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    Delhi Pollution: दिल्ली-NCR में बढ़ते प्रदूषण की बड़ी वजह आई सामने, जलवायु परिवर्तन और मौसमी बदलाव भी है कारक

    Updated: Fri, 22 Nov 2024 04:18 PM (IST)

    दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण के पीछे मौसमी बदलाव और जलवायु परिवर्तन भी जिम्मेदार हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि पहले पूर्व दिशा से चलने वाली हवा प्रदूषण को नियंत्रित रखती थी लेकिन अब मौसमी स्थितियां प्रदूषण को बढ़ा रही हैं। कोहरे की बढ़ती अवधि और घनत्व वायु गुणवत्ता पर असर डाल रहे हैं। जलवायु परिवर्तन ने पश्चिमी विक्षोभ के सक्रियता और तीव्रता में बदलाव किया है।

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    दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की एक वजह विशेषज्ञ मौसमी बदलाव और जलवायु परिवर्तन भी है।

    राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में पिछले कई दिनों तक वायु प्रदूषण अधिक होने का एक वजह विशेषज्ञ मौसमी बदलाव और जलवायु परिवर्तन को भी मान रहे हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि दिल्ली में पहले पूर्व दिशा से चलने वाली हवा ने प्रदूषण को कुछ हद तक नियंत्रित रखा था, लेकिन बाद में अब मौसमी स्थितियां प्रदूषण को हवा दिया।

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    स्काईमेट वेदर के विशेषज्ञ महेश पलावत ने कहा कि उत्तर-पश्चिमी मैदानी भागों में इस बार कोहरा समय से पहले आ गया है। सामान्य तौर पर कोहरा नवंबर के अंत या दिसंबर के शुरुआत में शुरू होता है। इस बार मौसमी परिस्थितियों के कारण कोहरा जल्दी शुरू हो गया। इसके अलावा नवंबर में एक भी दिन वर्षा न होना भी प्रदूषण बढ़ने एक वजह है।

    जलवायु परिवर्तन ने पश्चिमी विक्षोभ के सक्रियता में किया बदलाव

    विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार ठंड देर से शुरू हुई। बढ़ते औसत तापमान और मौसम के बदलते पैटर्न ने प्रदूषण को ज्यादा खतरनाक बना दिया। कोहरे की बढ़ती अवधि और घनत्व वायु गुणवत्ता पर असर डाल रहे हैं। आईआईटी दिल्ली के वायुमंडलीय विज्ञान केंद्र के प्रोफेसर डॉ. सांगनिक डे ने कहा कि जलवायु परिवर्तन ने पश्चिमी विक्षोभ के सक्रियता और तीव्रता में बदलाव किया है। पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने से वर्षा होती है। बारिश की कमी और गर्म होते मौसम ने प्रदूषण को नियंत्रित करने के प्राकृतिक तरीकों को कमजोर कर दिया है।

    प्रदूषण से लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी पर असर

    विशेषज्ञ कहते हैं कि प्रदूषण का दिल्ली एनसीआर के लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी पर असर पड़ रहा है। ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) लागू कर प्रदूषण कम करने के कुछ कदम उठाए गए हैं।‌ विशेषज्ञ मानते हैं कि ये उपाय स्थायी समाधान नहीं हैं। पराली जलाने और वाहनों के उत्सर्जन जैसे प्रमुख कारकों के प्रभावी नियंत्रण की कमी है। प्रदूषण के स्थानीय स्रोतों की रोकथाम के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन और मौसमी बदलावों को ध्यान में रखते हुए ठोस कदम उठाने होंगे। यदि ऐसा नहीं हुआ तो ये समस्या हर साल और गंभीर होती जाएगी।

    इंडियन चेस्ट सोसाइटी के उत्तरी जोन के चेयरमैन डॉ. जीसी खिलनानी ने बताया कि पिछले वर्ष अक्टूबर शिकागो में हुए एक शोध के अनुसार प्रदूषण के कारण दिल्ली में जन्मे व पले बढ़े लोगों की औसत उम्र 11.9 वर्ष उम्र कम हो जाती है। वहीं देश में औसत उम्र 5.3 वर्ष कम हो जाती है। यह बेहद चिंताजनक है। 

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