Delhi News: गर्भवतियों के लिए ज्यादा खतरनाक है डेंगू संक्रमण, गर्भावस्था से मिलते-जुलते हैं लक्षण
लगातार बारिश से दिल्ली-एनसीआर में डेंगू का खतरा बढ़ गया है जिससे गर्भवती महिलाओं में जटिलताएं बढ़ जाती हैं। गर्भावस्था में डेंगू के लक्षण समान होने से पहचान मुश्किल हो जाती है। समय से पहले प्रसव और रक्तस्राव का खतरा होता है जिससे शिशु की जान जा सकती है। तेज बुखार पेट दर्द और रक्तस्राव जैसे लक्षणों पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

मुहम्मद रईस, नई दिल्ली। लगातार बारिश ने दिल्ली-एनसीआर के बड़े इलाकों को मच्छरों के प्रजनन का केंद्र बना दिया है, जिससे डेंगू जैसी मच्छर जनित बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ गया है। दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के मुताबिक डेंगू के अब तक कुल 412 मामले सामने आ चुके हैं।
चिकित्सकों के मुताबिक हर सीजन में गर्भावस्था के दौरान डेंगू के लगभग छह प्रतिशत मामले सामने आते हैं। गर्भवतियों में डेंगू के चलते कई स्वास्थ्य जटिलताएं आती हैं। समय से पहले प्रसव के साथ रक्तस्राव का खतरा रहता है।
गर्भस्थ शिशु की जान का भी जोखिम होता है। डेंगू और गर्भावस्था के दौरान के लक्षणों में काफी समानता होती है। ऐसे में जांच कराना और चिकित्सीय परामर्श लेना जरूरी हो जाता है।
सामान्य लोगों की तुलना में गर्भवती महिलाओं के लिए डेंगू का संक्रमण कहीं अधिक जटिल साबित हो सकता है। गर्भवती महिलाओं में खून की मात्रा बढ़ जाती है और खून में क्लाटिंग भी सामान्य से तेज गति से होती है।
सबसे बड़ी चुनौती यह है कि डेंगू के लक्षण कई बार प्रेग्नेंसी से जुड़ी जटिलताओं जैसे प्रेग्नेंसी इंड्यूस्ड हाइपरटेंशन या (एचईएलएलपी) सिंड्रोम से मिलते-जुलते होते हैं। इसमें प्लेटलेट्स गिरने की आशंका ज्यादा रहती है और लिवर एंज़ाइम्स के बढ़ने से लिवर फंक्शन में भी बदलाव आते हैं।
यही वजह है कि डेंगू की पहचान अक्सर मुश्किल हो जाती है और इसका असर गर्भवती महिलाओं पर अलग और खतरनाक होता है। एम्स स्थित सामुदायिक चिकित्सा केंद्र के प्रोफेसर डा. संजय राय के मुताबिक गर्भवती महिला में कोई भी बुखार हो तो वह बच्चे को भी हो जाता है। तेज बुखार की वजह से समयपूर्व प्रसव की आशंका रहती है। वहीं डेंगू या मलेरिया होने पर जोखिम ज्यादा बढ़ जाता है।
गर्भावस्था के दौरान रहती हैं अलग-अलग जटिलताएं
फोर्टिस ला फेम में प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की सीनियर डायरेक्टर डा. नीना बहल के मुताबिक पहली तिमाही में गर्भपात का खतरा हो सकता है। दूसरी तिमाही में भ्रूण का विकास रुक सकता है या कभी-कभी गर्भ के अंदर ही उसकी मृत्यु हो सकती है।
डेंगू के कारण शाक जैसी स्थिति बनने से समय से पहले प्लेसेंटा अलग हो सकता है और अत्यधिक रक्तस्राव की स्थिति भी बन सकती है। तीसरी तिमाही में समय से पहले प्रसव या प्रसव के दौरान अथवा बाद में अधिक रक्तस्राव से महिला की जान का जोखिम बढ़ जाता है।
यदि संक्रमण गंभीर हो तो कम वजन वाले शिशु या मृत शिशु के जन्म की आशंका भी रहती है। बारिश के मौसम में गर्भावस्था के दौरान डेंगू के लगभग तीन से छह प्रतिशत मामले सामने आते हैं। ऐसे में अभी से एहतियात बरतने की जरूरत है।
इन लक्षणों के दिखने पर फौरन करें डॉक्टर से संपर्क
गर्भवती महिलाओं में अगर लगातार तेज बुखार (38.5 डिग्री सेंटीग्रेड से अधिक), पेट में तेज दर्द, बार-बार उल्टी, मसूड़ों या नाक से खून आना, योनि से रक्तस्राव, भ्रूण की हलचल कम होना या अचानक प्लेटलेट्स में गिरावट जैसे लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
सांस लेने में तकलीफ, चक्कर आना या बेहोशी जैसे लक्षण भी गंभीर संकेत हैं। डा. राय के मुताबिक डेंगू में पैरासिटामोल के अलावा अन्य दवा लेना जोखिम बढ़ा सकता है। इससे ब्लीडिंग भी हो सकती है।
सामान्य डेंगू बुखार के लक्षण
- अचानक तेज बुखार (आमतौर पर दो से सात दिन)।
- माथे में तेज दर्द।
- आंखों के पीछे दर्द और आंख के हिलने-डुलने में परेशानी।
- मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द।
- छाती और शरीर के ऊपरी हिस्से
- मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द।
- छाती और शरीर के ऊपरी हिस्से में खसरे जैसे चकत्ते।
- जी मिचलना और उल्टी आना।
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