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    यमुना में प्रदूषण रोकने के लिए डीपीसीसी सख्त- मानकों के अनुरूप नहीं पाए जाने वाले साबुन व डिटर्जेट की बिक्री पर रोक

    By Vinay Kumar TiwariEdited By:
    Updated: Tue, 15 Jun 2021 12:59 PM (IST)

    दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने यमुना में प्रदूषण रोकने के लिए नवीनतम बीआइएस मानकों के अनुरूप नहीं पाए जाने वाले साबुन और डिटर्जेट की बिक्री भंडारण प ...और पढ़ें

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    सभी विभागों व निकायों से प्रतिबंध को प्रभावी तरीके से लागू करने को कहा, मासिक रिपोर्ट भी मांगी।

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने यमुना में प्रदूषण रोकने के लिए नवीनतम बीआइएस मानकों के अनुरूप नहीं पाए जाने वाले साबुन और डिटर्जेट की बिक्री, भंडारण, परिवहन और बिक्री पर सोमवार को प्रतिबंध लगा दिया। यह फैसला नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की तरफ से दो सदस्यीय विशेषज्ञ पैनल की सिफारिशों को लागू करने के सुझाव के संबंध में दिया गया है। एनजीटी ने घटिया साबुन और डिटर्जेट के उपयोग के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता अभियान शुरू करने का निर्देश भी दिया था।

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    डीपीसीसी की तरफ से जारी आदेश में दिल्ली में साबुन और डिटर्जेट की बिक्री, भंडारण, परिवहन और विपणन सुविधाओं से संबंधित दुकानों और अन्य प्रतिष्ठानों पर नियंत्रण रखने वाले स्थानीय निकायों, नागरिक आपूर्ति विभाग और जिला प्रशासन सहित सभी संबंधित अधिकारियों को सख्त निगरानी और औचक जांच के माध्यम से निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है। इसके साथ ही इस संबंध में की गई कार्रवाई की मासिक कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने को भी कहा है।

    घटिया डिटर्जेट से बनते हैं झाग

    केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक अधिकारी के अनुसार रंगाई उद्योगों, धोबी घाटों और घरों में इस्तेमाल होने वाले घटिया डिटर्जेट के कारण अपशिष्ट जल में फास्फेट की मात्रा अधिक होने की वजह से यमुना में झाग बनता हैं। उच्च फास्फेट सामग्री वाला अपशिष्ट जल जबतक नदी में सामान्य रूप से बह रहा होता है तो डिटर्जेट और अन्य कार्बनिक पदार्थ नदी के तल में जमा हो जाते हैं, लेकिन जब पानी बैराज में पहुंचकर ऊंचाई से गिरता है, तो झाग बनता है।