Yamuna River Pollution News: अपनी यमुना नदी की मछली नहीं खा पा रहे दिल्लीवासी
Yamuna River Pollution News किसी जमाने में यमुना नदी में रोहू कतला चीतल सिंघाड़ा मल्ली समेत 50 से ज्यादा प्रजाति की मछलियां इस नदी में होती थीं लेकिन ...और पढ़ें

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। देश के हर कोने की मछली का स्वाद राजधानी दिल्ली के लोग ले रहे हैं, लेकिन अपने ही शहर के बीच से होकर बहने वाली यमुना की मछलियों के स्वाद से वंचित हैं। तमाम नालों के दूषित पानी ने यमुना नदी को इतना जहरीला बना दिया है कि अब इसमें मछलियां पनप ही नहीं पा रहीं। किसी जमाने में रोहू, कतला, चीतल, सिंघाड़ा, मल्ली समेत 50 से ज्यादा प्रजाति की मछलियां इस नदी में होती थीं, लेकिन अब महज कमनकार प्रजाति मछली ही इसमें रह गई हैं। इसके भी अधिक, अब यमुना में प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ गया है कि जो मछलियां यमुना में मौजूद हैं वे भी अब खाने लायक नहीं रह गई हैं। जो मछुआरे यमुना से मछली पकड़कर रेहड़ी लगाकर बेचा करते थे, अब उनका रोजगार भी छिन गया है।
पुश्तैनी कामकाज चौपट
यमुना से मछली पकड़ने वाले ज्यादातर मछुआरों का यह काम पुश्तैनी है। बस फर्क इतना है कि उनके पूर्वज यह काम बिना लाइसेंस के करते थे। अब की पीढ़ी लाइसेंस लेकर मछली पकड़ती है। हालांकि, ज्यादातर मछुआरों का कहना है कि यमुना में मछलियां न के बराबर हैं और बीते कुछ वर्षों से उनका पुश्तैनी कामकाज चौपट हो चुका है। ज्यादातर मछुआरे पहले से ही बेरोजगार ही हैं। अब दिल्ली सरकार के पशुपालन विभाग की ओर से ओखला बैराज सहित यमुना के कुछ अन्य हिस्सों में मछली पकड़ने पर पूरी तरह रोक लगाए जाने के बाद यह संकट और गहरा गया है। यह स्थिति तब उभरी है जब यमुना की सफाई में हर साल बड़ी धनराशि खर्च की जा रही है। एक आरटीआइ के मुताबिक अकेले 2018 से 2021 के बीच करीब दो सौ करोड़ रुपये आवंटित किए गए, लेकिन हालात सुधरने के बजाय और बिगड़ गए।
मंडी में नहीं बिकतीं, पर पेट तो भरती हैं
यमुना की मछलियां मंडी में भले ही नहीं बिकती हों, लेकिन मदनपुर खादर, खड्डा कालोनी, मीठापुर, झंगौला गांवों के मछुआरे रेहड़ी लगाकर आसपास के लोगों को मछलियां बेचकर किसी तरह गुजारा कर रहे हैं। कई राज्यों से मंडी में आती हैं सौ प्रकार की मछलियांआंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, केरल, ओडिशा, तमिलनाडु से समुद्री मछली दिल्ली आती हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, असम, पंजाब, मध्य प्रदेश, हरियाणा, तेलंगाना, बिहार, झारखंड और महाराष्ट्र के मत्स्यपालक गाजीपुर मछली मंडी में मछली भेजते हैं। यहां पर मल्ली, रोहू, सोल, पंगास, माहसीर, कतला, तिलापिया, सिंघाड़ा, चीतल, रूपचंद समेत सौ से ज्यादा प्रकार की मछलियां मंडी में बिकने आती हैं।
यमुना दूषित होने की वजह ओखला बैराज में मछली पकड़ने पर रोक लगाई गई है। बाकी हिस्सों में फिलहाल मछलियों के प्रजनन के चलते उनको पकड़ने पर रोक लागू है। - डा. राकेश सिंह, निदेशक, पशुपालन, डेयरी व मत्स्य पालन विभाग
जब जामा मस्जिद पर मछली मंडी थी तब जरूर यमुना से मछली वहां बिकने आती थी। गाजीपुर मछली मंडी को बने करीब बीस साल हो गए हैं। तब से यहां यमुना की मछली कभी नहीं आई। इस नदी की मछली खाने लायक नहीं होती।- नासिर अली अल्वी, चेयरमैन, गाजीपुर मछली मंडी
मेरे परिवार को यमुना नदी से मछली पकड़ते हुए 70 वर्ष हो गए हैं। पहले मेरे पिता सरदार महेंद्र ¨सह मछली पकड़ते थे। अब मैं यह काम करता हूं। यमुना में घटते जल स्तर और बढ़ते प्रदूषण के चलते यह काम अब खत्म हो गया है। अब यह मुनाफे का काम नहीं, लेकिन मछली पकड़ने के अलावा कोई दूसरा काम नहीं आता। मेरे दो छोटे बेटे हैं, उनको मैं इस काम से दूर रखूंगा।- गुरविंदर सिंह, मछुआरा, झंगौला गांव
यमुना नदी का पानी इतना प्रदूषित हो गया है कि अब सिर्फ बरसात के मौसम में दो-तीन माह ही मछली पकड़ पाते हैं। पहले मछलियों के प्रजनन के समय को छोड़ कर साल के बाकी महीनों में नदी से मछली पकड़ते थे। तब नदी साफ थी और पानी भी पर्याप्त था। अब सरकार ने रोक लगाकर बचा हुआ काम भी छीन लिया है।- भोला कश्यप, मछुआरा
मेरा बचपन कालिंदी कुंज घाट पर ही बीता है। बचपन से यहां मछली पकड़ने के साथ ही गोताखोरी भी करता आ रहा हूं। समय के साथ इस घाट के पानी में मछलियों की तादाद घटती चली गई। उससे कामकाज पहले ही चौपट हो गया था। अब जब इस हिस्से में मछली पकड़ने पर दिल्ली सरकार ने पूरी तरह रोक लग दी है तो मेरे सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया।-सागर, मछुआरा, मदनपुर खादर गांव

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।