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    Digitally Study: देशभर के CSC बाल विद्यालयों में डिजिटल तरीके से पढ़ाई करेंगे छात्र, 3 स्कूलों में हो रहा ट्रायल

    By Umesh KumarEdited By:
    Updated: Tue, 02 Aug 2022 10:55 AM (IST)

    Delhi Education News इन बाल विद्यालयों में छह साल तक के बच्चे पढ़ाई करते हैं। आईआईटी दिल्ली नई शिक्षा नीति के अनुसार इन बाल विद्यालयों में पढ़ाई का खाका तैयार करने में मदद कर रहा है। तीन स्कूलों में इसका ट्रायल किया जा रहा है।

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    देशभर के CSC बाल विद्यालयों में डिजिटल तरीके से पढ़ाई करेंगे छात्र।

    नई दिल्ली, [संजीव कुमार मिश्र]। सेंट्रल इलेक्ट्रानिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत देशभर में कामन सर्विस सेंटर (CSC) संचालित होते हैं। बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के मकसद से सीएससी एकेडमी के अधीन बाल विद्यालय भी चलाए जाते हैं।

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    इन बाल विद्यालयों में छह साल तक के बच्चे पढ़ाई करते हैं। आईआईटी दिल्ली नई शिक्षा नीति के अनुसार इन बाल विद्यालयों में पढ़ाई का खाका तैयार करने में मदद कर रहा है। छात्रों के हाथों में डिजिटल डिवाइस भी पहुंचने शुरू हो गए हैं। छात्र अब डिजिटल पढ़ाई करेंगे। आईआईटी ने ऑग्मेंटेड रियलिटी आधारित चार ऐप भी तैयार किए हैं।

    प्रो. ज्योति कुमार ने बताया कि सीएससी एकेडमी और आईआईटी दिल्ली के बीच डिजिटल कंटेट तैयार करने को लेकर एक करार हुआ था, जिसके तहत आईआईटी दिल्ली में एक डिवाइन (डिजाइन एंड इनोवेनेशन इन वीएलई इंडिजिनस नेटवर्क ईकोसिस्टम) लैब स्थापित किया। इस लैब में आईआईटी के विज्ञानिक ऐप तैयार करने में जुटे हैं। सीएससी बाल विद्यालयों में तीन से छह साल तक के बच्चे पढ़ते हैं। ये अधिकतर ग्रामीण इलाकों में खुले हैं। डिजिटल कंटेंट तैयार करते समय इन सब बातों का ध्यान रखा गया।

    बच्चे करेंगे थ्री डी माडल से पढ़ाई

    सीएससी बाल विद्यालयों में बच्चे टैबलेट बेस्ड पढ़ाई कैसे करें? इसका खाका डिवाइन लैब में बनाया गया है। आईआईटी विज्ञानी अब तक ऑग्मेंटेड रियलिटी आधारित चार ऐप बना चुके हैं। ऑग्मेंटेड रियलिटी वह तकनीक है, जो डिवाइस का इस्तेमाल करके डिजिटल कटेंट को रियल वर्ल्ड के जैसा दिखाता है। इसे इस तरह भी समझ सकते हैं कि यह किसी पशु, पक्षी, पौधे, फूल का बिल्कुल नैसर्गिक थ्री डी मॉडल बनाता है, ताकि पढ़ाई करते समय बच्चे को असल का अनुभव हो। आईआईटी ने वर्णमाला का एक ऐप भी बनाया है, जो बच्चे को रोचक अंदाज में वर्णमाला सिखाती है। मसलन, टैब की स्क्रीन पर 'अ' लिखकर आएगा।

    जैसे ही बच्चा स्क्रीन टच करेगा, अनार समेत 'अ' वर्णमाला से जुड़ी अन्य चीजों की तस्वीर उभर कर आएंगी। ऑडियो और वीडियो का संमिश्रण बच्चों को अच्छा लगेगा। अन्य ऐप में पालतू जानवर, जंगली जानवर, चार पैर के जानवर, घरेलू, जंगली जानवरों में अंतर आदि बताए गए हैं। शरीर के अंग पर भी ऐप बन चुका है। छोटी बाल कविताएं भी ऐप के जरिए बच्चा पढ़ सकेगा। ऐसे भी ऐप बनाए गए हैं, जो तस्वीरों को स्कैन कर उनसे संबंधित चित्र या व्यक्ति के बारे में बताते हैं।

    बच्चों में पैदा होगी उत्सुकता और जिज्ञासा

    सीएससी बाल विद्यालय की शुरुआत 6 जुलाई 2020 से हुई थी। देश के 22 राज्यों के 228 जिलों में 875 से ये विद्यालय संचालित हैं। आईआईटी व सीएससी की कोशिश है कि पढ़ाई का तरीका बदले। बच्चा प्रतिदिन कक्षा में आए और कुछ सीखें। उसे केवल शिक्षक को सुनना न पड़े, बल्कि वह खुद उत्साहित होकर पढ़ाई करे। बाल विद्यालय खोलने के लिए कामन सर्विस सेंटर से ही आवेदन करना होता है, जो भी चाहता है विद्यालय खोलना, उसे सीएससी की शर्तों का पालन करना होता है। सीएससी टीचर ट्रेनिंग देती है।

    तीन स्कूलों में चल रहा ट्रायल

    आईआईटी प्रशासन ने बताया कि ब्लैकबोर्ड पर लिखे अक्षरों को स्कैन करके सिखाने में मददगार एप का दिल्ली के तीन स्कूलों में ट्रायल चल रहा है। ये स्कूल द्वारका, उत्तम नगर और नजफगढ़ में हैं।

    मानसिक विकास में होगा तकनीक का योगदान

    आईआईटी के प्रोफेसर ने दुनिया के दस देशों में बच्चों को पढ़ाने के तरीके का अध्ययन किया। प्रो. ज्योति कुमार कहते हैं कि अध्ययन के जरिये हम यह पता लगाना चाहते थे कि इन देशों में बच्चों को कैसे पढ़ाया जाता है। उनका करिकुलम क्या है़। अध्ययन में पाया गया कि बच्चों के विकास में प्रकृति के योगदान पर अधिक ध्यान दिया जाता है। प्रकृति आधारित अध्ययन है। इसके अलावा मानसिक विकास में तकनीक किस कदर सहायक हो सकती है, यह पता लगाया गया। बच्चों में जीवन मूल्य कैसे विकसित किए जाएं।

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