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    दिल्ली के चिड़ियाघर में अनंत अंबानी के वनतारा की एंट्री, टीम ने किया ZOO का दौरा

    Updated: Wed, 04 Jun 2025 11:20 AM (IST)

    दिल्ली चिड़ियाघर और वनतारा वन्यजीव संरक्षण के लिए साथ आए हैं। पर्यावरण मंत्रालय और वनतारा के बीच समझौता हुआ है जिसके तहत वन्यजीवों के स्वास्थ्य प्रजात ...और पढ़ें

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    पर्यावरण मंत्रालय के सचिव और वनतारा के बीच समझौता करार। फाइल फोटो

    रीतिका मिश्रा, नई दिल्ली। राष्ट्रीय प्राणी उद्यान, दिल्ली और रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी के बेटे अनंत अंबानी द्वारा गुजरात में संचालित वनतारा वन्यजीवों के संरक्षण, बचाव और पुनर्वास के लिए जल्द ही एक साथ नजर आएंगे।

    सूत्रों के मुताबिक पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव तन्मय कुमार और वनतारा यानि जीजेडआरआरसी (ग्रीन्स जूलाजिकल रेस्क्यू एंड रिसर्च सेंटर) के बीच इस संबंध में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए हैं।

    मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक सचिव व वनतारा के बीच हुए समझौते के तहत दिल्ली चिड़ियाघर और वनतारा के बीच कई संयुक्त गतिविधियों की सहमित है। इनमें वन्यजीवों के स्वास्थ्य और कल्याण को बेहतर बनाना, प्रजातियों के आदान-प्रदान।

    इसके अलावा कर्मचारियों में प्रशिक्षण के जरिए क्षमता निर्माण, वैज्ञानिक प्रबंधन पर परामर्श, प्रजनन संबंधी तकनीकी सहयोग और चिड़ियाघर डिजाइन व आगंतुक सेवा पर तकनीकी मदद शामिल है।

    वनतारा की टीम ने किया चिड़ियाघर का दौरा

    इस समझौते के बाद शनिवार और रविवार को वनतारा की एक आठ सदस्यीय टीम ने दिल्ली चिड़ियाघर का दौरा भी किया था। इसमें पशु चिकित्सक, साइट प्रबंधक, रसोईघर प्रबंधन, पशु समन्वय, इंटरप्रिटेशन और प्रेजेंटेशन।

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    डिस्पैच, कंट्रोल रूम ऑपरेशन और सुरक्षा प्रोटोकाल के अधिकारी आए थे। सूत्रों के मुताबिक वनतारा के अधिकारियों के दौरे का उद्देश्य पशु संरक्षण गतिविधियों, पशु स्वास्थ्य सेवाओं और बुनियादी ढांचे का निरीक्षण करने के साथ भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा करना था।

    चिड़ियाघर में आधुनिकीकरण के लिए केंद्र से मिलेंगे 456 करोड़

    चिड़ियाघर के निदेशक डा. संजीत कुमार ने बताया कि इस संबंध में एक ड्राफ्ट तैयार कर जीजेडआरआरसी और गुजरात सरकार को भेजा गया था।इसी क्रम में पर्यावरण मंत्रालय को दिल्ली के चिड़ियाघर में आधुनिकीकरण से जुड़े प्रस्ताव को लेकर एक अवधारणा नोट भी सौंपा गया था।

    इस अवधारणा नोट में वन्यजीवों के बाड़ों का पुनर्विकास, नई संरचनाओं का निर्माण, आगंतुक सुविधाओं में सुधार, पशु चिकित्सा सेवाएं, शिक्षा से जुड़े केंद्र, और चिड़ियाघर के बाहरी हिस्से का विकास शामिल था। चिड़ियाघर के अधिकारियों मुताबिक ये सभी योजनाएं सरकारी फंडिंग के जरिए पूरी की जाएंगी।

    सूत्रों के मुताबिक इस विकास को लेकर दिल्ली चिड़ियाघर को 456 करोड़ रुपये की फंडिंग की फाइल को भी मंजूरी दे दी गई है। सूत्रों के मुताबिक दिल्ली चिड़ियाघर आगे चलकर सोसाइटी मोड पर काम कर सकता है।

    चिड़ियाघर प्रशासन का मानना है कि इस सहयोग से न केवल जानवरों की देखभाल में सुधार होगा, बल्कि स्टाफ के प्रशिक्षण, वैज्ञानिक कार्यप्रणालियों और जनशिक्षा के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति की जा सकेगी।

    इस नए Mou में कई महत्वपूर्ण सहयोग क्षेत्रों को शामिल किया गया है

    1-पशु स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करना

    2- जानवरों का परस्पर आदान-प्रदान

    3- क्षमता निर्माण के लिए कर्मचारियों का आदान-प्रदान और प्रशिक्षण

    4- वैज्ञानिक प्रबंधन और डिजाइन पर परामर्श

    5- चिड़ियाघर डिजाइनिंग, बाड़े प्रबंधन, आगंतुकों की सेवाओं के क्षेत्र में तकनीकी सहायता और परामर्श

    6- प्रजनन व संरक्षण कार्यक्रमों में तकनीकी जानकारी साझा करना

    दिल्ली चिड़ियाघर की ओर से मंत्रालय को भेजे प्रस्ताव में शामिल तथ्य

    1- वन्यजीवों के बाड़ों का पुनर्विकास

    2- नई चिकित्सा और पुनर्वास सुविधाओं का निर्माण

    3- आगंतुक और शिक्षा संबंधी सुविधाओं में सुधार

    4- चिड़ियाघर के मुख्य प्रवेश द्वार और बाहरी संरचना का पुनर्निर्माण

    चिड़ियाघर व पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस पूरी प्रक्रिया में किसी भी तरह का निजीकरण नहीं किया जा रहा है। यह एक तकनीकी और संस्थागत सहयोग है, जिसका उद्देश्य वन्यजीवों के हित में बेहतर प्रबंधन और देखभाल सुनिश्चित करना है।