। यह डाटा फसल स्वास्थ्य को ट्रैक करने के लिए मल्टीस्पेक्ट्रल इमेज बनाने में मदद करता है। इसके बाद लगातार निगरानी से फसलों को बचाने में मदद मिल सकती है।

    मृदा विश्लेषण : ड्रोन सर्वेक्षण किसानों को उनके खेत की मिट्टी की स्थिति के बारे में जानकारी एकत्र करने की सुविधा देता है। मल्टीस्पेक्ट्रल सेंसर बीज रोपने के पैटर्न, पूरे क्षेत्र की मिट्टी का विश्लेषण, सिंचाई और नाइट्रोजन-स्तर के प्रबंधन के लिए उपयोगी डाटा को हासिल करने में मदद कर सकता है। सटीक 3डी मैपिंग से किसान अपने खेत की मिट्टी की स्थिति का अच्छी तरह से विश्लेषण कर सकते हैं।

    फसल नुकसान का आकलन : ड्रोन की मदद से फसल के नुकसान का आकलन भी किया जा सकता है। मल्टीस्पेक्ट्रल सेंसर और आरजीबी सेंसर के साथ आने वाले कृषि ड्रोन खर-पतवार, संक्रमण और कीटों से प्रभावित क्षेत्रों का पता लगा सकते हैं। फिर डाटा के अनुसार संक्रमण से लड़ने के लिए रसायनों का सही मात्रा का उपयोग कर लागत को कम कर सकते हैं।

    कीटनाशकों का छिड़काव : ड्रोन के माध्यम से फसलों पर कीटनाशकों का छिड़काव करना आसान हो गया है। यह हानिकारक रसायनों से मानव संपर्क को भी सीमित करता है। कृषि ड्रोन इस कार्य को पारंपरिक तरीके की तुलना में बहुत तेजी और बेहतर तरीके से अंजाम दे सकता है। आरजीबी सेंसर और मल्टीस्पेक्ट्रल सेंसर वाले ड्रोन समस्याग्रस्त क्षेत्रों की सटीक पहचान और उपचार कर सकते हैं। अन्य तरीकों की तुलना में ड्रोन से हवाई छिड़काव पांच गुना तेज होता है।

    पशुधन ट्रैकिंग : ड्रोन सर्वेक्षण से किसान न केवल अपनी फसलों पर नजर रख सकते हैं, बल्कि अपने मवेशियों की गतिविधियों पर भी नजर रख सकते हैं। थर्मल सेंसर तकनीक खोए हुए जानवरों को खोजने में मदद करती है।

    ड्रोन के हैं कई लाभ

    खेती-किसानी में कृषि ड्रोन के उपयोग से कई फायदे हो सकते हैं:

    • बेहतर फसल उत्पादन के लिए ड्रोन का उपयोग किया जा सकता है। इससे सिंचाई योजना, फसल स्वास्थ्य की निगरानी, मिट्टी की गुणवत्ता की जानकारी, कीटनाशकों के छिड़काव आदि में मदद मिल सकती है
    • ड्रोन के उपयोग से किसानों को उनकी फसलों के बारे में नियमित रूप से सटीक जानकारी मिल सकती है, जिससे उन्हें निर्णय लेने में आसानी हो सकती है। साथ ही, समय और संसाधन की बर्बादी को रोका जा सकता है
    • ड्रोन के उपयोग से चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों, संक्रमित क्षेत्रों, लंबी फसलों और बिजली लाइनों के नीचे कीटनाशकों का छिड़काव किया जा सकता है
    • ड्रोन सटीक डाटा प्रोसेसिंग के साथ सर्वेक्षण करता है, जिससे किसानों को तेजी से और सटीक निर्णय लेने में मदद मिलती है। ड्रोन द्वारा एकत्रित किए गए डाटा की मदद से समस्याग्रस्त क्षेत्रों, संक्रमित/अस्वस्थ फसलों, नमी के स्तर आदि पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है
    • कृषि ड्रोन उर्वरक, पानी, बीज और कीटनाशकों जैसे सभी संसाधनों का बेहतर उपयोग करने में सक्षम बनाता है

    क्या है ड्रोन तकनीक

    ड्रोन एक मानव रहित विमान (यूएवी) है, जो मूल रूप से एक उड़ने वाला रोबोट है। इसे दूर से नियंत्रित किया जा सकता है। साफ्टवेयर-नियंत्रित सिस्टम के जरिए भी यह उड़ान भर सकता है। ड्रोन तकनीक लगातार विकसित हो रही है। आज की बात करें, तो भारतीय सेना के अलावा, मौसम की निगरानी-भविष्यवाणी, यातायात निगरानी, राहत और बचाव कार्य, खेती, फोटोग्राफी आदि में ड्रोन का उपयोग हो रहा है। ड्रोन तकनीक जीपीएस और आनबोर्ड सेंसर के साथ मिलकर काम करती है। आधुनिक ड्रोन डुअल ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) के साथ एकीकृत होते हैं। इसमें जीपीएस और ग्लोनास शामिल होते हैं। ये ड्रोन जीएनएसएस के साथ-साथ नान-सैटेलाइट मोड में भी उड़ान भर सकते हैं। रडार द्वारा निगरानी की स्थिति में सटीक ड्रोन नेविगेशन में मदद मिलती है। इससे वर्तमान स्थिति का भी पता चलता है।

    बचाएगा टिड्डियों के हमलों से भी

    पिछले कुछ वर्षों में टिड्डियों का खतरा बढ़ा है। टिड्डियों का दल फसलों, पेड़ों व अन्य प्रकार के पौधों को बर्बाद कर देता है। हाल के वर्षों में टिड्डियों के झुंड द्वारा भारत के कई क्षेत्रों विशेषकर राजस्थान में फसलों पर आक्रमण देखा गया। हजारों हेक्टेयर में लगी फसलों को प्रभावित करने वाले टिड्डियों का हमला किसी आपदा से कम नहीं है। इससे बचने के लिए अधिकांश देश आर्गेनोफास्फेट रसायनों पर निर्भर होते हैं। ड्रोन 15 मिनट में करीब 2.5 एकड़ में कीटनाशक का छिड़काव कर सकता है। ऐसे में ड्रोन इस समस्या का हल हो सकता है।

    खेती-किसानी हो जाएगी हाइटेक और अधिक लाभप्रद : स्काईलार्क ड्रोन के सीईओ और सह-संस्थापक मुघिलन थिरु रामासामी ने बताया कि इस वर्ष केंद्रीय बजट में की गई पहल से भारत में ड्रोन उद्योग के विकास को काफी गति मिलेगी। खासकर ड्रोन शक्ति और कृषि ड्रोन बेहतर कदम है। हाल ही में भारत सरकार ने विदेश से ड्रोन के आयात को प्रतिबंधित कर दिया है, इससे भी स्थानीय स्तर पर ड्रोन के विकास में मदद मिलेगी।

    कृषि क्षेत्र में किसान ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा देने की घोषणा से खेती-किसानी पहले की तुलना में आसान हो जाएगी। साथ ही, यह कदम कृषि क्षेत्र को भविष्य के लिए तैयार करेगा। इससे किसानों को फसल की पैदावार में सुधार के लिए वैज्ञानिक डाटा और प्रौद्योगिकी का उपयोग करना आसान हो जाएगा। साथ ही, वे खेती के अत्याधुनिक तरीकों से खुद को अपडेट रख सकेंगे। ड्रोन का उपयोग मिट्टी की स्थिति का विश्लेषण करने या फिर बड़े क्षेत्र में कीटनाशकों का छिड़काव करने के लिए किया जा सकता है।