Delhi Zoo: दिल्ली चिड़ियाघर हुआ हाईटेक, अब कागज नहीं टैब चलाएगा व्यवस्था; पारदर्शिता बढ़ाने में मिलेगी मदद
देश के चिड़ियाघरों में जानवरों की देखभाल के लिए डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। राष्ट्रीय प्राणी उद्यान ने एक विशेष सॉफ्टवेयर बनाया है जिससे जानवरों की दैनिक गतिविधियों भोजन और स्वास्थ्य संबंधी जानकारी दर्ज की जाएगी। इससे जानवरों की मेडिकल हिस्ट्री तैयार होगी और इलाज में लगने वाला समय कम होगा। यह तकनीक पारदर्शिता बढ़ाने में भी मदद करेगी।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। देशभर के चिड़ियाघर में अब जानवरों के प्रबंधन और स्वास्थ्य निगरानी के लिए आधुनिक डिजिटल तकनीकों का सहारा लिया जा रहा है। इस दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए राष्ट्रीय प्राणी उद्यान में एक विशेष मैनेजमेंट इनफार्मेशन सिस्टम (एमआईएस) और साफ्टवेयर विकसित किया गया है। इस साफ्टवेयर के माध्यम से जानवरों की देखरेख अधिक सटीक व व्यवस्थित तरीके से की जा सकेगी।
इस नई व्यवस्था के तहत जानवरों की दैनिक गतिविधियों, भोजन, स्वास्थ्य और व्यवहार से जुड़ी जानकारी अब कीपर (प्रभारी कर्मचारी) टैबलेट या मोबाइल ऐप के माध्यम से सीधे सिस्टम में दर्ज की जाएगी। यह डेटा बाद में हेड कीपर, रेंज प्रभारी, पशु चिकित्सक और संयुक्त निदेशक जैसे उच्च अधिकारियों द्वारा सत्यापित किया जाएगा। इससे प्रत्येक जानवर की व्यक्तिगत प्रोफाइल और मेडिकल हिस्ट्री भी तैयार की जाएगी। तकनीक का प्रयोग होने से अधिकारी कभी भी चिड़ियाघर के जानवरों की जानकारी देख सकेंगे।
इलाज में लगने वाले समय को भी काफी हद तक कम कर देगी
दिल्ली चिड़ियाघर के निदेशक संजीत कुमार ने बताया कि यह तकनीक न केवल डेटा को सुरक्षित और व्यवस्थित रखने में मदद करेगी बल्कि इलाज में लगने वाले समय को भी काफी हद तक कम कर देगी। अब किसी जानवर के बीमार पड़ने की स्थिति में चिकित्सक सीधे टैबलेट से उसकी पूरी मेडिकल हिस्ट्री देख सकते हैं और उसी आधार पर तुरंत इलाज शुरू कर सकते हैं।
चिड़ियाघर में पहले यह सारा काम मैनुअली किया जाता था। लेकिन, अब तकनीक का प्रयोग होने से मोबाइल और टैबलेट से चिड़ियाघर में तैनात कर्मचारियों को जानवर के भोजन की मात्रा, पसंद- नापसंद, व्यवहार में बदलाव या बीमारियों के लक्षणों को समय रहते पहचानने में मदद मिलेगी। इससे जानवरों की देखभाल पहले से अधिक वैज्ञानिक और मानवीय हो सकेगी।
20 साल पुराना रिकॉर्ड भी डिजिटल सिस्टम में दर्ज किया जाएगा
चिड़ियाघर निदेशक का कहना कि चिड़ियाघर का 20 साल पुराना रिकॉर्ड भी डिजिटल सिस्टम में दर्ज किया जाएगा। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और गलतियां कम होंगी। जानवर का स्वास्थ्य खराब होने पर तुरंत इलाज मिल सकेंगा। पर्यावरण संरक्षण और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है।
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