RIP Dr KK Aggarwal: कुछ तो खास था दिल्ली के नामी डॉक्टर केके अग्रवाल में, जो भी मिला खिंचता चला गया
RIP Dr KK Aggarwal शिक्षक दिवस के दिन 5 सितंबर 1958 को जन्में डॉ. केके अग्रवाल ने डॉक्टर बनने के बाद अपना जीवन आम लोगों को स्वास्थ्य के प्रति शिक्षित व जागरूक करने में लगा दिया। वह कोरोना के प्रति जागरूकता के पर्याय बन गए थे।
नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। देश के जानेमाने डॉक्टर व हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष 62 वर्षीय पद्मश्री डॉ. केके अग्रवाल का कोरोना के कारण निधन हो गया। उन्होंने 17 अप्रैल को रात 11.30 बजे एम्स के ट्रामा सेंटर में आखिरी सांस ली। कोविशील्ड की दोनों डोज टीका लगे होने के बावजूद उन्हें कोरोना वायरस का संक्रमण हुआ और फिर बीमारी गंभीर होने के कारण उनका निधन हो गया। इससे चिकित्सा जगत को गहरा सदमा लगा है। वह मेडिकल एसोसिएशन (डीएमए), इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) व कंफेडरेशन ऑफ मेडिकल एसोसिएशन इन एशिया एंड ओसेनिया (सीएमएएओ) जैसे महत्वपूर्ण संगठनों के अध्यक्ष रहे। शिक्षक दिवस के दिन 5 सितंबर 1958 को जन्में डॉ. केके अग्रवाल ने डॉक्टर बनने के बाद अपना जीवन आम लोगों को स्वास्थ्य के प्रति शिक्षित व जागरूक करने में लगा दिया। वह कोरोना के प्रति जागरूकता के पर्याय बन गए थे। वहीं, डॉक्टर केके अग्रवाल इस कदर विनम्र और सहज थे कि जो भी उनसे मिलता उनका हो जाता। वह दिल की बीमारी को इस तरह समझाते कि हर किसी को उनका अंदाज भी भा जाता।
डॉ. केके अग्रवाल उन चुनिंदा डाक्टरों में शामिल हैं जिन्होंने चीन में कोरोना की महामारी शुरू होने पर उस साल नवंबर-दिसंबर से ही इसके संभावित खतरे के प्रति आगाह करना शुरू कर दिया था। उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए डीएमए पूर्व अध्यक्ष डॉ. अनिल बंसल ने कहा कि डॉ. केके अग्रवाल दिल्ली मेडिकल काउंसिल (डीएमसी) में भी 10 साल सदस्य रहे। हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के माध्यम से लोगों को जनस्वास्थ्य के प्रति जागरूक और जरूरतमंदों की मदद की। वह हर साल स्वास्थ्य मेला लगाते थे। जहां की निशुल्क जांच की जाती थी। वह करीब 20 सालों से लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के लिए कार्य करते रहे।
आइएमए का अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने एसोसिएशन के मुख्यालय में जन औषधि केंद्र और एक ओपीडी शुरू की थी, ताकि जरूरतमंद लोगों को निशुल्क चिकित्सकीय सलाह और सस्ती दवाएं मिल सके, लेकिन उनके अध्यक्ष पद से हटने के बाद आइएमए उन सुविधाओं को ज्यादा आगे नहीं बढ़ा पाया। उनकी सोच थी कि देश के हर व्यक्ति को सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटैशन) की जानकारी होनी चाहिए। क्योंकि देश में सबसे अधिक मौतें हार्ट अटैक से होती है। हार्ट अटैक होने पर यदि तुरंत सीपीआर दी जाए तो बहुत मरीजों की जान बचाई जा सकती है। लेकिन लोगों में इसकी जानकारी का अभाव है, इसलिए उन्होंने पुलिस, एंबुलेंस कर्मियों और जगह-जगह स्कूलों में जाकर उन्होंने सीपीआर का प्रशिक्षण दिया। कोरोना के संदर्भ में भी उन्होंने दर्जनों वीडियो बनाकर बहुत ही सामान्य भाषा में लोगों को इसके बारे में जानकारी देने का काम किया। ताकि लोगों को कोरोना के प्रति सचेत और जागरूक किया जा सके।